गाजीपुर। हाईकोर्ट लखनऊ खंडपीठ के न्यायमूर्ति शमीम अहमद ने कहा कि सिद्धपीठ हथियाराम मठ अलौकिक और पौराणिक स्थल है। उन्होने कहा कि सिद्धपीठ हथियाराम मठ का इतिहास करीब 900 वर्ष पुराना है। इसका उल्लेख गजेटियर और ब्रिटानिया सरकार के अभिलेखों में मिलते हैं। यहां पर आने से सुकून की अनुभूति होती है। सिद्धपीठ हथियाराम के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी भवानी नंदन यति सिद्ध और ज्ञानी संत हैं। जिन्होने अपने परिश्रम और तप के बदौलत इस मठ की की कीर्ति देश के अलावा विदेशों तक फैलाया है। प्रांगण में स्थित नवग्रह वाटिका में पौधरोपण कर हमें एक नई ऊर्जा मिली। मानव समाज की रक्षा के लिए प्रत्येक व्यक्ति को एक वृक्ष लगाना चाहिए। वृक्ष ही मानवता को बचा सकता है। जो व्यक्ति वृक्ष लगाये उसकी यह जिम्मेदारी बनती है कि वह वृक्ष की रक्षा करे, उसे पानी और खाद दे जिससे कि उसका समुचित विकास हो।