गाज़ीपुर। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का स्थापना दिवस समारोह भारद्वाज भवन कार्यालय पर पार्टी के झंडोतोलन से शुरु हुआ।इस अवसर पर अपने सम्बोधन में पार्टी राज्य कार्यकारिणी सदस्य अमेरिका सिंह यादव ने कहा कि आज ही के दिन 1925 में कानपुर में भाकपा की स्थापना हुई थी।इसीलिए मुख्य शताब्दी समारोह की शुरुआत वहीं से पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड डी राजा के नेतृत्व में हो रही है।इसके साथ ही देश के जिला मुख्यालयों पर भी यह समारोह मनाया जा रहा है।उन्होंने आगे कहा कि इसकी स्थापना स्वाधीनता आंदोलन के बीच हुई।उस समय पार्टी के समक्ष दो मुख्य लक्ष्य थे।प्रथम अंग्रेजी दासता से भारत को मुक्त करना और इसके बाद शोषणविहीन समतामुलक समाज का निर्माण करना। आजादी की जंग में पार्टी ने महती कुर्बानी देकर अपनी गौरवशाली परंपरा का निर्वहन किया।पार्टी के अजय घोश जैसे कई साथी सरदार भगत सिंह के साथ जेल में कैद रहे।भीषण संघर्ष के बाद देश आजाद तो हुआ लेकिन सत्ता पूंजीपतियों की समर्थको के हाथ में चली गई।देश ने विकास का पूंजीवादी रास्ता चुना ।फिर भी कम्युनिस्ट पार्टी जमींदारी उन्मूलन,सार्वजनिक प्रतिष्ठानो के निर्माण,भूमिसुधार एवं भूमिहीनो को जमीन देने के लिए तेलंगाना,पुन्नपा वायलार, सातारा,जैसे देश में कई भीषण संघर्ष पार्टी के नेतृत्व में हुए।हजारों साथियो ने कुर्बानी दिया।यहीं कारण रहा कि चुनाव में पार्टी मुख्य विपक्षी दल के रूप मे सामने आई एवं केरल में सत्ता सीन हुई।इसके बाद बैंको के राष्ट्रीयकरण,राजाओं के प्रिविपर्स ख़त्म करने ,खालिस्तानी,जम्बूकश्मीरी आतंकवादियों के खिलाफ बलिदानी संघर्ष को अंजाम दिया। इतना ही नहीं संयुक्त प्रथम की सरकार में मनरेगा कानून,बनवाने,सूचना का अधिकार,आदिवासी बनवासी कानून बनवाने में महती भूमिका अदा किया। आज भी देश के भीतर भारत भारत के संविधान की ,लोकतंत्र,धर्मनिरपेक्षता,समाजवादी मूल्यो की रक्षा की चैंपियन पार्टी के रूप में संघर्ष रत है।जन सवालों पर लड़ते हुए पार्टी को पूँजीवादी समाजव्यवस्था को ख़त्म कर शोषणविहीन समतामुलक समाज के निर्माण तक का लक्ष्य तय करना है।समारोह को सह सचिव राम अवध,ईश्वरलाल गुप्ता,डॉक्टर राम बदन सिंह, डॉक्टर इक़बाल अहमद,बच्चेलाल,रामजन्म राम,बब्बन यादव,चतुरी मास्टर,भूमिधर राजभर,राजदेव यादव,आदिने सम्बोधित किया।किसान सभा के राष्ट्रीय सचिव पूर्व विधायक राजेंद्र यादव ने अध्यक्षीय सम्बोधन में जनसवालों पर तीखा संघर्ष करने पर बल दिया।संचालन ईश्वरलाल ने किया।