मऊ। जिस धार्मिक अनुष्ठान या कर्म से सबका लाभ हो, लोक कल्याण हो उसे सत्कर्म कहते हैं। पुण्य कर्म हम व्यक्तिगत पूजन पाठ, कथा श्रवण से भी कर सकते हैं। लेकिन एक अनुष्ठान, कथा, यज्ञ इत्यादि का आयोजन कर उसके माध्यम से लोगों को पुण्यार्जन कराने वाला व्यक्ति सत्कर्म का लाभ पाता है। उपरोक्त बातें कोलकाता स्थित कालीघाट शक्तिपीठ में आयोजित सतचंडी अनुष्ठान के पूर्णाहुति पर शिष्य श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए काशी के प्रकांड वैदिक विद्वान आचार्य मथुरा प्रसाद शुक्ल ने कहा। गौरतलब हो कि जायसवाल समाज सेवा समिति मऊ जिलाध्यक्ष लालबहादुर जायसवाल “लल्लू बाबू” द्वारा संकल्पित 51 शक्तिपीठ पर शतचंडी अनुष्ठान के क्रम में 17 शतचंडी अनुष्ठान कालीघाट शक्तिपीठ कोलकाता पश्चिम बंगाल में संपन्न हुआ। काशी के प्रकांड वैदिक विद्वान आचार्य मथुरा प्रसाद शुक्ल के आचार्यत्व में दर्जनों वैदिकों द्वारा एक सप्ताह तक चले इस अनुष्ठान की पूर्णाहुति शनिवार को कालीघाट शक्तिपीठ मंदिर स्थित भारत सेवाश्रम आश्रम में संपन्न हुई। यज्ञोपरांत विशालकाय भंडारे का आयोजन रविवार को संपन्न हुआ। गौरतलब हो की देवी भगवती के 51 शक्तिपीठ केंद्रों पर होने वाले इस अनुष्ठान के क्रम में देश के कोने-कोने सहित बांग्लादेश, श्रीलंका व पाकिस्तान तक शक्तिपीठ मंदिर स्थित हैं। जहां उपरोक्त अनुष्ठान संपन्न होंगे। सबसे विशेष बात यह रही कि इस अनुष्ठान में लालबहादुर जायसवाल के साथ, उनके परिवार, कुटुंब व इष्ट मित्र रिश्तेदार शामिल रहे। 10 दिनों से अधिक तीर्थ क्षेत्र में प्रवास कर अनुष्ठान में यजमान के भूमिका में उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं, जो धर्म के प्रति समर्पण का एक अनूठा उदाहरण देखने को मिल रहा है। पूर्णाहुति आशीर्वाद देते हुए वैदिकों ने कहाकि मां भगवती दुर्गा जी इन्हें, इनके परिवार व समस्त यजमानों को शक्ति दें और लंबी उम्र दें जिससे लोक कल्याणकारी सत्कर्म सभी शक्तिपीठों पर संपन्न हो सके। उन्होंने कहाकि पुण्य कर्म वह कहलाता है जिसके माध्यम से हम व्यक्तिगत लाभ पा सकते हैं। लेकिन हम अपने कर्मों से अन्य लोगों को लाभान्वित कर रहा सकें वह एक सत्कर्म कहलाता है। जिसमें हम सभी की सहभागिता एक पवित्र संदेश देती है।