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मऊ की राजनीति में चाणक्य बनकर उभरे सांसद प्रतिनिधि गोपाल राय

मऊ। सरल स्वभाव के धनी मृदुभाषी गोपाल राय जो मऊ जनपद में मुख्यता वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान सक्रिय हुए। जो अपने मित्र भाई बसपा सपा संयुक्त लोकसभा प्रत्याशी अतुल राय के साथ उनके चुनावी कामकाज को संभालने आए थे। चुनाव प्रचार के दौरान ही एक युवती द्वारा अपने उत्पीड़न का आरोप लगाया गया जिस मामले में अतुल राय जेल चले गए जो अभी तक जेल में ही बंद हैं। इस दौरान चुनाव अतुल राय चुनाव जीतकर सांसद बन गए। गोपाल राय को सांसद प्रतिनिधि नामित किया गया। आमतौर पर सांसद प्रतिनिधि के जिम्मे बहुत कुछ रहता नहीं है लेकिन अगर सांसद जेल में हो तो सब कुछ सांसद प्रतिनिधि ही रह जाता है। लोक सभा घोसी में गाजीपुर का सांसद प्रतिनिधि, यह कुछ समझ में नहीं आया। एक बार लोगों को लगा कि सांसद प्रतिनिधि स्थानीय होना चाहिए। लेकिन गोपाल राय द्वारा निरंतर क्षेत्र में भ्रमण व अपने बात व्यवहार, कुशल कार्यप्रणाली से पूरे जनपद को पहचान लिया गया। मैं किसी की तारीफ नहीं कर रहा लेकिन गोपाल राय एक ऐसे शख्स बने जो अपने सांसद प्रतिनिधि बनने के एक साल के अंदर सभी गणमान्य से लेकर जनसामान्य तक को पहचानने ही नहीं लगे बल्कि अपनी कार्यप्रणाली से प्रभावित किए। विधानसभा चुनाव से लेकर अब तक लगातार बसपा का राजनीतिक प्रदर्शन गिरता जा रहा था ऐसे में गोपाल राय ही मऊ जनपद में बसपा के एक बड़े चेहरे के रूप में स्थापित हो गए। अभी गत दिनों निकाय चुनाव के दौरान एक अप्रत्याशित घटना घटी जब समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य व पूर्व में लोकसभा का चुनाव लड़ चुके कद्दावर नेता पूर्व चेयरमैन अरशद जमाल को सपा के टिकट से वंचित कर दिया गया। इसमें इसके बाद गोपाल राय द्वारा उक्त नेता अरशद जमाल से संपर्क कर पूर्व विधायक गुड्डू जमाली बसपा पार्टी के एकमात्र विधायक उमाशंकर सिंह सहित तमाम दिग्गजों को लेकर बसपा सुप्रीमो बहन मायावती से न केवल मुलाकात कराई बल्कि मऊ नगर पालिका परिषद चेयरमैन पद का टिकट भी दिलवा दिया। अब बारी थी एक माहौल बनाने की… एक तरफ भाजपा द्वारा सामान्य सीट पर अनुसूचित जाति के पूर्व बसपा नेता को टिकट देकर एक बड़ा दांव खेला गया जो अनसूचित मतों में बड़ी सेंधमारी की संभावना लगाई गई। वही गोपाल राय द्वारा निरंतर अपने मूल कैडर मतदाताओं की बस्तियों में नजर बनाकर सेधमारी को लगभग रोक दिया गया। चुनाव परिणाम बहुत अप्रत्याशित नहीं रहा, लेकिन कुछ अप्रत्याशित इस मामले में रहा की सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के चलते जहां 90% से अधिक मुसलमानों ने अरशद जमाल के पक्ष में विश्वास मत दिया। वही अनुसूचित बस्तियों में भाजपा द्वारा आधे से अधिक मत ले लेने के दांव पर गोपाल राय की सक्रियता ने पानी फेर दिया। बसपा प्रत्याशी अरशद जमाल काफी बड़े अंतर से चुनाव जीत चुके हैं। इतना ही नहीं गोपाल राय समूचे लोकसभा क्षेत्र जनपद में सभी नगर पंचायत अध्यक्ष प्रत्याशियों चुनाव लड़वातें नजर आए। जिसमें नगर पालिका परिषद मऊ के साथ ही अदरी में समर्थित प्रत्याशी राजकुमार जायसवाल इत्यादि को विजय दिलवा दिए। ऐसे में गोपाल राय की सक्रियता मिलनसार व्यवहार और उनकी कार्यप्रणाली यह सोचने पर मजबूर करती है एक सामान्य सा दिखने वाला शख्स मऊ की राजनीति में शख्सियत बनता नजर आने लगा कोई सोच ही नहीं पाया। विशेष बात यह कि अतुल राय को लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान के दौरान ही एक युवती द्वारा आरोप लगाए जाना और जेल के पीछे जेल में डाल दिए जाने के पीछे राजनीतिक पंडितों द्वारा कयास लगाया जाता रहा है कि इस सपा के एक मजबूत राष्ट्रीय चेहरे द्वारा अपना टिकट पक्का ना होता देख यह कवायद की गई। वहीं जब अरशद जमाल को ऐन मौके पर नगर पालिका परिषद चेयरमैन पद से सपा द्वारा टिकट नहीं दिया गया तो भी खुद अरशद जमाल द्वारा भी उन्हीं नेता की तरफ बगैर नाम लिए इशारा किया गया। वह नेता कौन हैं यह तो हम नहीं जानते लेकिन अगर सही उन्हीं एक नेता के चलते अतुल राय का जेल जाना हुआ व अरशद का टिकट कटा है। तो दोनों मौके पर गोपाल राय ने जेल जाने के बावजूद अतुल राय को सांसद व अरशद को टिकट कटने के बावजूद चेयरमैन बना दिया।

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