लखनऊ। प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ऑन डेटा साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का समापन मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर में एक भव्य और सार्थक चर्चा के साथ हुआ। इस सम्मेलन ने शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और उद्योग विशेषज्ञों को एक साझा मंच प्रदान किया, जहाँ उन्होंने डेटा साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया। सम्मेलन की मुख्य झलकियाँ दो दिनों तक चले इस सम्मेलन में प्रमुख विशेषज्ञों के व्याख्यान, शोध पत्र प्रस्तुतियाँ, पैनल चर्चाएँ और कार्यशालाएँ आयोजित की गईं। प्रमुख वक्ताओं ने एआई के अनुप्रयोग, डेटा प्रोसेसिंग, मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग और नैतिक एआई जैसे विषयों पर अपने विचार साझा किए। एमएमएमयूटी के कुलपति प्रो. जय प्रकाश सैनी ने समापन समारोह में अपने विचार साझा करते हुए कहा कि “मानव का दिमाग सबसे बड़ा कंप्यूटर है। सभी ए0आई0 शोधकर्ताओं को इसका अध्ययन कर ही एआई के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहिए।” उन्होंने एआई अनुसंधान के लिए अधिक सहयोग और नवाचार को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल दिया। समापन सत्र और भविष्य की संभावनाएँ। समापन सत्र में विशेषज्ञों ने एआई और डेटा साइंस के भविष्य को लेकर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने इस क्षेत्र में नवाचारों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर जोर दिया और उभरती हुई प्रौद्योगिकियों पर सहयोग को बढ़ावा देने की बात कही। इस सम्मेलन ने शोधकर्ताओं और उद्योग विशेषज्ञों के बीच संवाद को मजबूत करने के लिए एक प्रभावशाली मंच प्रदान किया। प्रतिभागियों ने सम्मेलन के दौरान प्राप्त ज्ञान और चर्चाओं को अपने अनुसंधान और व्यावसायिक प्रयासों में शामिल करने की प्रतिबद्धता जताई। सम्मेलन के संयोजक प्रो. (डॉ.) उदय शंकर ने अपने धन्यवाद ज्ञापन में कहा, “मैं अपने आदरणीय कुलपति डॉ. जे. पी. सैनी का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ, जिनके मार्गदर्शन और समर्थन ने इस सम्मेलन को संभव बनाया। साथ ही, हमारे मुख्य अतिथि प्रो. मुकुल शरद सुताओने, निदेशक, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान इलाहाबाद, का धन्यवाद करता हूँ, जिन्होंने अपने प्रेरणादायक विचारों से हमें समृद्ध किया।” उन्होंने आगे कहा, “इस सम्मेलन को सफल बनाने में मेरे सहयोगी डॉ. के. वी. आर्या, डॉ. अंशुल वर्मा, डॉ. अजय कुमार, डॉ. जे. सी. बंसल, डॉ. बृज कुमार गुप्ता, डॉ. सर्वेश पांडेय, डॉ. उदया डैम्पेज और डॉ. अक्षी कुमार का अमूल्य योगदान रहा है। उन्होंने अंत में कहा, “मैं विशेष आभार डॉ. बी. के. शर्मा, डॉ. श्वेत केतु, डॉ. राम कुमार, डॉ. सात्विक वत्स, डॉ. विपुल नारायण और संजय कुमार का भी प्रकट करता हूँ, जिनके बहुमूल्य योगदान के बिना यह आयोजन संभव नहीं हो पाता।
