Breaking News

सर सैयद का का सपना था गाजीपुर में बनें विश्‍वविद्यालय- पूर्व डीजीपी एम.डब्ल्यू. अन्सारी

गाजीपुर। सर सैयद अहमद खाँ का 207 वीं जन्मदिन एम. ए. एच. इण्टर कालेज के नव निर्मित ‘सर सैयद हाल में बृहस्पतिवार को मनाया गया। इस मौके पर वर्तमान भारतीय परिवेश में सर सैयद की प्रासंगिक्ता पर चर्चा हुई। कार्यक्रम की शुरूआत पवित्र ग्रंथ ‘कुरआन शरीफ’ की तिलावत से की गई। विद्यालय के प्रधानाचार्य मो० खालिद अमीर में आये हुए अतिथियों का परिचय कराया और माल्यार्पण की रस्म अदा करने के बाद कालेज के प्रबन्धक श्री हाजी मु० वारिस हसन खाँ द्वारा विद्यालय मेमेन्टो मुख्य अतिथियों को भेंट किया गया। उसके उपरन्त सर सैयद के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर वक्ताओं ने विचार प्रस्तुत किया तथा शायरी के माध्यम से भी वर्तमान समय में उनके विचारों और भावनाओं को प्रासंगिक बताया। एमडब्ल्यू, अन्सारी I.P.S. पूर्व D.G.P. छत्तिसगढ़ ने बताया कि आज का दिन केवल ‘यौमें पैदाईश’ के रूप में न मनाया जाय बल्कि उनके शिक्षा के मिशन को आगे बढ़ाया जाय। खासकर देश के नवजवान लड़के और लड़कियों को शिक्षित और कुशल बनाया जाय तभी देश का विकास सम्भव है। गाजीपुर में सर सैयद का स्वप्न था कि यहां विश्वविद्यालय स्थापित हो। यहाँ के विद्यार्थियों के लिए इस जनपद में विश्वविद्यालय होना आवश्यक है जब देश के यूवा 100 प्रतिशत शिक्षित होंगे कुशल नागरिक बनेंगे तो देश निश्चित रूप से विकसित होगा। रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे, बेरोज़गारी समाप्त होगी, देश की बागडौर शिक्षित लोगो के हाथ में होगी, देश की अर्थ व्यवस्था विश्व में मज़बूत होगी, भ्रष्टाचार खत्म होगा और फिर भारत देश का झण्डा संसार में लहराएगा। सर सैयद ने साईन्स और टेकनोलाजी पर ज़ोर दिया। वे वैज्ञानिक सोच के हिमायती थे यही उनका मिशन था। उनके स्वप्नो को वर्तमान में पूर्ण करने की ज़रूरत है। प्रोफेसर डाक्टर शम्भूनाच तिवारी हिन्दी विभाग, ए०एम०यू० अलीगढ़ में कहा कि सर सैयद की प्रतिभा विचार और दर्शन बहुत उंचे थे वे दूरदर्शी थे, सरकारी नौकरी के दौरान वे जहाँ-जहाँ गए वहां-वहां शिक्षा के लिए विद्यालय खुलवाया, बिजनौर, फतेहपुर सिकरी, दिल्ली, मुरादाबाद, ग़ाज़ीपुर, वाराणसी आदि। सन् 1864 में ग़ाज़ीपुर में पहला मदरसा खुलवाया उसी वर्ष साइंटिफिक सोसायटी की स्थापना की। उनकी सोच थी कि जबतक हम शिक्षित नहीं होंगे, आधुनिक शिक्षा ग्रहण नहीं करेंगे तबतक वास्तविक रूप में भारत