गाजीपुर। अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार द्वारा संचालित देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉक्टर चिन्मय पंड्या आज गाजीपुर पहुंचे, जहां उन्होंने गायत्री शक्तिपीठ पर नवनिर्मित सजल श्रद्धा-प्रखर प्रज्ञा का लोकार्पण किया। इसके साथ अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक वेद मूर्ति, तपोनिष्ठ आचार्य पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी के आध्यात्मिक वैभव के यात्रा पर आधारित युग ऋषि का जीवन दर्शन के प्रदर्शनी का भी लोकार्पण किया। पूर्वांचल के कई जिलों में इन दिनों मऊ, बलिया, गाजीपुर, मोहम्मदाबाद, वाराणसी में जन मानस के हृदय परिवर्तन हेतु विराट यज्ञ व आध्यात्मिक कार्यक्रम संचालित किया जा रहे हैं। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ चिन्मय पंड्या जी का आगमन गाजीपुर में आज हुआ। सबसे पहले डॉक्टर साहब जनपद के विश्व प्रसिद्ध संत पवहारी बाबा के समाधि स्थल कुर्था पर श्रद्धालुओं की टोली के साथ पहुंचे। जहां गायत्री परिजनों ने फूलमाला व तिलक लगा कर स्वागत किया। पवहारी बाबा मंदिर के पुजारी ओंकार नाथ तिवारी ने भी विधिवत कर्मकांड से पूजा पाठ करते हुए पवहारी बाबा स्थल की विशेषता का वर्णन किया। सर्वप्रथम ठाकुर जी को माल्यार्पण करते हुए सबल राष्ट्र की कामना हेतु डॉक्टर चिन्मय पंड्या ने प्रार्थना किया। तत्पश्चात बाबा की समाधि स्थल का दर्शन करते हुए प्राचीन समय में बाबा जिस कुआं को स्वयं अपने हाथों से खुदाई किए थे और जिस कुएं से पानी वह स्वयं लेकर पीते थे, उसका भी दर्शन डॉक्टर साहब ने किया। बाबा द्वारा लिखित हस्तलिपि को भी डॉक्टर साहब ने गौर से देखा। बाबा के तपस्थली को देखते, निहारते व वहां की ऊर्जा को आत्मसात करते हुए डॉक्टर चिन्मय पंड्या नंद रीजेंसी पहुंचे। जहां पहले से ही गायत्री परिजन उपस्थित थे। नंद रीजेंसी के प्रबंधक त्रिलोकी नाथ पांडे सपरिवार होटल में बने निजी हाल में पहुंचे, जहां मोहल्ले वासियों के साथ होटल के सभी स्टाफ ने उनका स्वागत सम्मान किया। पांडे जी ने उन्हें अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया। पुनः डॉ चिन्मय पंड्या का कारवां निर्धारित समय पर गायत्री शक्तिपीठ पहुंचा। जहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ गायत्री माता की जय, परम पूज्य गुरुदेव की जय, बंदनीया माता की जय, का जयकारा लगाने लगे। डॉक्टर साहब का स्वागत सम्मान करने गाजीपुर जनपद के कोने-कोने से आए हुए गायत्री परिजनों ने फूल वर्षा कर उनका अभिवादन किया। इसके बाद उन्होंने गायत्री मंदिर में विधिवत पूजा अर्चना किया ।तत्पश्चात गायत्री माता की मूर्ति के बगल में बने हुए सजल श्रद्धा व प्रखर प्रज्ञा का व मंदिर के पीछे परम पूज्य गुरुदेव के जीवनी पर आधारित संजीव प्रदर्शनी का उन्होंने लोकार्पण किया। गुरुदेव व माताजी के जीवन पर आधारित प्रदर्शनी को निहारते -निखारते देखते हुए गदगद होकर मंच पर पहुंचे। गायत्री शक्तिपीठ के मुख्य प्रबंध ट्रस्टी सुरेंद्र सिंह ने उन्हें माल्यार्पण व अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया। जिला समन्वयक लाैहर सिंह यादव व गायत्री शक्तिपीठ के संरक्षक की भूमिका में त्रिलोकी नाथ पांडे जी ने भी अंग वस्त्रम व स्मृति चिन्ह देकर उन्हें भेंट प्रदान किया। इस मौके पर गायत्री शक्तिपीठ का कैंपस श्रद्धालुओं से खचाखच भरा रहा। डॉक्टर साहब को सुनने के लिए जनपद के कोने-कोने