गाजीपुर। हनुमान मंदिर देवचंदपुर पर प्रवचन करते हुए संत जयप्रकाश दास फलहारी जी महाराज ने कहा चौरासी लाख योनियों में भटकने के पश्चात मानव तन मिला है जिसमें जीव परमात्मा का भजन करके आत्म साक्षात्कार करके आवागमन के भव बंधन से मुक्त हो सकता हॆ।जीव जब नॊ माह तक मां के गर्भ मे रहता हॆ तो नाना प्रकार का कष्ट सहन करता है उस समय प्रभू से विनती करता हॆ। हे प्रभू इस नर्क से बाहर करों मॆं आप का भजन करुंगा,परन्तु बाहर आने के बाद अपने किये वायदे को भूल जाता हॆ यही दुः ख का प्रमुख कारण है।श्री फलहारी दास जी ने कहा इस धराधाम पर संत किसी न किसी रुप में सदॆव विद्यमान रहकर जीवों को परमात्मा से मिलाने का कार्य करते है।जब करोङों जन्मों का पुण्य उदय होता है तो परमात्मा का दर्शन होता है।मानव तन पाने के बाद जो आत्म साक्षात्कार नही कर सका तो उस परमात्मा का क्या दोष है।