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आईआईटी बीएचयू की नई तकनीक, पराली से बनाया, कप, प्लेट, गिलास व कुल्हड़, मिला पेटेंट

वाराणसी। पराली से होने वाले प्रदूषण से निजात की आईआईटी बीएचयू ने नई तकनीक ढूंढ निकाली है। संस्थान के स्कूल ऑफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग के प्रो. प्रोद्युत धर के निर्देशन में शोध छात्रों ने पराली से कप, प्लेट, ग्लास, कुल्हड़ और स्ट्रा बनाया है। पराली के बने ये उत्पाद न सिर्फ पर्यावरण के लिए उपयोगी होंगे बल्कि सेहत को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। बीते दो जनवरी को ही इस तकनीक को पेटेंट भी मिल गया है। प्रो. प्रोद्युत धर ने बताया कि पराली से बनाए गए इन उत्पादों में किसी भी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया गया। बाजार में मिलने वाले डिस्पोजेबल ग्लास और कप के ऊपर भी केमिकल की कोटिंग की जाती है। पराली से इन उत्पादों को बनाने के लिए हमने एग्रोकेमिकल का इस्तेमाल किया है। ये सेहत के लिए किसी भी तरह से नुकसानदायक नहीं है। ये उत्पाद पूरी तरह से प्राकृतिक हैं। खास बात ये है कि इसमें रखे जाने वाले खाद्य पदार्थ एक सीमित समय तक गर्म भी रहेंगे। प्रो. धर ने बताया कि बीते दो जनवरी को इसे पेटेंट भी मिल गया है। प्रो. धर के मुताबिक पराली जलाने का सबसे ज्यादा नुकसान पर्यावरण को होता है लेकिन इससे किसान भी परेशान रहते हैं। अब पराली का इस्तेमाल जब वृहद स्तर पर इन उत्पादों को बनाने में होगा तो इसका फायदा किसानों को भी होगा। किसानों से पराली खरीदे जाएंगे तो उनके लिए ये एक कमाई का जरिया भी बन जाएगा। आईआईटी हैदराबाद में 18 जनवरी से होने वाले रिसच एंड डेवलपमेंट इनोवेशन फेयर इनवेंटिव में आईआईटी बीएचयू का ये प्रोजेक्ट भी शामिल होगा। सस्टेनेबल मैटेरियल कैटेगरी में इन उत्पादों को वहां प्रदर्शित किया जाएगा।

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