का नवनिर्माण नहीं हो सकता। सर सैयद ने सन् 1883 में पटना में स्पष्ट रूप से कहा था कि यह मुल्कहिन्दुस्तान ही हम दोनो का वतन है इसकी सेवा से ही हम दोनो जीते है, पवित्र गंगा यमुना का पानी पीते है, हिन्दुस्तान की पैदावार हम दोनो खते हैं, मरने जीने में हम दोनो का साथ है। मुसलमानों ने हिन्दुओं की सैकड़ो रसमें अख्तियार की और हिन्दुओं ने मुसलमानों की सैकड़ों आदते लेलीं। हिंदुस्तान एक दुल्हन के समान है और इसकी दो खूबसूरत और रसीली आंखे हिंदू और मुसलमान हैं, इन दोनों आंखों का सुरक्षित रहना ही देश रूपी दुल्हन की विशेषता है। प्रोफेसर डॉक्टर आफताब आलम अफाकी उर्दू विभाग, बी०एच०यू० वाराणसी ने कहा कि सर सैयद अहमद खान, पडित मदन मोहन मालवीय ने कौम और मिल्लत के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया। दोनों देश की कुरीतियों को दूर करके आने वाली पीढ़ियों के लिए शिक्षा और ज्ञान का कार्य किया। मालवीय जी ने तो कहा है कि जैसे धार्मिक कथा सुनता हूं उसी प्रकार मिलाद भी सुनता हूं। जो धर्म को मानने वाले हैं उनमें कहीं कोई संदेह नहीं है। अज्ञानता ही सभी बुराइयों की जड़ है। समाज को एहसासे कमतरी से बाहर निकालने की जरूरत है। मालवीय जी और सर सैयद मुल्क के इत्तेहाद एवं ज्ञान के साथ विज्ञान की बातें करते थे। वर्तमान युग वैज्ञानिक युग है। हमें शैक्षिक विकास को सभ्यता से जोड़ने की जरूरत है। भारत जैसा देश संसार में कोई नहीं है यह हमारी धरोहर है। प्रोफेसर डॉक्टर महताब आलम, सीनियर जर्नलिस्ट, भोपाल ने कहा की सर सैयद ने अपनी जिंदगी का आगाज पत्रकारिता से किया। पत्रकारिता के माध्यम से उन्होंने बताया कि जब तक आप जागरूक नहीं होंगे अपने अधिकारों के लिए आवाज़ नहीं उठाएंगे तब तक आपको कुछ मिलेगा नहीं। वे जब दिल्ली से अनेक शहरों से होते हुए ग़ाज़ीपुर आए। सन् 1864 ईस्वी में गाजीपुर ने भारत को साइटिफिक सोसाइटी दिया जिसकी कामयाबी ने आज भारत को चंद्रयान के मिशन तक पहुंचाया। महाराजा बनारस, काशी नरेश और राजा जयकिशन को साइंटिफिक सोसायटी की, सर सैयद ने जिम्मेदारी दी। सर सैयद देशी भाषाओं के पक्षधर थे क्योंकि यहां बहुभाषाएं थी उसे अनुवाद के ज़रिए शिक्षा में शामिल किया जाता था। उनका यह विचार था कि जब सभी लोग अपनी-अपनी भाषाओं में आधुनिक शिक्षा ग्रहण करेंगे तभी देश तरक्की करेगा। अगर गाजीपुर में विश्वविद्यालय खुलता है तो सर सैयद के स्वप्न को ही पूरा नहीं माना जाएगा महाराजा बनारस, काशी नरेश और राजा जयकिशन के ख्वाबों की तामीर होगी।

