गाजीपुर। जनपद के नौली स्थित श्री रूद्रांबिका धाम प्राचीन शिवकाली गंगधर में चल रहे श्री रूद्रांबिका महायज्ञ के छठवें दिन वैदिक मन्त्रों के द्वारा भगवान रुद्र तथा अंबिका का स्वाहाकार विधि विधान से काशी से पधारे वेद विभूषण आचार्य पंडित धनंजय पांडे के नेतृत्व में कराया गया। प्रातः काल 7:00 बजे से वेद परायण के साथ मंडप में पूजन हवनादि क्रम तथा 2:00 बजे से श्रीमद्भागवत महापुराण की संगीतमय कथा चल रहा है। जिसमें दूर दराज से सैकड़ो महिलाएं, पुरुष, बड़े, बूढ़े ,बुजुर्ग उत्साह के साथ भाग ले रहे हैं। यज्ञ के महिमा पर प्रकाश डालते हुए यज्ञाचार्य पंडित धनंजय पांडे ने बताया कि ‘यज्ञो वै विष्णु:’ यज्ञ साक्षात विष्णु ही है। इनका सानिध्य जितना हो सके प्राप्त करना चाहिए। यज्ञ से देवता जीते हैं तथा पितृगण संतुष्ट होते हैं। देवताओं के अधीन सब प्रजा है और यज्ञ के अधीन सब देवता हैं। यज्ञ ही भगवान विष्णु है। जिन विष्णु भगवान में सब प्रतिष्ठित हैं। यज्ञ के लिए देवता तथा औषधीय की सृष्टि की गई है। यज्ञ सबका कल्याणकारी है। इसलिए यज्ञ में तत्पर रहे। यज्ञावशिष्ट का भोजन करने वाले सब पापों से मुक्त हो जाते हैं। यज्ञशीलों के धन को पंडितों ने देवस्थ ‘दिव्य’ माना है ।जो व्यक्ति देव होम कर्म में युक्त है। वह चराचर का पोषण करता है क्योंकि अग्नि में डाली गई आहुति आदित्य को पहुंचाती है और सूर्य से वृष्टि होती है। वृष्टि से अन्न , अन्न से प्रजा होती है। इसलिए जो यज्ञ करता है, वह संपूर्ण प्रजा का पालन करता है। इस क्रम में सायंकालीन भागवत कथा का चर्चा करते हुए पंडित कन्हैया द्विवेदी ने कहा कि मन की चंचलता विख्यात है। श्रीमद्भागवत गीता में वीर अर्जुन जैसे योद्धा तक भगवान श्री कृष्ण से मन के चंचल स्वभाव को साधने के सूत्र जानने की कोशिश किए थे। वस्तुत: मन स्वयं में कुछ नहीं। वह तो जन्म जन्म के संस्कारों को स्वयं में समाहित किए सतत परिवर्तनशील चित् की लहरों का नाम है, जो एक पल शांत हो सकता है तो दूसरे पल उत्तुंग शिखर जैसा विशाल एवं विकराल रूप धारण कर सकता है। आज मानव जाति दिनों दिन विचारों के ग्रंथियां में फंसता जा रहा है। उससे मुक्त होने के लिए भागवत कथा, यज्ञ, सत्संग आवश्यक है ।कथा को सैकड़ो महिलाओं और श्रद्धालुओं ने एकाग्रता से श्रवण करते हुए जय जयकार लगा रहे थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में विशिष्ट अतिथि मां कामाख्या धाम के पुजारी पंडित आकाश तिवारी, लाल बहादुर सिंह, भंवर सिंह, श्याम बिहारी यादव, अजय, उत्सव ,बृजेश,ओम प्रकाश सिंह मौजूद रहे।