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कैलाश खेर के सूफियाना गीतों से काशी के गंगा घाटों पर गूंजे मुहब्‍बत के तराने

वाराणसी। राजघाट का मुक्ताकाशीय मंच। गंगा का किनारा। लहरों पर टिमटिमाती रंगीन रौशनी। सूफियाना गीतों से सजी शाम। गंगा किनारे जब कैलाश खेर की सूफियाना आवाज में मोहब्बत के तराने गूंजे तो हर सुनने वाला खुद को उस जादू से बचा नहीं सका। मध्य रात्रि तक सुर, संगीत और कैलाश की आवाज श्रोताओं को बांधे रही। साढ़े तीन घंटे से अधिक समय तक सूफी गीत, गजल और बॉलीवुड गीतों की त्रिवेणी गंगा के समानांतर प्रवाहित हुई। शनिवार को राजघाट पर सूफी सिंगर कैलाश खेर पहुंचे तो घाट की सीढि़यों पर बैठे दर्शकों ने हर-हर महादेव के जयघोष से कैलाश खेर का स्वागत किया। कैलाश खेर ने मंच से सभी को प्रणाम किया और अपने प्रस्तुति की शुरुआत नि मैं जाना जोगी दे नाल नी…से किया। इसके बाद कैलाश अपने रंग में ढलते चले गए। उन्होंने फिर मैं तो तेरे प्यार में दीवाना हो गया, तौबा तौबा वे तेरी सूरत, तू जाने ना… सहित बम लहरी… समेत अपने कई प्रसिद्ध गीतों की प्रस्तुतियां दीं। इसके पहले कार्यक्रम की शुरूआत गजल और बॉलीवुड गायिका प्रतिभा सिंह बघेल ने की। उन्होंने अपनी पहली प्रस्तुति मोरा अलबेला सजन…की तान छेड़ी तो श्रोता भी उनके साथ सुर में सुर मिलाने लगे। इसके बाद बॉलीवुड फेम गीत हम्मा हम्मा… हम्मा हम्मा, जुगनी जी…, बुल्लेया…, मेरे रस्के कमर, सैयोनी… सहित गई फिल्मी गीत और गजल की प्रस्तुतियों से पूरे मुक्ताकाशीय मंच पर बैठे दर्शकों को झूमने पर विवश कर दिया। इस दौरान जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह,मंत्री अनिल राजभर, केंद्रीय उद्योग राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल, राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार रविंद्र जायसवाल, एमएलसी हंसराज विश्वकर्मा मौजूद थे।

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