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निराधार और झूठें हैं मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्‍वविद्यालय गोरखपुर पर लगाये गयें भ्रष्‍टाचार के आरोप

शिवकुमार

गोरखपुर। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्‍वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. अभिजित मिश्र ने पूर्वांचल न्‍यूज डॉट काम को बताया कि कुछ षड़यंत्रकारी लोग साजिश करके मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्‍वविद्यालय के छवि धुमिल करने के नियत से कुलपति और पूर्व कुल सचिव के ऊपर बेबुनियाद और झूठे आरोप लगा रहें है जो कि एक मिथ्‍या हैं। उनके साजिश में आकर मीडिया और सोशल मीडिया मे भी भ्रामक सामाचार प्रकाशित कर रही है, जो कि ए‍क गैर जिम्‍मेदाराना कार्य है। बिना तथ्‍य को जाने हुए मनगढंत सामाचार प्रकाशित करने से शिक्षा जगत मे भ्रम की स्थिति बनी हुयी है। उन्‍होने बताया कि इसको लेकर विश्‍वविद्यालय प्रशासन बहुत ही गंभीर है और बहुत ही जल्‍द एफआईआर कराकर साजिशकर्ताओ को बेनकाब किया जायेगा। श्री मिश्र ने बताया कि मात्र एक प्रकरण को छोड़कर शेष सभी प्रकरण वर्तमान कुलपति महोदय के कार्यकाल के हैं ही नहीं। एक प्रकरण को छोड़कर शेष सभी 12 प्रकरण वर्षों पुराने हैं। साथ ही समस्त प्रकरणों पर बिन्दुवार वस्तुस्थिति निम्नवत् है :-

01 फार्मेसी बिल्डिंग निर्माण कार्य :-

वर्ष 2021 में फार्मेसी भवन के निर्माण हेतु कार्यदायी संस्थाओं से प्राप्त आगणन के आधार पर भवन निर्माण की औपचारिकतांए आरम्भ की गयी थी। परन्तु कार्यदायी संस्थाओं द्वारा प्रस्तुत आगणन में भवन के क्षेत्रफल, प्लिंथ एरिया तथा उपलब्ध स्थान आदि फार्मेसी काउन्सिल के मानकों के अनुरूप नहीं होने का तथ्य प्रकाश में आने पर आगणन का परीक्षण सम्बन्धित विभागाध्यक्ष से कराया गया। मानक के अनुरूप नहीं पाये जाने के दृष्टिगत उक्त प्रक्रिया को निरस्त कर पुनः लोक निर्माण विभाग (जोकि एक राजकीय निर्माण विभाग है) से मानकों के अनुसार प्रस्ताव प्राप्त कर समुचित परीक्षण कराते हुए विश्वविद्यालय अधिनियम में प्रदत्त व्यवस्था के अनुरूप सांविधिक निकायों से यथावश्यक अनुमोदन प्राप्त कर निर्माण प्रक्रिया आरम्भ करायी गयी। अवगत कराना है कि पूर्व में निर्मित हो रहे भवन का क्षेत्रफल 2660 वर्गमीटर था, जबकि वर्तमान में निर्माणाधीन भवन का क्षेत्रफल 6281.51 वर्गमीटर है।

 

02 विश्वैश्वरैया भवन छात्रावास के मरम्मत कार्य का आवंटन का प्रकरण

विश्वैश्वरैया भवन छात्रावास के जीर्णोद्धार हेतु वर्ष 2021 में निविदा प्रक्रिया पूर्ण कर कार्य आवंटन किया गया था। परन्तु आवंटी ठेकेदार द्वारा कार्य में रूचि नहीं लिये जाने के दृष्टिगत तत्समय सहायक अभियन्ता एवं निर्माण-रखरखाव अनुभाग की संस्तुति पर दूसरी न्यूनतम दर वाली फर्म को कार्य आवंटन का निर्णय लिया गया तथा सम्बन्धित फर्म को अनुबन्ध पत्र प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया गया। परन्तु अनुबंध पत्र में निविदा की शर्तों का उल्लेख नहीं होने तथा निर्माण रखरखाव अनुभाग के स्तर से 6 माह से अधिक का विलम्ब हो जाने कारण द्वितीय आवंटी फर्म द्वारा निविदा के कालातीत होने के कारण दरों में 20 प्रतिशत की वृद्धि करने या निविदा में शामिल कुछ ही कार्यों को पूर्ण करने पर सहमति देने के आलोक में उक्त दोनों प्रस्ताव नियमानुसार नहीं होने के कारण निविदा की प्रक्रिया निरस्त कर दी गयी। पूरी प्रक्रिया में किसी तरह का कोई भुगतान हुआ ही नहीं। अतः किसी प्रकार का वित्तीय अनियमितता का प्रश्न ही नहीं है।

03 क्षमता वृद्धि के कारण क्लास रूम तथा केमिकल व शुगर टेक्नालॉजी भवन निर्माण कार्य के समायोजन सम्बन्धी प्रकरण

