लखनऊ। यूपी की नौ सीटों में हुए उपचुनाव में भाजपा ने सात सीटो पर विजय प्राप्त की जबकि दो सीटो पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी विजयी हुए, बसपा का खाता नही खुला। चुनाव परिणाम इस बात का साफ इशारा कर रहे हैं सीएम योगी आदित्यनाथ की आक्रामक छवि, धार्मिक एकजुटता का उनका एजेंडा और जातियों में न बंटने वाली उनकी अपील काम कर गई। वोटरों ने बंटेंगे तो कटेंगे नारे पर अपनी मुहर लगाई। लोकसभा चुनावों के उलट इन चुनावों में भाजपा से छिटका ओबीसी और दलित वर्ग भी उसके साथ आया है। परिणाम बता रहे हैं कि दलितों ने सपा को उस तरह से वोट नहीं किया जैसे उसने लोकसभा के चुनावों में वोट किया था। कांग्रेस की इन चुनावों से दूरी भी सपा के लिए नुकसानदेह और भाजपा के लिए फायदेमंद रहीं। पीडीए का मुद्दा पूरी तरह से फेल हो गया। कटेंगे तो बंटेंगे सीएम योगी आदित्यनाथ के द्वारा दिया गया ऐसा नारा है जो यूपी से फूटा और देखते ही देखते पूरे देश में फैल गया। पीएम मोदी द्वारा इसी को एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे कहकर बोला गया। यूपी के उपचुनावों के महाराष्ट्र के चुनाव नतीजे यह बता रहे हैं कि इस नारे ने जमीन तक में काम किया है। लोकसभा का चुनाव धर्म से उठकर पूरी तरह से जातियों के बीच का चुनाव हो गया था। राम मंदिर वाली फैजाबाद की सीट भाजपा का हारना इस बात का संकेत था कि लोगों ने धर्म के मुद्दे पर वोट नहीं किया। जातीय जनगणना और संविधान बचाने के मुद्दे धर्म पर भारी पड़े। लोकसभा चुनाव से उलट नौ सीटों के इस चुनाव में धार्मिक एकजुटता देखने को मिली। सीएम योगी आदित्यनाथ ने इन चुनावों की कमान खुद अपने हाथ में ली। उन्होंने हर छोटी-बड़ी रैली में धार्मिक एकजुटता की बात कही। बंटेंगे तो कटेंगे विचारधारा के स्तर पर भाजपा की कोई नई लाइन नहीं है। भाजपा सदैव ही हिंदुओं के एकजुट रहने की बात कहती आई है लेकिन इन चुनावों में इस नारे ने एक अलग तरह का असर किया। चुनाव परिणाम बता रहे हैं कि लोगों ने जाति के ऊपर धर्म को चुना।