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ग़ाज़ीपुर के एक ही गांव से हज के लिए गए 9 ज़ायरीनों, मुल्क़ में अमन-चैन और खुशहाली के लिये मांगी दुआएं

ग़ाज़ीपुर। हज यात्रा पर जाना हर मुसलमान की ख्वाहिश होती है. हज सउदी अरब के पवित्र मक्का शहर से शुरु होती है। दुनिया भर से लाखों मुसलमान हर साल हज यात्रा पर जाते हैं और इब्राहीम अल. की सुन्नतों को अदा करते हैं। इसी क्रम में जनपद ग़ाज़ीपुर के तहसील मुहम्मदाबाद का महरूपुर गांव इस बार चर्चा का विषय बना हुआ है जहाँ से अबकी बार एक ही गांव से 9 लोगों ने बैतुल मुक़द्दस हज के लिये रवाना हुए हैं। जहां पहुंच कर हज के अराकान को पूरा करने में लगे हुए हैं. गांव के चार पुरुषों ने इरादा बनाया तो वहीं पांच स्त्रियों ने भी इरादा बनाकर अपनी सहभागिता सुनिश्चित की है और आलमी मुल्क़ के साथ-साथ क्षेत्र की गंगा-जमुनी तहजीब को क़ायम रखने और खुशहाली के लिए दुआएं की हैं। दरअसल, इस्लाम की बुनियाद पांच अराकानों पर टिकी है. कलमा पढ़ना (तौहीद), नमाज पढ़ना, रोजा रखना, जकात अदा करना और हज करना. यानी हर मुसलमान के लिए ये पांच चीजें जरूरी हैं. इनमें कलमा, नमाज और रोजा रखना तो सभी मुसलमानों के लिए अनिवार्य है. इनमें कोई छूट नहीं है. लेकिन जकात और हज में थोड़ी छूट दी गई है. जकात (दान) वही लोग दे सकते हैं जिनके पास धन-दौलत हो. इसी तरह हज उन लोगों के लिए जरूरी है जो शारीरिक और आर्थिक रूप से सक्षम हैं. उनका जिंदगी में कम से कम एक बार हज करना फर्ज  बताया गया है. पवित्र शहर में जाकर हाजी तमाम अराकानों की अदायगी करते हैं. हज यात्रा ईद-उल-अज़हा यानी बक़रीद के बाद समाप्त मानी जाती है। हज जायरीनों में रिज़वान अहमद, तबस्सुम आरा, मजीबुल्लाह खां, अस्मत आरा, अंजुम आरा, फ़ज़ल अहमद, जमीला ख़ातून, अबरार अहमद और यासमीन ख़ातून से गांव के लोगों ने अपने गांव और आलमी मुल्क़ के खुशहाली के लिए ज़ायरीनों से दुआओं की दरख़ास्त की है।

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