वाराणसी। पहडिया स्थित अशोका इंस्टीट्यूट में वैल्यु एजुकेशन सेल अशोका एण्ड ए0आई0सी0टी0ई0, एन0सी0सी0आई0पी0 द्वारा आयोजित सार्वभौमिक मानवीय मूल्य (यू0एच0वी0) वर्कशॉप में मानव की मूल चाहना और उसकी पूर्ति समग्र विकास और शिक्षा की भूमिका विषय पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला में मुख्य वक्ता डा0 हिमांशु कुमार राय और असिस्टेंट प्रो0 डा0 प्रियंका राय कार्यशाला में महत्वपूर्ण बिंदु पर चर्चा कालेज में लेट आने वाले छात्र के साथ स्नेह का भाव रखें स्नेह पाने वाले बच्चे को प्यार से स्पामझाकर उसकी योग्यता को बढाने का प्रयास करें क्योंकि उस छात्र के लेट आने के किसी तरह की दुर्घटना कारण हो सकती है। मानव की मूल चाहना आधार है जिसमें भेद, लिंग के स्तर पर, आयु के आधार पर, वंश एवं बल के स्तर पर मान्यता के स्तर पर, वाद ,संप्रदाय , सूचना इत्यादि के स्त्र पर करते हैं तो ऐसे में भेद अपमान के रुप में है जो सहज स्वीकार्य नहीं होता परिणाम के तौर पर विरोध व आन्दोलन का रुप लेता है । वहीं परिवार में ममता, वात्सल्य जैसे भाव को संरक्षित करने पर संबंधी के शरीर के पोशण व संरक्षण की स्वीकृति का भाव जागृत होता है वात्सल्य में संबंधी को जिम्मेदार बनाने की स्वीकृति का भाव है। साथ ही साथ कार्यशाला में प्रकृति व अस्तित्व के स्तर पर समझ और जीने के विचार को स्पश्ट रुप से रखा गया। कार्यक्रम के अंतिम दिन समापन सत्र में कार्यशाला में भागीदारी कर रहे शिक्षकों ने कर्यशाला में मिलने वाले लाभ के बारे में चर्चा की और उन्होंने बताया कि कैसे हमें तीन दिन की कार्यशाला से अपने अंदर बदलाव पाया क्योंकि कार्यशाला का महत्व ही हमें पहले अपने को समझना है ताकि हम दूसरे के भाव को अच्छी तरह से समझ सकें। कार्यक्रम में अशोका स्कूल ऑफ बिजनेस के प्राचार्य डा0 श्रीश श्रीवास्तव, डायरेक्टर फार्मेसी डा0 बृजेश सिंह और संस्थान की डायरेक्टर डा0 सारिका श्रीवास्तव उपस्थित रहे कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डा0 हिमांशु कुमार राय और असिस्टेंट प्रो0 डा0 प्रियंका राय व पर्यवेक्षक ए0आई0सी0टी0ई0 ऋशि राज राजन को अंग वस्त्र व स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया गया। चेयरमैन ई0अंकित मौर्य, वाइस चेयरमैन डा0 अमित मौर्य, अशोका स्कूल ऑफ बिजनेस के प्रबंध निदेशक अनुभव मौर्य ने कार्यशाला की सफलता के लिए वैल्यु एजूकेशन सेल की पूरी टीम का आभार व्यक्त किया और सभी ने इस कार्यशाला को आने वाले समय में दोबारा कराए जाने पर अपनी स्वीकृति दी मुख्य वक्ता ने जाते जाते सभी से यह बात कही कि ये कार्यशाला का समापन नहीं है बल्कि अब इस पर आगे और कार्यक्रम बनाकर समाज को बेहतर बनाने का प्रयास किया करेंगे।