गाजीपुर। अखंड सौभाग्य की कामना से महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखेंगी। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चंद्रोदयव्यापिनी चतुर्थी पर 20 अक्तूबर की शाम को चंद्रमा का दर्शन और अर्घ्य देकर व्रत पूर्ण होगा। इस दौरान महिला 14 घंटा 12 मिनट तक निराजल व्रत रखकर सुख और सौभाग्य की कामना करेंगी। ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी ने बताया कि कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि 20 अक्तूबर को दिन में 10:46 बजे लग रही है और 21 अक्तूबर को सुबह 09:00 बजे तक रहेगी। करवा चौथ पर खगोल मंडल में गजकेशरी योग बन रहा है। इसमें वृष राशि रोहिणी नक्षत्र पर उच्च राशि का चंद्रमा का संचरण और पूर्व से देवगुरु बृहस्पति का वृष राशि पर संचरण हो रहा है। एक साथ बृहस्पति एवं चंद्र की युति आकाशमंडल में करवाचौथ व्रतियों के व्रत के पुण्य की अभिवृद्धि कराने वाला होगा। ऐसा योग कभी-कभी कार्तिक कृष्ण चतुर्थी पर बनता है। इसके बाद एक लंबे अंतराल के बाद करवा चौथ पर यह योग निर्मित होगा। व्रतियों को प्रात:काल स्नानादि करके तिथि, वार, नक्षत्र का उच्चारण कर हाथ में जल, अक्षत, पुष्प, द्रव्य लेकर संकल्प लेना चाहिए। सुख-सौभाग्य, पुत्र-पौत्र, स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए मैं करवा चौथ का व्रत करूंगी। तदुपरांत शिव-गौरी और भगवान कार्तिकेय की मूर्तियां या चित्र स्थापित करके फिर माता पार्वती का षोडशोपचार या पंचोपचार पूजन-वंदन करें। फिर भगवान शिव-कार्तिकेय का पूजन करके नैवेद्य या पका हुआ अन्न और दक्षिणा ब्राह्मणों को देकर चंद्रमा को अर्घ्य देकर कथा श्रवण करें। उसके पश्चात भोजन ग्रहण करना चाहिए। नैवेद्य में अर्पित करें आटे का लड्डू: नैवेद्य में काली मिट्टी के कच्चे कलवे की चीनी की चाशनी डालकर बनाए हुए या घी में सेके हुए खांड़ मिला हुआ आटे का लड्डू अर्पण करना चाहिए। इस व्रत को विशेषकर सौभाग्यवति स्त्रियां और उसी वर्ष विवाहित हुई लड़कियां करती हैं और नैवेद्य में 13 लड्डू और लोटा, वस्त्र और विशेष करवा पति के माता-पिता को देती हैं।