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हरिन्द्र नाथ चट्टोपाध्याय के साहित्य ने भारतीय पुनर्जागरण काल और आधुनिक भारत के मध्य एक सेतु का कार्य किया- राकेश वर्मा

गाजीपुर। स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गाजीपुर में पूर्व शोध प्रबन्ध प्रस्तुत संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी महाविद्यालय के अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ तथा विभागीय शोध समिति के तत्वावधान में महाविद्यालय के सेमिनार हाल में सम्पन्न हुई, जिसमें महाविद्यालय के प्राध्यापक, शोधार्थी व छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे। उक्त संगोष्ठी में भाषा संकाय के अंतर्गत अंग्रेजी विषय के शोधार्थी राकेश वर्मा ने अपने शोध  प्रबन्ध शीर्षक “हरिन्द्र नाथ चट्टोपाध्याय के नाटकों में सामाजिक आलोचना: एक चयनित अध्ययन” नामक विषय पर शोध प्रबन्ध व उसकी विषय वस्तु प्रस्तुत करते हुए कहा कि हरिन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय एक बहु प्रतिभा सम्पन्न लेखक थे। उन्होंने कविता, कहानियाँ एवं नाटक लिखें हैं। प्रस्तुत शोध प्रबंध में उनके प्रसिद्ध मुख्य नाटक खिड़की, तोता, सन्तरी की लालटेन, ताबूत, शाम की लालटेन में वर्णित सामाजिक सरोकारों का अध्ययन किया और पाया कि उनकी लेखनी ने भारतीय पुनर्जागरण काल और आधुनिक भारत के मध्य एक सेतु का कार्य किया है साथ ही साथ उनके नाटकों में वर्ग-संघर्ष भी पाया गया। प्रस्तुतिकरण के बाद विभागीय शोध समिति, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ व प्राध्यापकों तथा शोध छात्र-छात्राओं द्वारा शोध पर विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे गए जिनका शोधार्थी राकेश वर्मा ने संतुष्टिपूर्ण एवं उचित उत्तर दिया। तत्पश्चात समिति एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने शोध प्रबन्ध को विश्वविद्यालय में जमा करने की संस्तुति प्रदान किया। इस संगोष्ठी में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के संयोजक प्रोफे० (डॉ०) जी० सिंह , मुख्य नियंता प्रोफेसर (डॉ०) एस० डी० सिंह परिहार, शोध निर्देशक व अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफे० (डॉ०) रविशंकर सिंह, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के सदस्य प्रोफे (डॉ०) अरुण कुमार यादव, डॉ० राम दुलारे, डॉ० कृष्ण कुमार पटेल, डॉ० एस० एन०मिश्र, डॉ० इंदीवर रत्न पाठक, डॉ० अशोक कुमार डॉ० आर० एन० तिवारी, डॉ० मनोज कुमार मिश्र, डॉ०धर्मेंद्र कुमार, डॉ०रमेश चंद्र, डॉ०आबिद अंसारी एवं महाविद्यालय के प्राध्यापकगण तथा शोध छात्र छात्रएं आदि उपस्थित रहे। अंत मे शोध निर्देशक प्रोफे० (डॉ०)रविशंकर सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया एवं संचालन  अनुसंधान एवं विकास प्रोकोष्ठ के संयोजक प्रोफे० (डॉ०) जी० सिंह ने किया।

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