गाजीपुर। अनुशासन एवं समय निर्धारण से ही व्यक्ति को सफलता मिलती है। हमें यह समझना होगा कि कितना समय देने के बाद हम अपने खेल को सबसे अच्छे तरीके से खेल सकते हैं। जब तक हम स्वयं संतुष्टि न हो हमें अभ्यास करना चाहिए। कमियों पर ध्यान केंद्रित कर अपने प्रशिक्षक से सलाह लेकर उसे दूर करना चाहिए। पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर लौटे मेंघबरन सिहं हाकी स्टेडियम के खिलाड़ी राजकुमार पाल ने यह बातें कहीं। जहां से उन्होंने हाकी का गुर सीखा करमपुर स्थित अपने पैतृक गांव के उसी स्टेडियम में आयोजित स्वस्वागत समारोह में ओलिपिंयन ने प्रशिक्षणरत खिलाड़ियों को सफलता के लिए उक्त मंत्र दिया। उन्होंने कहा कि बड़े भाई जोखन पाल एवं राजू पाल का हाथ पकड़कर इस स्टेडियम में आया और स्टेडियम के संस्थापक स्व तेजबहादुर सिंह के सपने को पूरा कर आज काफी खुशी महसूस हो रही है। मां मनराजी देवी एवं दोनों भाईयों ने मुझे यहां तक पहुंचाने के लिए अपने जीवन में काफी समझौता किया, लेकिन सभी के मेहनत की देन है कि देश के लिए पदक जीतकर लौटा हूं। पाल ने कहा कि 2020 में टोक्यो में आयोजित ओलंपिक में मैं स्टैंडबाइ खिलाड़ी के रूप में था। उस समय मुझे उम्मीद थी कि मुझे टीम में शामिल होकर खेलने का मौका मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भले ही मुझे मौका नहीं मिला, लेकिन मैं निराश नहीं हुआ और ज्यादा मेहनत और अभ्यास करना शुरू कर दिया। लगातार अभ्यास करता रहा और कमियों को दूर करता रहा जिसका नतीजा आज आपके सामने है। किसी भी क्षेत्र में सफलता न मिलने पर हमें उदास होने की बजाए और ज्यादा मेहनत करना चाहिए। देर भले हो, लेकिन कामयाबी जरूर मिलेगी। पाल ने कहा कि कुछ दिन पहले टीम इंडिया के परफार्मेंस कोच यहां आए थे तो वापस जाकर उन्होंने काफी तारीफ की। बता रहे थे कि करमपुर काफी अच्छा एकेडमी चलता है। उन्होंने कहा कि खेल में सभी को प्रतिभाग करना चाहिए। स्टेडियम में आने वाले बच्चों को उनके परिवार के लोग सहयोग करें, ताकि वे आगे बढ़ सके। कहा कि अब सरकार भी बहुत सहयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि खेल के साथ पढ़ाई भी जरूरी है। पढ़ाई से ही हमें समझ में आता है कि क्या सही है और क्या गलत। राजकुमार ने भरोसा जताया कि आने वाले समय में इस स्टेडियम से और भी ओलिंपियन निकलेंगे और स्टेडियम का माहौल पहले से बेहतर होगा। स्टेडियम के संचालक अनिकेत सिंह ने कहा कि इस स्टेडियम से निकलकर टोक्यो ओलंपिक में ललित उपाध्याय ने कांस्य पदक जीता था। अब पेरिस ओलंपिक में ललित के साथ राजकुमार पाल ने पदक जीतकर जिले का ही नहीं पूरे देश का मान बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि बचपन में ही जब राजकुमार एवं उनके भाईयों के सिर से पिता का साया उठ गया तो उनकी मां ने जिस तरह परिवार को संभाला काबिलेतारीफ है। उन्हें आयरन लेडी कहना चाहिए। बड़े भाई जोखन पाल खेल के माध्यम से आर्मी और मझले भाई राजू पाल रेलवे में नौकरी पा गए तो राजकुमार को खुली छूट दी। राजकुमार ने मां एवं भाईयों के सहयोग से आज इस धरती का मान बढ़ाया है। मुख्य अतिथि डा प्रवीण कुमार सिंह ने राजकुमार पाल की उपलब्धि पर आयोजन समिति को बधाई दी। कहा कि आने वाले समय में इस धरती को और भी कामयाबी मिलेगी। रमाशंकर उर्फ हिरन सिंह, कोच इदंद्रेव, प्रभाकर सिंह, मुन्नीलाल पांडेय, बच्चेलाल, राममूरत, राधेश्याम, विभा पाल आदि थे। गर्मजोशी के साथ खेल प्रेमियों ने किया स्वागत : जनपद सीमा में प्रवेश करते ही जिले के पहले ओलंपियन कांस्य पदक विजेता राजकुमार पाल का खेलप्रेमियों ने फूलमालाओं से भव्य स्वागत किया। सिधौना, ईशोपुर, गोपालपुर, औड़िहार, अमुवारा, उचौरी, निसिद्धिपुर में स्वागत होते हुए स्टेडियम में काफिला पहुंचा। राजकुमार के पहुंचते ही भारत माता की जय के नारे से पूरा क्षेत्र गूंज उठा। स्वागत समारोह में मौजूद मंचासीन के अलावा सामने बैठे लोग ने स्वत: मंच पर पहुंचकर राजकुमार को फूलमालाओं से लाद दिया। राजकुमार ने रमाशंकर उर्फ हिरन सिंह, संचालक अनिकेत सिंह, कोच इंद्रदेव के बाद अपनी मां मनराजी देवी एवं भाईयों जोखन पाल व राजू को पदक पहनाया। इसके बाद स्टेडियम के संस्थापक स्व तेजबहादुर सिंह के चित्र के समक्ष अपना मेडल चढ़ाया और दीप प्रज्जवलित कर नतमस्तक हो गया। राजकुमार स्व तेजबहादुर सिंह के तस्वीर के सामने भावुक हो उठा।