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गाजीपुर: कृषि विज्ञान केंद्र आंकुशपुर में 21 दिवसीय व्यवसायिक प्रशिक्षण का हुआ शुभारंभ

गाजीपुर। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र आंकुशपुर ग़ाज़ीपुर के प्रशिक्षण हाल में खाद्य प्रसंस्करण व मूल्य संवर्धन विषय पर इक्कीस दिवसीय व्यावसायिक प्रशिक्षण का शुभारम्भ हुआ। | इस अवसर पर केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. आर. सी. वर्मा ने  बताया कि यह व्यवसायिक प्रशिक्षण केन्द्र पर चल रहे अनुसूचित जाति उप परियोजनान्तर्गत चयनित कृषको के लिए आयोजित किया गया है। डॉ. वर्मा ने इस व्यावसायिक प्रशिक्षण के महत्व के बारे में बताते हुए यह भी बताया कि खाद्य प्रसंस्करण व मूल्य संवर्धन विषय का प्रशिक्षण प्राप्त करके बेरोजगार नवयुवक रोजगार का साधन बना सकते है। जिससे पूरे साल रोजगार पैदा होता है और अतिरिक्त आय भी होती है। इस कर्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. सिया राम सिंह ने बताया की दूध एवं मांस प्रसंस्करण के क्षेत्र में किसान भाई इस व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से कैसे रोजगार का साधन बना सकते है। इसके साथ ही साथ उन्होने गाय के गोबर एवं मूत्र से कैसे जैविक खेती के घटक जैसे वर्मी कम्पोस्ट, जीवामित्र, इत्यादि तैयार एवं प्रयोग करने की विधि पर विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि किसान भाई अपने खेत में जैविक तरीके से उत्पादन कर मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाकर गुणवत्ता युक्त उत्पाद प्राप्त कर अच्छा मुनाफा अर्जित कर सकते है। उक्त अवसर पर केंद्र के वैज्ञानिक एवं प्रशिक्षण संयोजक डॉ शशांक शेखर ने बताया की भारत सरकार द्वारा कराये गये सर्वे तथा विभिन्न रिपोर्टों के आधार पर खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर में मूल्य संवर्धन तथा लेवल ऑफ प्रोसेसिंग अन्य देशों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है। देश में प्रसंस्करण का स्तर 10 प्रतिशत तथा उत्तर प्रदेश में प्रसंस्करण का स्तर 06 प्रतिशत है। जबकि अन्य देशों में प्रसंस्करण स्तर कहीं अधिक है। इसके साथ ही साथ डॉ शेखर ने यह भी बताया कि भारत सरकार द्वारा आगामी पाँच वर्षों में इसे 20 प्रतिशत करने का लक्ष्य है। उत्तर प्रदेश में भी यही स्तर प्राप्त करना प्रस्तावित है। डॉ. शेखर ने इस प्रशिक्षण के माध्यम से राज्य की ग्रामीण आय में वृद्धि के लिए भविष्य की सम्भावनाओ के बारे में बताते हुए कहा कि भारत में खाद्यान्न, बागवानी उत्पाद, दूध एवं मांस के कुल उत्पादन के मामलों में कृषि क्षेत्र में उत्तर प्रदेश का प्रमुख स्थान है। बड़े बाजार, उत्पादन की कम लागत एवं मानव संसाधन के अलावा कच्ची उपज की पर्याप्त उपलब्धता के कारण राज्य में बागवानी एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना के लिए काफी संभावना है। इस व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से बेरोजगार नवयुवा खाद्यान्न, बागवानी उत्पाद, दूध एवं मांस उत्पादों का प्रसंस्करण करके रोजगार का एक अच्छा माध्यम बना सकते है। केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जे. पी. सिंह ने कहा कि प्रशिक्षण का मुख्य उद्येश्य है नवयुवा को रोजगार मिलना और साथ ही साथ किसानों को वैज्ञानिक तरीको से नई तकनीक से भी जोड़ना। केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. नरेन्द्र प्रताप ने प्रशिक्षण के दौरान बीज उपत्पादन के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि किसान भाई अपने खेत में बीज उत्पादन कर अधिक मुनाफा कमा सकते है। केंद्र के उद्यान वैज्ञानिक डॉ. शशांक सिंह ने नर्सरी एवं बागवानी उत्पादन के बारे में विस्तार से चर्चा किया। इस व्यावसायिक प्रशिक्षण में कुल पन्द्रह प्रतिभागी प्रतिभाग कर रहे है।

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