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राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य ने पेश की इंसानियत की मिसाल, काशी के पत्रकारों को सुरक्षित सिक्किम से निकलवाया

वाराणसी। सिक्किम के राज्यपाल महामहिम लक्ष्मण आचार्य ने अचानक आई बाढ़ में फंसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र के पत्रकारों के एक समूह को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया और उनके भोजन, आवास की व्यवस्था कराई। पत्रकारों का यह दल बादल फटने और तीस्ता नदी में अचानक आई बाढ़ के चलते पश्चिम पेलिंग इलाके में फंस गया था। पिछले तीन दिनों से सिक्किम में मूसलाधार बारिश और बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। उखड़े हुए पेड़, टूटी-फूटी सड़कें, ढह गए पुल, क्षतिग्रस्त मकान, पानी में डूबे वाहन, उखड़े बिजली के खंभे, कीचड़ और चारों तरफ पानी-पानी। सिक्किम में बादल फटने  और तीस्ता नदी में अचानक आई बाढ़ के बाद हर तरफ तबाही का मंजर है। पर्वतीय राज्य के कई हिस्से देश के बाकी हिस्सों से कट गए हैं, क्योंकि उफनती तीस्ता नदी का पानी अपने रास्ते में आने वाली हर चीज घर, पुल, पेड़, लोग और चुंगथांग में तीस्ता डैम का एक हिस्सा बहा ले गई. यह डैम राज्य की सबसे बड़ी हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट है। वाराणसी से पत्रकारों के एक दल के साथ वहां के 28 गणमान्य नागरिकों का एक समूह 2 अक्टूबर को सिक्किम में भ्रमण करने निकाला था। पत्रकारों के समूह में सीनियर जनरलिस्ट विजय विनीत के अलावा नागेश्वर सिंह, सीबी तिवारी राजकुमार, अनुराग जायसवाल आदि लोग शामिल थे। पत्रकारों का समूह 3 अक्टूबर की शाम पश्चिम पेलिंग पहुंचा। उसी रात से समूचे सिक्किम में मूसलाधार बारिश शुरू हो गई। भारी बारिश के चलते तीस्ता नदी के तेज बहाव से दशकों से मिट्टी पर टिके हुए पेड़ उखड़ गए। यह क्षेत्र कटाव और पहाड़ों के ढहने के प्रति बेहद संवेदनशील हो गया है। तीस्ता नदी में आई बाढ़ ने जो बिकराल रूप दिखाया है वह रोंगटे खड़ा करने वाला है। बारिश का पानी और कीचड़ चुंगथांग में तीस्ता डैम की दीवारों से टकराया तो रास्ते में आने में आने वाले तमाम घरों को तबाह कर दिया। दोनों ओर के पहाड़ों को काटने वाली सड़कें गिरे हुए पेड़ों और डैम के टूटे हुए हिस्सों से पूरी तरह से डैमेज हो गई हैं। वहीं, ट्रैफिक कंट्रोल रूम सड़क के किनारे खतरनाक ढंग से लटका हुआ दिखाई देता है, जिसका ज्यादातर हिस्सा तबाह हो चुका है। सिक्किम राज्य में लगातार हो रही बारिश के चलते जगह-जगह विद्युत आपूर्ति और संचार व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। पर्यटकों के साथी बनारस के पत्रकारों और  गण्यमान्य नागरिकों का जत्था सिक्किम की राजधानी गंगटोक में सुरक्षित स्थान पर पहुंच गया है। राज्यपाल श्री लक्ष्मण आचार्य जी ने बनारस के पत्रकारों और नागरिकों की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाया। सभी के लिए सुरक्षित स्थान पर रहने, खाने पीने की व्यवस्था कराई। महामहिम के कार्यालय के अधिकारी और कर्मचारी पत्रकारों व उनके परिवार जनों की देखरेख में जुटे रहे। पश्चिम पेलिंग से पत्रकारों को बाहर निकाल कर गंगटोक तक पहुंचने में महामहिम ने रात दिन एक कर दिया। पत्रकारों का समूह जब तक गंगटोक नहीं पहुंचा तब तक महामहिम लक्ष्मण आचार्य जी और उनके कार्यालय के तमाम अफसर लगातार संपर्क बनाए रहे। वाराणसी में ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष सीबी तिवारी राजकुमार ने महामहिम लक्ष्मण आचार्य के प्रयास की सराहना की और कहा कि सिक्किम के राज्यपाल ने बाढ़ से प्रभावित लोगों के प्राणों की रक्षा करने के साथ उनके खाने-पीने के लिए सार्थक प्रयास कर रहे हैं। वह प्रखर प्रहरी की तरह बाढ़ ग्रस्त इलाकों का दौरा कर रहे हैं और तबाह हुए लोगों की भरपूर मदद भी। सिक्किम के लोगों ने राज्यपाल के इस प्रयास की भूरी भूरी प्रशंसा की है। साथ ही यह भी कहा है कि सिक्किम में पहली मर्तबा किसी राज्यपाल ने आम नागरिक की तरह बाढ़ ग्रस्त इलाकों में जाकर पीड़ित समाज की सेवा की है। सिक्किम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य के ओएसडी ने बनारस के पत्रकारों को बताया है कि इस बाढ़ में नामची, गंगटोक, पाकयोंग और मंगन ज़िले में स्थित पुल बह गए हैं जो अग्रिम इलाकों को सिक्किम से जोड़ते थे. इस बाढ़ में सिक्किम के 14 पुल तबाह हुए हैं, जिनमें से 8 पुल मंगन जिले में स्थित हैं। दो पुल नामची और गंगटोक में थे. इसके साथ ही सिक्किम में वॉटर पाइप लाइन, सीवेज़ लाइन समेत 277 घर तबाह हो गए हैं।

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