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पढ़ाई के साथ बच्‍चो के सम्‍पूर्ण विकास पर ध्‍यान दें अभिभावक-डॉ. रविप्रकाश मौर्य

गाजीपुर। प्रोफेसर रवि सुमन कृषि एवं ग्रामीण विकास  ट्रस्ट (PRSARD Trust)मल्हनी भाटपार रानी  के द्वितीय स्थापना दिवस के अवसर पर   10 फरवरी को अनुसूचित प्राथमिक विधालय  मल्हनी  के प्रागंण में बाल सभा ,सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं अभिभावकों की गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रसार्ड ट्रस्ट के निदेशक प्रो.(डा.)रवि प्रकाश मौर्य ने कहा कि  अक्सर यह देखने में आता है, कि ज्यादातर माता-पिता  का पूरा ध्यान  बच्चों की सेहत व पढ़ाई पर ही टिक जाता है। वे एक बहुत महत्वपूर्ण पहलू पर बच्चे की देखभाल करना भूल ही जाते हैं या कहें कि अभिभावकों को ही पता नहीं होता कि इस पहलू पर भी बच्चे को समझाना, सिखाना व प्रशिक्षण देना जरूरी है ,जिससे कि  उसे सही मायने में जीवन जीना सिखा सकें। आमतौर पर अभिभावक बच्चों की पढ़ाई में रुचि को ही उसके जीवन में भी सफल होने का एकमात्र पैमाना मान लेते हैं, जो कि सही नहीं है। पढ़ाई, प्रमाण-पत्र व शैक्षिक उपाधि या डिग्री प्राप्त करना एक बात है और जीवन के हर उतार-चढ़ाव व हर परीक्षा को पार करके जीवन में सफल होना दूसरी बात है।बच्चे को जीवन में अनुशासन में रहना सिखाएं। स्कूल उसके जीवन का मात्र एक हिस्सा है। सीर्फ स्कूल से जुड़ीं गतिविधियां व लोग ही उसका पूरा जीवन नहीं हैं। जब तक वह स्कूल व कॉलेज में होता है तब तक वहां कुछ घंटे अनुशासन में रहना उसके लिए अनिवार्य होता है, लेकिन उसके बाद बच्चे की दिनचर्या को भी बचपन से अनुशासन में रखें, जैसे समय पर सोना व उठना, व्यायाम करना, किताबें पढ़ना, खेलना, लोगों से मिलता-जुलना वगैरह, जिससे कि स्कूल व कॉलेज खत्म होने के बाद भी उसका अनुशासन बना रहे और दिनचर्या व्यवस्थित रखने की आदत उसे जीवनभर काम आयेगी। जब आपका बच्चा छोटी-छोटी बातों  पर रूठे तो तुरंत उन्हें मनाने के लिए हाजिर न हो जाएं। नहीं तो जाने-अनजाने जीवन में भी वे सभी से यही उम्मीद करेंगे कि कोई उनके लिए वही सब करेगा, जो आप खुद करते आए हैं और वैसा न होने पर वे दुखी होकर निराशा में घिर जाएंगा। बच्चे को सब्र रखना सिखाएं। उसकी हर इच्छा की पूर्ति तुरंत न करें और हर बात के लिए मना भी न करें। लेकिन जो चीजें उसी समय होना अनिवार्य नहीं हों, ऐसी कुछ चीजों पर उसे इंतजार करना सिखाएं,   बच्चे में बचपन से ही छोटी-छोटी बातों पर खुद ही निर्णय लेने की आदत डालें।  उनमें अपने बारे में स्वयं ही सोचने की आदत विकसित करें। उनसे जुड़ा हर निर्णय आप ही ले लेंगे तो उन्हें दुनियादारी की समझ कहां से आ पाएगी।वे अपने वर्तमान व भविष्य के बारे में सोचना ही नहीं सीख पाएंगे। आप उनका थोड़ा मार्गदर्शन करें और बाकी उन पर ही छोड़ दें जिससे कि कभी सही, तो कभी गलत निर्णय करते-करते अपने अनुभव से वे स्वयं ही सही सोचना सीख जाएंगे। आपके बच्चे का रुझान किस ओर है, यह उसके बचपन से ही जानने की कोशिश करें।   पढ़ाई करने में संतुलन बनाए रखने के लिए उसे हर काम को एक निर्धारित समय के लिए करने की आदत डालें।कोई नहीं जानता कि जो काम अभी आप बच्चे में उसकी उम्र के हिसाब से अपने काम खुद करने की आदत डालें जिससे कि उसमें खुद के प्रति जिम्मेदारी की भावना आएगी।  डॉ विकास मौर्या फिजियोथेरेपिस्ट ने  बच्चों को स्वास्थ से  संबन्धित  जानकारी देते हुए बताया कि  सुबह समय से उठना, शौचालय के बाद  हाथों ,दाँतों की सफाई, नित्य स्नान करना आदि दैनिक कार्य है। उसके बाद समय से पढ़ने ए्वं खानपान पर ध्यान देना चाहिए। विधालय में प्रत्येक शनिवार को बाल सभा का आयोजन किया जाता है उसी क्रम में छात्र एवं छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम लोक गीत, देशभक्ति  गीत आदि  प्रस्तुत किया । छात्रों में  पयूष कुमार कक्षा 5 प्रथम , अंकुश कक्षा 4 द्वितीय, अर्पित कक्षा-2 तृतीय, छात्राओं में प्रथम कु.पल्लवी कक्षा-4, द्वितीय कु.आकृति कक्षा-3, तृतीय श्रेया कक्षा-2 को पुरस्कार प्राप्त हुआ। सभी विधार्थियों को पेन्सिल, रबर कटर, ए्वं मिष्ठान वितरित किया गया।  इस अवसर पर प्राधानाध्यापक वकील तिवारी, सहायक अध्यापक संजयकुमार कुशवाहा, परमानंद दूबे, ग्राम प्रधान स्वामी प्रसाद, डा.विरेन्द्र यादव, डा. विकास मौर्य, विधालय में कार्यरत रसोईया सुनैना, दुलारी, ए्वं बीरमती को अंगवस्त्र प्रदान कर संस्था द्वारा सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में सुर चन्द्र, ओम प्रकाश ,श्रीकांत यादव, चन्द्र प्रकाश, आदि सहित सैकड़ों छात्र/छात्राओं एवं अभिभावकों ने भाग लिया।

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