लखनऊ। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय गोरखपुर के आई पी सेल द्वारा आज पेटेंट जागरूकता पर ‘पेटेंट फाइलिंग एंड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स’ विषयक एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला के मुख्य वक्ता के रूप में आशीष शर्मा, अधिवक्ता एवं आई पी आर विशेषज्ञ, आई पी नेशन लॉ फर्म मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो जे पी सैनी ने की। मुख्य वक्ता ने बौद्धिक संपदा के प्रकारों की चर्चा करते हुए बताया कि बौद्धिक संपदा कई प्रकार की होती है जैसे कि कोई नया विचार, आविष्कार, साहित्यिक रचना, ट्रेड मार्क, औद्योगिक डिजाइन, पेटेंट आदि। उन्होंने कहा कि आमतौर पर शोधकर्ताओं को जानकारी नहीं होती है कि वे क्या पेटेंट करा सकते हैं और क्या नहीं। इस असमंजस के कारण बहुत से शोध कार्य पेटेंट हेतु आवेदन नहीं करते हैं। उन्होंने बताया कि कोई वस्तु पेटेंट हो सकती है अथवा नहीं इसके तीन आधार होते हैं। एक, नई बनी वस्तु पहले से उपलब्ध वस्तुओं से कितनी अलग है। दूसरा, नई वस्तु की औद्योगिक उपयोगिता कितनी है। और तीसरा, कि वह कितनी अप्रकट है। उन्होंने कहा कि औद्योगिक विकास में पेटेंट के योगदान के महत्व को ध्यान में रखते हुए सरकार ने 2016 में बौद्धिक संपदा अधिनियम बनाया है जिसने पेटेंट आवेदन प्रक्रिया को आसान बनाया है। साथ ही सरकार फार्मा सेक्टर, आई टी, और बायोटेक्नोलॉजी की दिशा में पेटेंट पर विशेष जोर दे रही है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 में प्रतिदिन औसतन 247 पेटेंट आवेदन फाइल किए गए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक शोधकर्ता को पेटेंट अवश्य लेना चाहिए। इससे उसे व्यक्तिगत लाभ तो होगा ही, संस्थान को भी लाभ होगा। साथ ही भविष्य में पेटेंट से व्यक्ति और संस्थान दोनों को आर्थिक लाभ भी होगा और इससे अर्थव्यवस्था में भी योगदान होगा। अपने वक्तव्य में उन्होंने पेटेंट आवेदन की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में मा. कुलपति जी में कहा कि विश्वविद्यालय का यह प्रयास है कि सभी विभाग अधिकाधिक संख्या में पेटेंट हेतु आवेदन करें। पेटेंट प्रक्रिया में विश्वविद्यालय शोधकर्ताओं की मदद करेगा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विभाग द्वारा न्यूनतम 10 पेटेंट आवेदन फाइल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है और मुझे विश्वास है कि विश्वविद्यालय के सभी विभाग यह लक्ष्य प्राप्त करने में सफल होंगे। कार्यक्रम के आरम्भ में अतिथि एवं मा. कुलपति महोदय का स्वागत किया गया। अधिष्ठाता शोध प्रो राकेश कुमार ने स्वागत वक्तव्य दिया जबकि डॉ नवदीप सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो आर के यादव ने किया।