मऊ। सही सोच, सही दिशा, और सही समय हमेशा इन तीनों का संयोजन ही छात्रों का कैरियर बनाता है। सही सोच के लिए अपने को जानो, अपनों को पहचानो और अपने जैसा बनो यही इसका मूल मंत्र है। उपरोक्त बातें रोटरी क्लब प्राइड मऊ द्वारा आयोजित वर्कशॉप “करियर नॉट बाई चांस, बट बाई चॉइस” शीर्षक पर मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित लखनऊ से आए करियर काउंसलर डॉक्टर डी के वर्मा ने कहा।कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए डीसीएसके पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ सर्वेश पांडेय ने अतिथियों का स्वागत किया एवं सभी छात्र-छात्राओं को बताया कि ऐसे वर्कशॉप की क्यों आवश्यकता है। आज युवा वर्ग मोबाइल और व्हाट्सएप के कारण भ्रमित है और उन्हें वास्तविक ज्ञान प्राप्त नहीं हो रहा है। ऐसे वर्कशॉप उन्हें सकारात्मक सोच की ओर प्रेरित करते हैं। इसके बाद राकेश गर्ग ने डॉक्टर डी के वर्मा का लोगों से परिचय कराया। डॉक्टर वर्मा छात्र-छात्राओं को अपना भविष्य संवारने के लिए आगे कहा कि संसार नजर नहीं नजरिए से देखा जाता है। सभी की नजर एक जैसी ही होती है, लेकिन सोचने का नजरिया सबका अलग होता है। तरक्की के लिए हमेशा सकारात्मक सोच से काम नहीं चलता उसके लिए सकारात्मक कार्य को करना पड़ता है तभी हम अपने उज्जवल भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। किसी भी छात्र को यह जरूर जानना चाहिए कि कोई भी विषय सफलता की गारंटी नहीं लेता ऐसा नहीं है कि हम बी एस सी या बीकॉम करके सफल हो जाएंगे। सफलता तभी मिलेगी जब हम उसके प्रति समर्पित होंगे और उसमें उसकी गहराइयां तक जाएंगे, विषय में हम नंबर तो ला सकते हैं। लेकिन सफल होने के लिए अथक परिश्रम की आवश्यकता होती है। करोना काल के बाद से नंबर की बजाय ज्ञान पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। भले हमारे नंबर अच्छे हो लेकिन अगर उसे विषय में ज्ञान नहीं है तो सब बेकार है। आपको समय नहीं रहा कि सिर्फ मार्कशीट में नंबर अच्छे हो तो नौकरी मिल जाएगी, अब समय बदल गया है। हम तभी एक कामयाब इंसान बन सकते जब हम अपने काम का ज्ञान होगा। ऐसे कई व्यक्ति के उदाहरण मिल जाएंगे जो अपने करियर में बहुत ही ऊंचे स्थान पर है लेकिन अगर उनके अतीत में जाएं तो उनके पढ़ाई बहुत कमजोर थी या वह बहुत कम पढ़े लिखे थे। हम जिस भी संस्थान से पढ़े या जिस भी संस्थान में कार्य करें उसका सम्मान अवश्य करें। यदि हम उसका सम्मान नहीं करेंगे तो हम तरक्की नहीं कर सकेंगे। उन्होंने अब्राहम लिंकन का उदाहरण देते हुए कहाकि उनके पिताजी जूते बनाते थे लेकिन उन्हें इस बात का कभी अफसोस नहीं होता था। एक सम्मेलन में उन्होंने कहाकि उन्हें गर्व है कि वो ऐसे इंसान के बेटे है जो जूते बनाते है। जिस दिन हम अपने संस्थान और माता-पिता पर गर्व करना बंद कर देंगे उसे दिन करियर गिर जाएगा। इन तमाम अपने विचारों से डॉक्टर वर्मा ने छात्रों को अपना अपने भविष्य को सुंदर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। कार्यक्रम के अंत में डी सी एस के पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर सर्वेश पांडे ने सभी उपस्थित लोगों को धन्यवाद ज्ञापित किया। इस कार्यक्रम में डी सी एस के पीजी कॉलेज के छात्र छात्राएं, शिक्षक, प्राचार्य डॉ सर्वेश पांडे, क्लब के अध्यक्ष जितेंद्र राखोलिया, कार्यक्रम संयोजक कृष्णा खंडेलवाल, सदस्य राकेश गर्ग, विजय बहादुर पाल, डॉ रघुनंदन अग्रवाल, सुशील अग्रवाल, बृजेश उमर, आशीष अग्रवाल, गिरिराज शरण अग्रवाल, अनूप खंडेलवाल,अजय अग्रवाल,अरुण अग्रवाल सहित बड़ी संख्या में विभिन्न कॉलेजों के छात्र-छात्रा एवं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे किशोर युवा उपस्थित रहे।