गाजीपुर। मायावती गठबंधन के लिए जरूरी हैं इस बात पर बाकायदा कांग्रेस की कोर ग्रुप की मीटिंग में चर्चा हो चुकी है. मायावती को इंडिया गठबंधन में शामिल किया जाए और अखिलेश यादव भी इस बात पर राजी हों लेकिन समाजवादी पार्टी इसके लिए तैयार नहीं है। मायावती इस वक्त देश में दलितों की सबसे बड़ी नेता मानी जाती हैं. बीएसपी की पूरी राजनीति दलित वोटर्स के केंद्र में है. यही वजह है कि पिछले कई दिनों से इस बात की चर्चा है मायावती को कांग्रेस गठबंधन में लाना चाहती है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में एसपी और बीएसपी ने दुश्मनी भुलाकर गठबंधन किया था. दोनों दलों को इसका फायदा भी मिला. मोदी की आंधी में एसपी बीसएपी गठबंधन ने 15 सीटें हासिल की. मायावती को 10 और एसपी को 5 सीटें मिलीं थीं. हालांकि लोकसभा चुनाव के बाद ही मायावती और अखिलेश यादव का ये गठबंधन टूट गया और उसके बाद से दोनों दलों के नेता एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते। कांग्रेस मायावती का स्वागत करना चाहती है और अब बीएसपी सुप्रीमो बहन मायावती ने भी इस मुद्दे पर चुप्पी तोड़ दी है. मायावती ने कहा कि गठबंधन में बीएसपी सहित जो भी पार्टियां शामिल नहीं हैं उनके खिलाफ बे फिजूल टिप्पणी करने से बचना चाहिए. देश हित में कब किसको जरुरत पड़ जाये. मायावती के इस बयान से साफ है कि मायावती गठबंधन में जाने की सीधी चर्चा से बचना चाहती हैं लेकिन सपा भी कह रही है कि मायावती के साथ जाने की जरूरत नहीं है।