वाराणसी। फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा से पहले होलाष्टक की शुरुआत आज से हो रही है। होलाष्टक 17 से 24 मार्च तक यानी आठ दिनों का रहेगा। हिंदू परंपरा के अनुसार होलाष्टक के आठ दिनों में सभी मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएंगे। हालांकि सभी धार्मिक अनुष्ठान चलेंगे। 24 को होलिका दहन और 25 मार्च को होली मनाई जाएगी। काशी विद्वत कर्मकांड परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने बताया कि फाल्गुन अष्टमी की शुरुआत शनिवार की रात में 9:39 बजे से शुरू होकर 17 मार्च की रात्रि 9:54 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार होलाष्टक 17 मार्च से शुरू होगा। होली से पहले आठ दिनों तक का समय होलाष्टक के नाम से जाना जाता है। अष्टमी तिथि के दिन चंद्रमा, नवमी तिथि को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को बृहस्पति, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा तिथि के दिन राहु उग्र स्वरूप में माने गए हैं। होलाष्टक के दौरान ग्रहों के उग्र होने कारण व्यक्ति के निर्णय लेने की क्षमता में कमी आ जाती है। इसके कारण व्यक्ति संकल्प-विकल्प में खोया रहता है। कई बार उसके निर्णय ऐसे भी हो जाते हैं जो कि अनुकूल नहीं रहते। इससे लाभ के स्थान पर हानि की संभावना बढ़ जाती है। ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि जिनकी कुंडली में नीच राशि के चंद्रमा और वृश्चिक राशि के जातक, छठें या आठवें भाव के चंद्रमा वाले जातकों को इस दौरान विशेष सावधानी और सतर्कता बरतने की जरूरत है। होलाष्टक के दौरान वैवाहिक मुहूर्त, वधू प्रवेश, द्विरागमन, मुंडन, नामकरण, अन्नप्राशन, देव प्रतिष्ठा, नवगृह निर्माण व प्रवेश, नवप्रतिष्ठारंभ कार्य वर्जित रहते हैं।