लखनऊ। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय गोरखपुर में चल रहे वार्षिक महोत्सव अभ्युदय ’24 के द्वितीय दिन की शुरुआत 8 मार्च, दिन शुक्रवार को ‘ग्रेफिटी’ नामक भित्ति चित्रण प्रतियोगिता से हुई, जिसका शुभारंभ प्रातः 5:00 से हुआ। इस प्रतियोगिता के अंतर्गत प्रतिभागियों ने विश्वविद्यालय की दीवारों पर अपनी कला एवं चित्रकारी का अनूठा प्रदर्शन किया। इस प्रतियोगिता में विभिन्न वर्गों के छात्र-छात्राओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और विभिन्न प्रकार के रंगों का उपयोग करके अत्यंत मनोहर कलाकृति प्रस्तुत की। इस प्रतियोगिता में टीम क्लासिक आर्टिस्ट ने प्रथम स्थान हासिल किया, टीम उड़ान द्वितीय स्थान पर रहा एवं टीम परफेक्ट मिक्स ने तृतीय स्थान हासिल किया। इसके पश्चात मेकिंग ग्लैन्स, काइट रनर, स्केचिंग, स्पीलबर्ग, पैलेट दी क्लॉजेट, हेयर स्टाइलिंग, स्ट्रीट सिंक एवं ग्लिटरिंग हैंड्स जैसी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। मुख्यतः मेल-जोल, गूंज, एवं रागा प्रतियोगिताओं के अंतिम दौर का भी आयोजन किया गया। ‘रागा’ प्रतियोगिता में प्रतीक प्रथम स्थान पर रहे, शिवंशी पांडे ने द्वितीय स्थान हासिल किया एवं काव्यांजली श्रीवास्तव तृतीय स्थान पर रहीं। इस प्रतियोगिता के निर्णायक मंडली में डॉक्टर प्रदत्त कुमार भारती एवं डॉक्टर अंजली सिंह शामिल थीं। इसके बाद ‘मेकिंग ग्लैन्स’ प्रतियोगिता के तहत प्रतिभागियों ने अभ्युदय कार्यक्रम के अनूठे पलों को कैद करते हुए विभिन्न चल-चित्रों को जीवंत किया। इसी क्रम में ‘काइट रनर’ का आयोजन किया गया जिसमें प्रतिभागियों ने विभिन्न सामग्रियों का प्रयोग करते हुए अनेक रंग बिरंगे पतंगों को निर्मित किया एवं इसको आसमान की ऊंचाई की ओर अग्रेषित भी किया। पतंगों की डोर एवं उसकी रचनात्मकता देखते ही बन रही थी एवं सभी का मन मोह लिया। इसके बाद ‘स्केचिंग’ प्रतियोगिता आयोजित हुई जिसमें प्रतिभागियों ने अपनी मनोहर चित्रकारी के माध्यम से अपनी कला का लोहा मनवाया। इस प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने अपनी रचनात्मकता एवं उत्कृष्ट सोंच को कागज के टुकड़ों पर चित्रित किया एवं सबका दिल जीत लिया। विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं के बीच ‘स्पीलबर्ग’ नामक प्रतियोगिता में अनेक समूहों ने नाटक का मंचन किया। जीवन के विभिन्न किरदारों का मंचन मानों कुछ अनकहे पहलुओं को दर्शाते हुए उस किरदार में डूब जाने की प्रेरणा से ओत-प्रोत था। इस प्रतियोगिता में टीम शून्य ने प्रथम स्थान हासिल किया, संगीत कला केंद्र द्वितीय स्थान पर रहा एवं बी.आई.