वाराणसी। काशी दौरे पर पहुंचे सीएम योगी आदित्यनाथ ने रविवार को प्रदेश भर के संस्कृत विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति योजना की शुरुआत की। इस दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज का कार्यक्रम संस्कृत एवं भारतीय संस्कृति के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने संस्कृत भाषा को भारतीय संस्कृति के ऊर्जा का स्वर बताया। कहा कि इसी ऊर्जा से हर व्यक्ति आह्लादित हो। सीएम ने कहा कि गरीब एवं असहाय बच्चों के लिए छात्रवृति की व्यवस्था होनी चाहिए, लेकिन संस्कृत भाषा का क्यों उपेक्षा किया गया यह समझ से परे है। अब तक संस्कृत के 300 बच्चों को ही छात्रवृति की व्यवस्था रही। संस्कृत के प्रथमा से आचार्य तक के सभी बच्चों को छात्रवृति की व्यवस्था होनी चाहिए। इसके लिए संस्कृत विद्यालयों को बच्चों का फार्म आदि भरवाने की औपचारिकता पूरी कराते हुए प्रयास करना होगा। गुरुकुल की परंपरा को पुनर्जीवित करने वाली संस्थाओं को खोलने के लिए लोगों का आह्वान करते हुए सीएम योगी ने कहा कि ऐसे विद्यालयों को प्रदेश की उनकी सरकार तत्काल मान्यता देगी और ऐसी संस्थाओं को स्वतंत्रता भी रहेगी। संस्कृत केवल देववाणी ही नहीं बल्कि भौतिक समाज की तमाम समस्याओं के समाधान करने का भी माध्यम बने। अच्छा थीसिस लिखने वाले छात्रों के लिए भी प्रदेश सरकार स्कॉलरशिप की व्यवस्था करने जा रही है। उन्होंने एक मनीषी के वक्तव्य का उल्लेख करते हुए संस्कृत एवं उसके साहित्य को भारत का सबसे बड़ा खजाना बताया। संस्कृत के छात्रों को आश्वस्त किया कि वे मन लगाकर पढ़ाई करे, सरकार उनके हर सुविधा का ख्याल रख रही है। मुख्यमंत्री ने संस्कृत विद्यालय, महाविद्यालयों में रिक्त पदों पर शीघ्र ही भर्तियां करने की व्यवस्था करने के लिए कहा, तब तक उन्होंने वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में अध्यापकों की व्यवस्था करने पर भी विशेष जोर दिया। ताकि बच्चों की शिक्षा व्यवस्था सुचारू रूप से चलती रहे। उन्होंने संस्कृत को वैज्ञानिक भाषा के दृष्टि से भी आगे बढ़ाए जाने पर विशेष जोर दिया। मुख्यमंत्री कहा कि संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पुरातन संस्कृति का संवर्धन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत की सभ्यता, संस्कृति उठ खड़ी हुई है जिसको संस्कृत द्वारा उचित समय दिया जाएगा। संस्कृत केवल देववाणी ही नहीं है बल्कि भौतिक जगत की सभी समस्याओं की वैज्ञानिक विधि भी है। संस्कृत को बढ़ाने के लिए शोध के कार्यों को आगे बढ़ाया जाए जिसके लिए सरकार शोध छात्रवृत्ति भी लेकर आएगी। उन्होंने महर्षि अरविंद के भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाने में दिए योगदान को भी सभी के सामने रखा। दुनिया का हर वो व्यक्ति जो सर्वांगीण विकास का पक्षधर है वो संस्कृत के विकास का भी पक्षधर है। काशी फिर से सांस्कृतिक, आध्यात्मिक चेतना का केंद्र बने इस दिशा में सभी लोग पुनः प्रयास करें।