से प्रातः 6:00 बजे से ही भारी भीड़ उमड़ी रही। गोष्टी को संबोधित करते हुए डॉक्टर चिन्मय पंड्या ने कहा कि इस विश्व ब्राह्मण का हम सभी बहुत ही बड़े सौभाग्यशाली मानव हैं, जो उस परम चेतना से जुड़े हैं। क्योंकि गुरुदेव ठोक कर इस बात को कहते हैं तुम किसी का अहित मत करना मैं सब कुछ संभाल लूंगा। भारत भूमि पर रहने वाले बहुत सारे संतों के मुख से यह सुना गया है कि विश्व ब्रह्मांड की रक्षा करने वाला इन दिनों कोई और नहीं बल्कि अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी हैं। संतों ने अपने मुख से कई बार भारत वासियों को गुरुदेव के विचारों से जुड़ने का आग्रह किया है। आगे गुरुदेव के महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज व्यापक रूप से अनैतिकता फैली हुई है। स्वार्थियों व धूर्तों का बाहुल्य है। सच्चे और सद्पात्रों का भारी अभाव हो रहा है। और आज न तो तीव्र उत्कंठा वाले शिष्य और न सच्चा पथ प्रदर्शन की योग्यता रखने वाले चरित्रवान तपस्वी दूरदर्शी एवं अनुभवी गुरु ही हैं। ऐसी दशा में गुरु शिष्य संबंध के महत्वपूर्ण आवश्यकता का पूरा होना कठिन हो रहा है। अखिल विश्व गायत्री परिवार विश्व ब्राह्मण में अकेला ऐसा आध्यात्मिक परिवार हैं, जो गुरुदेव के विचारों से जुड़कर अपने भौतिक व आध्यात्मिक जीवन को उन्नति के मार्ग पर ले जा रहे हैं। मानसिक कष्ट में गायत्री साधना से तत्काल शांति मिलती है। साधक को ऐसा आत्म बल मिलता है, ऐसी आंतरिक दृढ़ता एवं आत्मनिर्भरता प्राप्त होती है, जिसके कारण अपनी कठिनाई उसे तुक्ष दिखाई पड़ने लगती है और विश्वास हो जाता है कि वर्तमान का जो बुरे से बुरा परिणाम हो सकता है उसके कारण भी मेरा कुछ नहीं बिगड़ सकता। अतः मनुष्य के लिए गायत्री से बढ़कर कोई तत्व ज्ञान और जीवनक्रम हो ही नहीं सकता। सद्ज्ञान की उपासना का ज्ञान ही गायत्री की साधना है। जो इस साधना के साधक है, उन्हें आत्मिक, सांसारिक सुखों की कमी नहीं रहती है। उन्होंने कहा कि गायत्री साधना ही ईश्वर प्राप्ति का मार्ग है। सद्बुद्धि का एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण वैज्ञानिक आधार गायत्री है। इस महामंत्र के एक-एक अक्षर में जो गुण ज्ञान भरा हुआ है, वह इतना उज्जवल है कि उसके प्रकाश में अज्ञान का अंधकार नष्ट हो जाता है। इन 24 अक्षरों में ऐसा अद्भुत ज्ञान भंडार भरा हुआ है जिससे दर्शन, धर्म, नीति, विज्ञान, शिक्षा शिल्प आदि सभी पर्याप्त मात्रा में मौजूद है। गायत्री सद्बुद्धिदायक महामंत्र है। श्रद्धालुओं से भारी भीड़ को संबोधित करने के बाद डॉ० चिन्मय पंड्या अपने गंतव्य स्थान के लिए रवाना हुए । इस मौके पर युवा प्रभारी क्षितिज श्रीवास्तव ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज देश का युवा ही कर्णधार है। यदि युवाओं में आध्यात्मिक समझ हो तो बड़े से बड़े कारनामे कर सकता है। हमारा देश युवाओं का देश है युवा यदि भौतिक विकास चाहता है तो आध्यात्मिकता का सहारा लेकर ही वह आगे बढ़े, उसका मार्ग सुगम व सफल हो सकता है। कार्यक्रम में सहयोग के रूप में मीडिया प्रभारी विद्यासागर उपाध्याय, प्रवीण कुमार राय, मारुति नंदन राय, लवहर सिंह यादव, माधुरी सिंह, ममता सिंह, मिथिलेश उपाध्याय, संजय तिवारी, अजीत सिंह, अंकुर राय, पवन जी, ओम नारायण राय, श्याम जी, अनिल सिंह, राज नारायण पांडे, शिवम राय, रोली सिंह, प्रेम तारा तिवारी, सदाशिव शर्मा, दीनानाथ गुप्ता, योगाचार्य वकील साहब, संजय राय आदि का सहयोग रहा।