टी. ने तृतीय स्थान हासिल किया। इसके बाद ‘पैलेट दी क्लॉजेट’ में प्रतिभागियों ने विभिन्न रंगों के माध्यम से अनेक टी-शर्ट पर रंगों के माध्यम से मनोहर चित्रकारी का प्रदर्शन किया। इंद्रधनुषी रंगों से सराबोर यह प्रतियोगिता दर्शकों को लुभाने मे अग्रणी रहा। दोपहर में ‘हेयर-स्टाइलिंग’ का आयोजन किया गया। जिसमें की प्रतिभागियों ने बालों को विभिन्न मन मोह लेने वाली रचनाओं एवं विधाओं मे पेश किया। हेयर-स्टाइलिंग के द्वारा प्रतिभागियों एवं दर्शकों का भरपूर मनोरंजन हुआ। इसके बाद डांस प्रतियोगिता ‘स्ट्रीट सिंक’ आयोजित हुई, जिसमें प्रतिभागियों ने अपनी ऊर्जा से भरपूर नृत्य के माध्यम से माहौल में चार चांद लगाने के साथ-साथ ऊर्जा का भी संचार किया। विभिन्न समूहों द्वारा अनेक विधाओं में नृत्य की प्रस्तुति किए गए। इसी क्रम में ‘ग्लिटरिंग हैंड्स’ नामक प्रतियोगिता में प्रतियोगियों द्वारा अपने अन्य सहपाठियों के हाँथों पर हिना का प्रयोग करके चित्रकारी उकेरी गई। इस प्रतियोगिता ने सभी दर्शकों के साथ-साथ निर्णायक मंडली को भी अचंभित कर दिया एवं सभी के मुख पर मात्र प्रशांश के स्वर गुंजायमान थे। अभ्युदय ’24 के शीर्षक प्रायोजक जी.डी. गोयंका हैं। कार्यक्रम की आयोजन समिति के सदस्य आलेख श्रीवास्तव, श्रेयशी राय, अनूप सिंह, दिलीप कुमार सिंह एवं शिवम श्रीवास्तव ने सभी प्रतियोगिताओं के सुचारु सांचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन सभी प्रतियोगिताओं के बाद संध्या कार्यकमों की शुरुआत हुई। सर्वप्रथम विभिन्न समूहों ने ‘प्रोलिअम’ कार्यक्रम के अंतर्गत अनेकों वाद्य यंत्रों की ध्वनि के मध्य अपने सुरीले स्वरों को पिरोते हुए संगीत एवं गायन की विहंगम छटा को दर्शकों के मध्य प्रस्तुत किया। इस कार्यक्रम ने माहौल को गुंजायमान करने के साथ-साथ ऑडियंस के दिलों-दिमाग मे एक अनूठी छाप छोड़ दी। वाद्य यंत्रों एवं सुर-ताल के अतुलनीय संगम के पश्चात अब बारी थी कवि सम्मेलन की, जिसका इंतज़ार दर्शकों को उत्साहित करने में तनिक भी विफल ना हुआ। इस कार्यक्रम में प्रसिद्ध हास्य कवि श्री शंभू शिखर जी ने अपने चिर-परिचित अंदाज़ में दर्शकों के मध्य अपनी पंक्तियों, खाता सरगोशी मिलने की तर्पण देख लेता हूं, निगाहें खुल्द में खुद का दर्पण देख लेता हूं, के द्वारा सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके पश्चात श्री दमदार बनारसी जी ने अपनी मनोहर एवं दिल को छू जाने वाली पंक्तियों से सभी को सम्मोहित करने में कोई कसर न छोड़ी। इसके बाद श्री प्रख्यात मिश्र जी जो कि वीर रस के जाने माने कवि हैं, उन्होंने अपनी पंक्तियों, रामबली जो केवट का सम्मान बढ़ाते हैं, राम वही जो भारत का पहचान बनाते हैं, के माध्यम से उन्होंने बताया कि श्री राम क्या है और वह कौन है। इसी क्रम में कवयित्री श्रीमती पद्मिनी शर्मा जी, जो की श्रृंगार रस की कवयित्री है अपने वक्तव्य से एवं अपनी कविताओं से सभी को मंत्र मुक्त कर दिया और नारी सशक्तिकरण के लिए उदाहरण पेश किया। श्री श्लेष गौतम जी, जो कि हास्य श्रृंखला के एक जाने माने कवि हैं, उन्होंने सभी दर्शकों को लोटपोट कर दिया। इस कार्यक्रम के द्वितीय दिन भी प्रतिभागियों के साथ-साथ दर्शकों का उत्साह बरकरार रहा। विभिन्न कला एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के इस पंक्ति में कुछ पल लोगों के दिलों मे छाप छोड़ गए।