प्रसिद्ध शायर डॉ० अंजुम बाराबंकवी ने दार्शनिक अन्दाज़ में शेर प्रस्तुत करते हुए कहा- “अपना किरदार बना लीजिए उर्दू की तरह। आपका जिक्र किया जाएगा खुशबू की तरह।।”

आप अपना चरित्र ऐसा बना लीजिए कि लोग आपकी खुद तारीफ करें। खुशबू को किसी वकील की जरूरत नहीं होती। वह अपना परिचय स्वयं दे देती है।गाजीपुर के पुलिस अधीक्षक डॉक्टर इराज राजा,  आमिर इद्रीसी, अध्यक्ष एसोसिएशन आफ मुस्लिम प्रोफेशनल्स आदि लोगों ने सभा को संबोधित किया। इस अवसर पर सर सैयद के जीवन दर्शन एवं क्रिया-कलापों पर एक प्रदर्शनी भी लगाई गई।विद्यालय के प्रधानाचार्य मोहम्मद खालिद अमीर ने कहा कि सर सैयद ने देश की एकता अखंडात और वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखते हुए दार्शनिक एवं दूरदर्शिता से संपन्न थे। भयानक विरोध के बावजूद उन्होंने वैज्ञानिक सोच पर बल दिया। सर सैयद के विचारों को आगे बढ़ाना इसका प्रचार-प्रसार करना हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है। सर सैयद ने जो भी कार्य किया भारत के नवनिर्माण और शिक्षा की मज़बूती

“मजाज़” का लिखा तराना धुन के साथ प्रस्तुत किया गया-

ये मेरा चमन है मेरा चमन, मैं अपने चमन का बुलबुल हूँ।

सर-शार-ए-निगाह-ए-नर्गिस हूँ, पाबस्ता-ए-गेसु-ए-सुबुल हूँ।

ये मेरा चमन, ये मेरा चमन, ये मेरा चमन है मेरा चमन। जो अब यहाँ से उद्वेगा वो सारे जहाँ पर बरसेगा।

मैं अपने चमन का बुलबुल हूँ।

खुद अपने चमन पर बरसेगा, गैरों के चमन पर बरसेगा। ये अब हमेशा बरसा है, ये अब हमेशा बरसेगा।

बरसेगा. बरसेगा. बरसेगा।

विद्यालय के प्रबंधक जनाब हाजी वारिस हसन खान सभी आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।  इस अवसर पर तनवीर अहमद खान एडवोकेट, मोहम्मद मजहर हुसैन, हुमायूं खान, शाहनवाज खान, इफ्तेखार अहमद एडवोकेट, डॉ ओबैदुर्रहमान सिद्दीकी, जियाउर्रहमान (डब्बू), अमरनाथ तिवारी, सलमान बशर, आसिफ खान, संजीव कुमार गुप्ता, फारूक अंसारी, डॉक्टर रूहुल्लाह, राजेश कुमार सिंह, शम्स तबरेज खान, शाहजहां खान, मोहम्मद अफजल खान, मोहम्मद इस्माइल वारसी, आसिफ इकबाल फारुकी, डॉ० रियाज अहमद, मोहम्मद नदीम सिद्दीकी, जीशान हैदर, इम्तियाज अहमद, शमसुल आरफीन, तसनीम फारूकी, अकबरे आज़म, मोहम्मद मीसम, आनंद कुमार बिंद, मोहम्मद रफी, मोहम्मद सलीम, सईदुल हसन, जावेद अहमद, मोइनुद्दीन, आकाश कुमार सिंह, शहाब शमीम, शहाबुद्दीन तैयब, मंसूर अली खान, मोहम्मद रोमन, सैफुद्दीन सिद्दीकी, महबूब फरोग, शीराज हैदर, गुलाम हुसैन, मुर्शिद अली, खान वसीफुल्लाह खान, संदीप कुमार, खुर्शीद अहमद, अफज़ल सुल्तान, महताब खान, चन्दा, आलम आरा, नीलम मिश्रा, सुनीता यादव, नमीरा, हसीना, दानिश, अमरजीत राम बिन्द, शिवा कुशवाहा, तनवीर, मनोज यादव, विनोद यादव, मुकेश श्रीवास्तवा, जितेन्द्र यादव, मोहम्मद आरिफ, जावेद अमानी, मो० जहाँगीर अंसारी, कमरुञ्जमा अंसारी, डा० फखरेआलम, इनायतुल्लाह, एस०के० राय, आदि प्रमुख लोग मौजूद थे। संचालन डॉक्टर लाईक अहमद ने किया।

 

 

Image 1 Image 2

Check Also

विधानसभा उपचुनाव: पीडीए का तिलिस्‍म खत्‍म, योगी मंत्र बटेंगे तो कटेंगे पास

  लखनऊ। यूपी की नौ सीटों में हुए उपचुनाव में भाजपा ने सात सीटो पर …