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एक मनभावन कजरी: बरखा मदन जगाए ना..

गाजीपुर। लाल बिहारी शर्मा “अनंत” देवकली  गाजीपुर द्वारा एक मनभावन कजरी बरखा मदन जगाए ना… की रचना की गयी है।

बरसे घुमरि घुमरि सवनवां, मनवां मोर जलाए ना!

कइसे धीर धरूं मोरे सजना,बरखा मदन जगाए ना।

रिमझिम रिमझिम पनियां बरसे,

अइबा तु कहिया धनियां तरसे।

अब तै माना मोर कहनवां, कंगना तोहेँ बोलाये ना!

बरसे घुमरि घुमरि सवनवां, मनवां मोर जलाए ना!

चिठिया में मोरा मन नाहिं लागे।

जस – जस बांचीं तस मन भागे।

बैरी भईल हमार सपनवां, रात भर मोहें जगाए ना!

बरसे घुमरि घुमरि सवनवां, मनवां मोर जलाए ना!

ओरिया टपक टपक ललचावे।

अंचरा उड़ि उड़ि बहकत जावे।

सजना आवा लेवे गवनवां,सजनी  तोहें बुलाए ना।

बरसे घुमरि घुमरि सवनवां , मनवां मोर जलाए ना!

नोट – ( इस कजरी की ऑडियो बन कर तैयार हो गया है और इसका बेहतरीन वीडियो एल्बम जल्द ही “अनंता प्रोडक्शन हाउस” चैनल पर प्रसारित कर दिया जाएगा। )

तब तक निम्नांकित चैनल पर ऑडियो सुनिए।

https://youtube.com/@anantaproductionhouse?si=IOWXKgVPkgh8NT8P

बस कुछ दिन और …….

 

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