विश्वविद्यालय के निर्माण कार्यों के पूर्ण होने के उपरान्त विश्वविद्यालय के निर्माण अनुभाग द्वारा समुचित अनुश्रवण एवं समयबद्ध रूप से लेखा समायोजन न प्रस्तुत किये जाने के कारण अधिकांश परियोजनाओं में शासन की बैठकों में विश्वविद्यालय को विषम परिस्थिति का सामना करना पड़ता है। परियोजना की कुल पुनरीक्षित स्वीकृत लागत रू0 1194.07 लाख में से रू0 1134.07 लाख की धनराशि कार्यदायी संस्था को अस्थाई अग्रिम के रूप में लगभग 6 वर्ष पूर्व उपलब्ध कराया जा चुका है, रू0 1000.00 लाख की समायोजन की स्वीकृति के उपरान्त अवशेष रू0 134.37 लाख की धनराशि कार्यदायी संस्था को ब्याज सहित विश्वविद्यालय को उपलब्ध कराने हेतु पत्र दिनांक 15.09.23 के माध्यम से कार्यदायी संस्था एवं शासन को भी सूचित किया गया था। जिसके आधार पर कार्यदायी संस्था द्वारा अबतक कोई कार्यवाही नही की गयी है। मा० विलम्ब समिति द्वारा प्रकरण को यथाशीघ्र निस्तारित किये जाने के निर्देश के अन्तर्गत कार्यदायी संस्था द्वारा विश्वविद्यालय को एक पुनरीक्षित आगणन रू0 1194.07 लाख का उ0प्र0 लोक निर्माण विभाग, गोरखपुर से सत्यापित कराते हुए उपलब्ध कराया गया है, जिसके आधार पर कार्यस्थल पर रू0 1180.58 लाख का कार्यमूल्य सत्यापित कराते हुए अवशेष धनराशिरू0 46.22 लाख की माँग की गयी है। पुनरीक्षित आगणन की स्वीकृति भी पी०एफ० ए०डी० द्वारा प्राप्त करने के उपरांत ही भुगतान के सम्बन्ध में शासन को दिनांक 10 जुलाई 2024 को पत्र प्रेषित किया जा चुका है।

04– 210 क्षमता महिला छात्रावास निर्माण कार्य हस्तान्तरण सम्बन्धी प्रकरण

शैक्षणिक सत्र 2022-23 के आरम्भ होने की स्थिति में आवश्यकता के दृष्टिगत विश्वविद्यालय कीछात्राओं की सुविधा हेतु उक्त छात्रावास का आंशिक रूप से दिनांक 01.11.2022 को इन्वेन्ट्री मात्र का हस्तगत किया गया था। साथ ही कार्यदायी संस्था को अवशेष कार्य पूर्ण करवाते हुए शीघ्र पूर्ण रूपेण हस्तान्तरण हेतु निर्देशित किया गया था। कार्यदायी संस्था द्वारा पत्र दिनांक 12.01.2024 के माध्यम से भवनों के हस्तान्तरण के सम्बन्ध में जारी नवीनतम् उ०प्र० शासन के शासनादेश 178/2023/आई/411903/ 901-23-5-2023-27(सा0)/2022 दिनांक 20.10.2023 के उल्लेखनीय बिन्दु 01 के अन्तर्गत “यदि भवन / परियोजना के हस्तगत होने के पूर्व किसी अपरिहार्य परिस्थिति में प्रशासकीय विभाग द्वारा कब्जा ले लिया जाता है एवं 45 दिन में भवन / परियोजना में कोई कमी इंगित नहीं की जाती है, तो भवन परियोजना को हस्तगत माना जायेगा।” भवन को हस्तगत माना गया है। तकुम में शासन की निर्माण कार्यों की समीक्षा बैठक में प्राप्त निर्देश के क्रम में भवन की कमियों को दूर करवाते हुए नियमान्तर्गत हस्तान्तरण कार्य पूर्ण किया गया।

05 कम्प्यूटर खरीद प्रकरण

विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में प्रयोगशालाओं में विधार्थियों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए विभागों / कार्यालयों की मांग के आधार पर सीमित बजट उपलब्धता के आलोक में कुल आवश्यकता के आधी संख्या में ही कम्प्यूटर क्रय किये गये। कम्प्यूटर क्रय जेम पोर्टल पर ओपेन टेण्डर के माध्यम से शासनादेशों में विहित प्रक्रिया के अन्तर्गत क्रय किये गये थे। क्रय किये गये कम्प्यूटर में 12th Generation Processor तथा Windows Professional Operating System लगा हुआ है, जबकि शिकायतकर्ता द्वारा Professional Series के कम्प्यूटर की तुलना Home Series, 11th Generation Processor से की जा रही है, जो कि हास्यास्पद है तथा तकनीकी ज्ञान के अभाव का घोतक है।

