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वैदिक मंत्रोच्‍चार के बीच शुरू हुआ कालीधाम हरिहरपुर में नवरात्रि का पर्व, स्‍वामी भवानीनंदन यति ने दिये श्रद्धालुओ को आशीर्वाद  

गाजीपुर। सिद्धपीठ हथियाराम मठ की शाखा कालीधाम हरिहरपुर स्थित मां काली मंदिर पर नवरात्र पर्यंत चलने वाले धार्मिक अनुष्ठान का बुधवार को चैत्र प्रतिपदा के साथ शुभारंभ हुआ। श्रद्धालुओं के आस्था व विश्वास के केन्द्र कालीधाम हरिहरपुर में स्थापित मां काली की तीन मूर्तियां अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं, जिनका दर्शन पूजन करने और सिद्धपीठ के पीठाधिपति महामंडलेश्वर स्वामी श्री भवानीनन्दन यति जी महाराज का चरणरज लेने के लिये शिष्य श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। पीठाधीश्वर के संरक्षकत्व में वाराणसी से आए विद्वान ब्राम्हणों द्वारा नवरात्र के प्रथम दिन वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पंचांग पूजन, भगवती का आह्वान व चंडी पाठ से नवरात्र का शुभारंभ हुआ। वहीं श्रद्धालुओं की भीड़ लगातार मत्था टेक रही है। महामंडलेश्वर भवानी नंदन यति जी महाराज ने श्रद्धालुओं को वासंतिक नवरात्र का महत्त्व बताते हुए कहा कि यह समय माता भगवती की आराधना और उपासना के लिए अत्यन्त शुभ माना जाता है। चैत्र माह में प्रकृति भी आह्लादित होती है। हर तरफ नये जीवन का, एक नई उम्मीद का बीज अंकुरित होने लगता है। नवीनता युक्त इस मौसम में प्राणियों में एक नई उर्जा का संचार होता है। लहलहाती फसलों से उम्मीदें जुड़ी होती हैं। सूर्य अपने उत्तरायण की गति में होता है। इस समय मां भगवती की आराधना, पूजन अर्चन करने से विशेष अनुभूति होती है। शरीर में नव स्फूर्ति का संचार होता है। उन्होंने कहा कि पूजा-पाठ करने से देवी देवताओं की कृपा के साथ ही मन को शांति भी मिलती है। बड़े ही भाग्य से मिले मानव जीवन की सार्थकता सिद्ध करते हुए इसे भगवत भजन और सत्कर्म करने में लगाएं, तो निश्चित रूप से इस जीवन के साथ ही परलोक भी सुधरेगा। उन्होंने कहा कि व्यक्ति अपने सत्कर्मों के जरिये ही इस दुनिया से चले जाने के बाद भी याद किया जाता है। जीवन काल में कुछ ऐसा कर जाएं, ताकि लोग आपको याद करें। कहा कि सांसारिक जीवन में धर्म-कर्म और परमात्मा की आराधना-वंदना करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।

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