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मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय गोरखपुर में अनुसंधान पद्धति और प्रदत्त विश्लेषण विषयक पर कार्यशाल संपन्न

लखनऊ। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय गोरखपुर के प्रबन्ध अध्ययन विभाग द्वारा ‘अनुसंधान पद्धति और प्रदत्त विश्लेषण’ विषयक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य प्रबंधन के परास्नातक एवं शोध छात्रों को विभिन्न अत्याधुनिक शोध तकनीकों और विश्लेषणात्मक उपकरणों के अनुप्रयोग से परिचित कराना एवं वास्तविक शोध में उनका कैसे उपयोग किया जाए यह सिखाना था। कार्यशाला का आरंभ दीप प्रज्ज्वलन और विभागाध्यक्ष के स्वागत संदेश से हुआ। प्रथम सत्र के आमंत्रित वक्त लखनऊ विश्वविद्यालय के डॉ. शैलेश कौशल ने छात्र छात्राओं को सांख्यिकीय विश्लेषण सॉफ्टवेयर ‘स्मार्ट पी एल एस’ के अनुप्रयोगों से परिचित कराया और उसका अभ्यास कराया। द्वितीय सत्र को संबोधित करते हुए काशी हिंदू विश्वविद्यालय के डॉ. आशुतोष मोहन ने कहा कि अच्छा शोध करने के लिए महत्वपूर्ण शोध समस्या की पहचान और सुदृढ़ शोध डिजाइन चुनना सबसे जरूरी तत्व है। उन्होंने छात्र छात्राओं को किसी शोध समस्या की पहचान करने और उसके लिए उपयुक्त शोध प्रविधि तय करने के तरीके भी बताए। तीसरे सत्र को संबोधित करते हुए एम एम एम यू टी की डॉ भारती शुक्ला ने करने शोध में साहित्य समीक्षा का महत्व और योगदान विषय पर प्रकाश डाला। कार्यशाला के दूसरे दिन प्रथम सत्र में डॉ शैलेश कौशल ने विद्यार्थियों को सांख्यिकी सॉफ्टवेयर ‘एमॉस’ के अनुप्रयोगों से परिचित कराया और उसका अभ्यास कराया। दूसरे सत्र के वक्ता मानविकी विभाग, एम एम एम यू टी  के डॉ अभिजित मिश्रा ने शोध नैतिकता की चर्चा करते हुए कहा कि शोधकर्ताओं द्वारा शोध नैतिकता का पालन न करने का सबसे बड़ा नुकसान यह होता है कि आम जन का अनुसंधान, शोध गतिविधियों, और शोध संस्थाओं पर से विश्वास कम होने लगता है। उन्होंने कहा कि बतौर शोधकर्ता हमारी यह जिम्मेदारी है कि हम शोध नैतिकता का पालन करें, शोध प्रक्रिया से छेड़ छाड़ न करें, और शोध के परिणामों को ईमानदारी से जनता के बीच में रखें। उन्होंने कहा कि ज्यादातर शोधकर्ताओं से गलतियां इसलिए होती हैं क्योंकि वे शोध नैतिकता के मानदंडों के विषय में बहुत कम जानते हैं। उन्होंने कहा कि शोध नैतिकता के पालन में जानकारी ही बचाव है। तीसरे सत्र में एम एम एम यू टी के श्री बिजेंद्र पुष्कर ने ‘शोध प्रश्नावली विकास’ जबकि डॉ प्रियंका राय ने ‘ प्रतिदर्श प्रविधियों ‘ पर व्याख्यान दिया। कार्यशाला का संयोजन डॉ. उग्रसेन ने जबकि कार्यक्रम का संचालन एम बी ए छात्र बादल शर्मा ने किया। इस अवसर पर प्रबंध अध्ययन विभाग के डॉ सोनिया भट्ट, डॉ जावेद आलम, डॉ असीम हसन, डॉ मोहम्मद ओसामा, डॉ अब्दुल जदीद, सुश्री मनीषा सिंह, सुश्री सानिया नूर फातमा, एवं सुश्री सांभवी त्रिपाठी उपस्थित रहे।

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