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गाजीपुर: डा. भीमराव अम्‍बेडकर के विचार आज भी हैं प्रासंगिक- डा. आनंद सिंह

गाजीपुर। सत्यदेव डिग्री कॉलेज के प्रांगण में डॉ भीमराव अंबेडकर की 132 वी जयंती मनाई गई इस अवसर पर सत्यदेव ग्रुप आप कॉलेजेज के सीएमडी प्रोफेसर आनंद सिंह जी और एमडी प्रोफेसर सानंद सिंह जी ने डा. अम्बेडकर जी के चित्र पर पुष्पांजलि और माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया इस अवसर पर छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए प्रोफेसर आनंद सिंह जी ने कहा कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के विचार आज भी प्रासंगिक हैं इसलिए अंबेडकर जी हम लोगों के बीच ना रहते हुए भी वैचारिक रूप से जिंदा है भारत के प्रशासनिक व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए उनके नेतृत्व में संविधान का निर्माण हुआ जिसके सहारे आज भी भारत की प्रशासनिक व्यवस्था सुचारू रूप से चल रही है आज बच्चों को उनके जीवन उनके विचार का वृहद अध्ययन कर उनसे कुछ सीखने की महती आवश्यकता है। इस अवसर पर प्रो o सानंद सिंह जी ने कहा कि सूबेदार रामजी मालोजी सकपाल तथा भीमा बाई की चौदहवीं सन्तान,भारतीय संविधान के निर्माण के प्रमुख स्तम्भ,वंचित समाज के मूकनायक,स्वतन्त्रता आन्दोलन के दौरान विपरीत परिस्थितियों में समाज का असहयोग तथा तिरस्कार झेलते हुए तात्कालीन भारत के सबसे अधिक शैक्षणिक योग्यता(अर्थशास्त्र के दो विषयों से पी०एच०डी०) धारित करने वाले,दलितों के मसीहा,भारत रत्न,युगपुरूष डॉ.भीमराव अम्बेड़कर”बाबा साहेब” जिनका जन्म 14 अप्रैल 1891ई० को मध्य प्रदेश के इन्दौर के महू छावनी में हुआ था ने अतिशय गरीबी और सामाजिक तिरस्कार को धता बताते हुए बम्बई विश्वविद्यालय,कोलम्बिया विश्वविद्यालय,लन्दन विश्वविद्यालय,लन्दन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स तथा बर्लिन विश्वविद्यालय से कुल 32 डिग्रियाँ अर्जित कीं।आपने अर्थशास्त्र के दो विषयों:-(1)इवोल्यूशन ऑफ प्रोविन्शियल फिनान्स इन ब्रिटिश इण्ड़िया(1916) तथा (2)प्राब्लम ऑफ द रूपी:इट्स ओरिजिन एण्ड़ इट्स सोल्यूशन(1923) पर डॉक्ट्रेट की उपाधि हासिल की। डॉ. अम्बेड़कर ने (1)हू वर शुद्राज,(2)एनहिलेशन ऑफ कॉस्ट(1936),(3)द बुद्ध एण्ड हिज धम्म(1956-57), (4) पाकिस्तान ऑर पार्टीशन ऑफ इण्डिया(1945), (6) द प्राब्लम ऑफ रूपी(1923), (7) दी थाट्स ऑन पाकिस्तान(1941), (8) दी अनटचेबुल,(9) सोशल जस्टिस एण्ड पोलिटिकल सेफगार्डस फॉर डिप्रेस्ड क्लास,(10) वेटिंग फॉर वीजा,(11) आइडियाज ऑफ ए नेशन समेत कुल 40 पुस्तकों की रचना की तथा प्रसिद्ध पत्रिका (1) मूकनायक और (2) बहिष्कृत भारत का प्रकाशन भी किया।डॉ. अम्बेड़कर के निजी पुस्तकालय में 50 हजार से ज्यादा दुर्लभ ग्रंथों का संकलन था। डॉ. अम्बेड़कर का विवाह 1906 ई० में रमाबाई से हुआ जिनकी 1936 ई० में मृत्यु हो गयी।तदोपरान्त 1948 ई० में आपका दूसरा विवाह डॉ. सविता अम्बेडकर ( डॉ. शारदा कबीर) से हुआ।बाद के दौर में समानता और मानवता की खोज में डॉ. अम्बेडकर ने बौद्ध धर्म का अंगीकार कर लिया। डॉ. अम्बेडकर ने दलितों के उत्थान के लिए:- (1) बहिष्कृत हितकारिणी सभा, (2) समता सैनिक दल, (3) डिप्रेस्ड क्लास एजुकेशन सोसायटी,(4) पीपुल्स एजुकेशन सोसायटी,(5) अनुसूचित जाति फेडरेशन, (6) स्वतन्त्र लेबर पार्टी, तथा (7) भारतीय बौद्ध महासभा का निर्माण किया।उन्होंने बाद में अपनी राजनीतिक पार्टी स्वतन्त्र लेबर पार्टी को “भारतीय रिपब्लिकन पार्टी में परिवर्तित कर दिया। 1926 ई० में अम्बेडकर जी बम्बई विधानसभा के मनोनीत सदस्य बने।29 अगस्त 1947 ई० को डॉ. अम्बेडकर संविधान निर्माण की प्रारूप समिति के अध्यक्ष बनाए गये और वे स्वतन्त्र भारत के पहले कानून मंत्री भी नियुक्त हुए।हालाँकि आपने हिन्दू कोड बिल को पूरी तौर पर लागू नहीं किए जाने से नाराज होकर कैबिनेट से स्तिफा दे दिया था।किन्तु मृत्यु पर्यन्त आप राज्यसभा के सांसद बने रहे।लम्बी बीमारी के उपरान्त दिल्ली में 6 दिसम्बर 1956 ई० में डॉ. अम्बेडकर का देहावसान(महापरिनिर्वाण) हो गया। 07 दिसम्बर 1956 को बम्बई में दादर के चौपाटी समुद्र तट पर आपका अंतिम संस्कार बौद्ध रीति से सम्पन्न हुआ।1990 ई० में डॉ. अम्बेडकर को मरणोपरांत “भारत रत्न” के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया। वर्ष 2011 में इग्लैण्ड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर को “विश्व इतिहास का पहला प्रतिभाशाली इन्सान” घोषित किया तथा अमेरिका के कोलम्बिया विश्वविद्यालय ने डॉ अम्बेडकर को “ग्रेटेस्ट इण्डियन” के खिताब से नवाजा था। ऐसे ग्रेटेस्ट इण्डियन भारत रत्न डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी के 132 वें जन्मदिन पर उनका शत शत नमन और विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इस अवसर पर सत्यदेव डिग्री कालेज के निदेशक,अमित सिंह रघुवंशी जी,प्राचार्य डा o राम चन्द्र दूबे जी प्राध्यापक गण और कर्मचारी उपस्थित रहे।

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