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महाशिवरात्रि पर शिवयोग समेत चार योग और होली पर ध्रुव योग समेत दो योग, श्रद्धालुओं की मनोकामनाओं को करेंगे पूर्ण

वाराणसी। माघ पूर्णिमा के समापन के साथ ही हिंदू पंचांग के आखिरी महीने की शुरुआत हो गई है। शादी-विवाह, मुंडन और गृह प्रवेश के साथ ही रंग-बिरंगे त्योहार रंगभरी व होली के साथ ही महाशिवरात्रि भी मनाई जाएगी। महाशिवरात्रि पर शिवयोग समेत चार योग और होली पर ध्रुव योग समेत दो योग श्रद्धालुओं की मनोकामनाओं को पूरा करेंगे। रंग और उमंग के महीने फाल्गुन की शुरुआत 25 फरवरी यानी आज से हो रही है और समापन होली के साथ 25 मार्च को होगा। इस महीने की पूर्णिमा पर चंद्रमा फाल्गुनी नक्षत्र में होते हैं जिस कारण इस महीने को फाल्गुन कहा जाता है। काशी विद्वत कर्मकांड परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी के अनुसार महाशिवरात्रि पर सर्वार्थ सिद्धि योग, शिव योग, सिद्धि योग और श्रवण नक्षत्र का संयोग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग में महाशिवरात्रि का होना शिवजी की विशेष कृपा देने वाला है। इस योग में व्रत और पूजा मनचाही सफलता दिलाएगी। सर्वार्थ सिद्धि योग शुक्रवार को होने से इसका शुभ प्रभाव और भी बढ़ जाता है। काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के सदस्य पं. दीपक मालवीय ने बताया कि रंगभरी एकादशी पर बाबा विश्वनाथ माता का गौना कराकर काशी की गलियों में निकलेंगे। आमलकी/रंगभरी एकादशी का आरंभ 19 मार्च को रात में 12 बजकर 22 मिनट से शुरू होकर 20 मार्च को रात में 2 बजकर 23 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि और पुष्य नक्षत्र में रंगभरी एकादशी का पर्व 20 मार्च को मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्य पं. दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि होली पर वृद्धि और ध्रुव योग का संयोग मिल रहा है। होलिका दहन पर भद्रा का साया भी है। 24 मार्च को होलिका दहन के दिन ही भद्रा भी लग रही है। भद्रा सुबह 9:54 बजे से रात 11:13 बजे तक है। भद्रा की पूंछ का समय शाम 6:33 बजे से शाम 7:53 बजे तक है। भद्रा का मुख का समय शाम 7:53 बजे से रात 10:06 बजे तक है। पंचांग के अनुसार होलिका दहन के दिन पृथ्वी लोक पर भद्रा का वास सुबह 09:54 बजे से दोपहर 02:20 बजे तक है, पृथ्वी लोक की भद्रा ही हमारे लिए प्रभावी मानी जाती है। इसलिए इस समय कोई काम नहीं करते, वहीं पाताल लोक भद्रा का वास दोपहर 02:20 बजे से रात 11:13 बजे तक है। ऐसे में होलिका दहन का मुहूर्त रात 11.13 बजे से रात 12.07 बजे तक है।

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