वाराणसी। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबंधन द्वारा घाटा दिखाते हुए प्रदेश की बिजली कंपनियों को चलाने के लिए पीपीपी माडल पर निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी के फैसले का चौतरफा विरोध कार्मिकों ने शुरू कर दिया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने बैठक के बाद ऐलान किया है कि निजीकरण के फैसले के खिलाफ व्यापक जनसंपर्क अभियान और जन पंचायतें की जाएंगी। पहली जन पंचायत चार दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव क्षेत्र वाराणसी में की जाएगी। बैठक के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की गई है कि व्यापक जनहित में वाराणसी और आगरा विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के निर्णय को निरस्त करें। समिति ने यह भी निर्णय लिया है कि निजीकरण के बाद होने वाली कठिनाइयों से लोगों को अवगत कराने के लिए व्यापक जनजागरण अभियान चलाया जाएगा। जन जागरण अभियान के पहले चरण में आगामी 4 दिसम्बर को वाराणसी में और 10 दिसम्बर को आगरा में जन पंचायत आयोजित की जाएगी। जन पंचायत में बिजली कर्मियों के साथ ही आम उपभोक्ता शामिल होंगे। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति प्रमुख पदाधिकारियों जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, सुहैल आबिद, पीके दीक्षित, वीसी उपाध्याय, आरबी सिंह, राजेंद्र घिल्डियाल, शशिकांत श्रीवास्तव, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, एके श्रीवास्तव, मो. वसीम, श्रीचंद, सीएल दीक्षित, केएस रावत, देवेन्द्र पांडेय ने संयुक्त वक्तव्य जारी कर बताया है कि पॉवर कारपोरेशन का फैसला कर्मचारियों और आम जनता के हित में नहीं है। 25 जनवरी 2000 को मुख्यमंत्री के साथ हुए लिखित समझौते में यह लिखा है ‘विद्युत सुधार अंतरण स्कीम के लागू होने से हुए उपलब्धियों का मूल्यांकन कर यदि आवश्यक हुआ तो पूर्व की स्थिति बहाल करने पर एक वर्ष बाद विचार किया जाएगा।