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मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिक विश्‍वविद्यालय गोरखपुर में होगा 16 और 17 मार्च को इंटरनेशनल कॉन्‍फ्रेंस

गोरखपुर। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिक विश्‍वविद्यालय में 16 और 17 मार्च को सतत विकास के लिए डिसलिनेशन, ऊर्जा, पर्यावरण और सामग्री विज्ञान में फ्रंटियर्स एफईईएमएसएसडी-2023 विषय पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित हो रही है। इस कार्यक्रम का आयोजन एमएमएमयूटी गोरखपुर, K.I.P.M- कॉलेज ऑफ ईजिनियरिंग टेक्नोलॉजी GIDA गोरखपुर, इंडियन डिसलिनेशन एसोसिएशन (INDA) के तत्‍वावधान में हो रहा है। यह जानकारी प्रोफेसर राजेश यादव ने पूर्वांचल न्‍यूज डाट काम को दी है। प्रोफेसर राजेश यादव ने बताया कि इस इंटरनेशनल कॉन्‍फ्रेंस में मदन मोहन मालवीय विश्‍वविद्यालय के पांच विभाग मैकेनिकल, सिविल, रसायन, रसायन इंजीनियरिंग, फार्मेसी शामिल है। इस कॉन्‍फ्रेंस में प्रोफेसर जेपी पांडेय, कुलपति मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिक विश्‍वविद्यालय, इंजीनियर आरडी सिंह चेयरमैन केआईपीएम गीडा, प्रोफेसर एसपी चौरसिया अध्‍यक्ष आईएनडीए की गौरवमयी उपस्थिति रहेगी। इसके अलावा यूनिवर्सिटी ऑफ सस्‍कैचवन कनाडा के डा. अजय के. दलाई, दक्षिण कोरिया के एमओकेपीओ यूनिवर्सिटी के डा. ताई ऊ कीम, आईआईटी बॉम्‍बे के प्रोफेसर विनय श्रीवास्‍तव के अलावा अन्‍य देशों के शोधकर्ताओं को आमंत्रित किया गया है। इस कांफ्रेंस में देश विदेश के विभिन्‍न टेक्निकल विभाग के छात्रों द्वारा अपना शोध प्रस्‍तुत किया जायेगा। डा. राजेश यादव ने बताया कि इस इंटरनेशनल कॉन्‍फ्रेंस में जल/अपशिष्ट जल उपचार और स्थिरता के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकियां, जल संसाधन प्रबंधन जल नीतियां और योजना, झिल्ली और थर्मल विलवणीकरण परमाणु/सौर/नवीकरणीय ऊर्जा विलवणीकरण, और अस्वीकार/अपशिष्ट, जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेडएलडी) रणनीति प्रबंधन, जल प्रबंधन में अपशिष्ट जल उपचार, पुनर्प्राप्ति और पुन: उपयोग अर्थशास्त्र और वित्तपोषण पहलू, आकलन। निगरानी। जल प्रबंधन क्षेत्र में मॉडलिंग और पूर्वानुमान, जल शोधन के लिए उन्नत सामग्री, जल शोधन जल से ऊर्जा उत्पादन प्रौद्योगिकियों और जल-ऊर्जा में नैनो प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग, बंधन, नवीकरणीय और गैर-नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन, ऊर्जा भंडारण के लिए सामग्री ऊर्जा और पर्यावरण में नैनो सामग्री ऊर्जा पर्यावरण और सामग्री विज्ञान में रसायन विज्ञान, वायु और ध्वनि प्रदूषण, सतत निर्माण सामग्री में अग्रिम, निर्माण में अपशिष्ट सामग्री का उपयोग के विषयों पर विस्‍तृत चर्चा होगी। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में डा. विठ्ठल ल. गोले, डॉ. प्रशांत सैनी, डा. रविशंकर, डा. प्रतिक खरे और डा. ज्‍योति का भगीरथ प्रयास हो रहा है।

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