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आय से अधिक संपत्ति के मामले में पूर्व मंत्री राकेशधर त्रिपाठी को कोर्ट ने सुनाई तीन साल की सजा, लगाया 10 लाख का जुर्माना

प्रयागराज। आय से अधिक संपत्ति मामले में पूर्व मंत्री राकेशधर त्रिपाठी को तीन साल के कारावास और 10 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई है। यह फैसला इलाहाबाद जिला न्यायालय की एमपी-एमएलए कोर्ट ने सुनाया। विशेष अदालत ने 108 पन्नों में पूर्व मंत्री के खिलाफ फैसला दिया। भाजपा और बसपा सरकार में मंत्री रहे राकेश धर त्रिपाठी के खिलाफ इलाहाबाद जिला न्यायालय की एमपी एमएलए की विशेष अदालत में विचाराधीन आय से अधिक संपत्ति के मामले में शुक्रवार को फैसला सुनाया गया। 18 जून 2013 को सतर्कता अधिष्ठान प्रयागराज परिक्षेत्र के निरीक्षक राम सुभग राम ने उनके खिलाफ मुट्ठीगंज थाने में आय से अधिक संपत्ति मामले में मुकदमा पंजीकृत कराया था। आरोप लगाया गया था कि बसपा सरकार में मंत्री रहते अकूत संपत्ति अर्जित की थी। मामले की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश डॉ. दिनेश चंद्र शुक्ल की अदालत ने पूर्व मंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के अंतर्गत आरोप तय किया था। मामले की सुनवाई के बाद 31 जनवरी 2023 को ही फैसला सुनाया जाना था। लेकिन फैसला सुनाए जाने से पहले ही पत्रवाली पर उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर पूर्व मंत्री की पत्नी प्रमिला त्रिपाठी और बेटी पल्लवी त्रिपाठी की आय को भी शामिल करते हुए, मां बेटी को गवाही के लिए तलब किया था। इसके कारण फैसला टल गया था। इसके बाद शुक्रवार को फैसला सुनाया गया। जनप्रतिनिधि कानून की धारा 8(3) के मुताबिक यदि किसी व्यक्ति को दो साल या उससे ज्यादा की सजा होती है तो वह अयोग्य हो जाएगा। जेल से रिहा होने के छह साल बाद तक वह जनप्रतिनिधि बनने के लिए अयोग्य रहेगा। इसकी उपधारा 8(4) में प्रावधान है कि दोषी ठहराए जाने के तीन माह तक किसी जनप्रतिनिधि को अयोग्य करार नहीं दिया जा सकता है। और दोषी ठहराए गए सांसद या विधायक ने कोर्ट के निर्णय को इन दौरान यदि ऊपरी अदालत में चुनौती दी है तो वहां मामले की सुनवाई पूरी होने तक उन्हें अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है।

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