शैक्षणिक माहौल

06 आरोप हास्यास्पद है। विश्वविद्यालय को प्रथम प्रयास में नैक मूल्यांकन में वर्ष 2022 में ए ग्रेड प्राप्त हुआ था। इसी वर्ष विश्वविद्यालय को एन०आई०आर०एफ० की तीन श्रेणियों में देश की शीर्षस्थ 100 संस्थानों में प्रथम बार सम्मिलित किया गया है। विश्वविद्यालय में प्लेसमेंट, शोध प्रकाशनों, प्रदान की जा रही परामर्श सेवाओं, शोध परियोजनाओं तथा शैक्षणिक गतिविधियां स्वयं में विश्वविद्यालय की शैक्षणिक प्रगति का द्योतक हैं।

07 फर्जी प्रवेश से सम्बन्धित प्रकरण

विश्वविद्यालय में उपलब्ध साक्ष्यों से यह ज्ञात हुआ है कि फर्जी प्रवेश वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 में हुए थे। उल्लेखनीय है कि फर्जी प्रवेश की जानकारी विश्वविद्यालय के शिक्षकों एवं अधिकारियों की सतकर्ता से ही सम्भव हुयी थी। वर्ष 2022 में प्रकरण के प्रकाश में आने पर तत्काल विश्वविद्यालय स्तर पर जांच कर अवैध रूप से प्रवेशित छात्रों का प्रवेश निरस्त कर दिया गया था। साथ ही दोषी अधिकारियों / कर्मचारियों की भूमिका की जांच हेतु उच्च स्तरीय समिति गठित की गयी है, जिसकी आख्या प्रतीक्षित है। प्रवेश निरस्तीकरण का प्रकरण मा० उच्च न्यायालय में लम्बित है। मा० उच्च न्यायालय से प्राप्त निर्देशों के आधार पर प्रकरण में अग्रेतर कार्यवाही की जायेगी।

08 छात्रवृत्ति सम्बन्धी प्रकरण

विश्वविद्यालय में नामांकित विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति समाज कल्याण विभाग द्वारा दी जाती है, जिसके आवेदन प्रक्रिया में छात्र द्वारा प्रस्तुत स्वप्रमाणित अभिलेखों का सत्यापन करने के उपरान्त समाज कल्याण विभाग द्वारा छात्रवृत्ति भुगतान किया जाता है। भुगतान में विश्वविद्यालय की कोई भूमिका नहीं होती है। वर्ष 2022 के सितम्बर माह में अवैध रूप से प्रवेशित छात्रों का प्रकरण संज्ञान में आने के उपरान्त विश्वविद्यालय स्तरीय जांच समिति की संस्तुति के आधार पर ऐसे छात्रों का प्रवेश प्रवेश जनवरी 2023 में निरस्त किया गया तथा विश्वविद्यालय के समस्त सुविधाओं से वंचित कर दिया गया था। प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है एवं माननीय उच्च न्यायालय से प्राप्त निर्देशों के क्रम में भविषय में आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी।

09 फीस की कथित अनियमितता का प्रकरण

विश्वविद्यालय के जिम्मेदार अधिकारियों से तथ्यों की समुचित जानकारी प्राप्त किये बिना ही समाचार पत्रों में खबर प्रकाशित करने से ऐसा प्रतीत हुआ, जैसे विश्वविद्यालय में फीस सम्बन्धी कोई अनियमितता हुई है। जबकि यह वास्तविकता से परे है। विश्वविद्यालय स्तर से प्रकरण का परीक्षण कराया जा चुका है। कोई अनियमितता नहीं पायी गयी है। केवल ऐसे छात्रों की फीस नहीं जमा हुयी थी, जो या तो पाठ्यक्रम अधूरा छोड़कर जा चुके हैं अथवा अनुसूचित जाति / जनजाति श्रेणी के थे, जो छात्रवृत्ति प्राप्त होने के उपरान्त फीस जमा करते हैं। शासन को इस सम्बन्ध में विस्तृत आख्या प्रेषित की जा चुकी है। प्रकरण का लेखा परीक्षण भी हो चुका है। कोई अनियमितता प्रकाश में नहीं आयी है।

10 आर० ई० एस० प्रकरण

कार्यदायी संस्था द्वारा वर्ष 2014 में प्राप्ति रसीद सहित प्रस्तुत लेख्खा समायोजन (Account Adjustment) को मा0 विधान सभा की लोक लेखा समिति के समक्ष प्रस्तुत कर प्रकरण को निक्षेपित कर दिया गया है। शासन को प्रकरण के निक्षेपण की सूचना से अवगत करा दिया गया है।

11 पेड़ नीलामी से सम्बन्धित प्रकरण

 

प्रकरण वर्ष 2021 का है, जबकि पूर्व कुलसचिव डॉ० जय प्रकाश को अप्रैल 2022 में कुलसचिव का प्रभार मिला। वर्तमान कुलपति की नियुक्ति को भी एक ही वर्ष हुये हैं। 500 पेड़ों की कटान का कोई प्रकरण ही नहीं है। प्रकरण मात्र ठेकेदार द्वारा पातन शुल्क वन विभाग में जमा नहीं किया गया था, जिसके कारण पेड़ ठेकेदार नहीं ले जा सका। कर्मचारी की आत्महत्या के सम्बन्ध में विश्वविद्यालय स्तर की गयी जांच में कोई शिक्षक, कर्मचारी पर दोष सिद्ध नहीं हुआ है। समिति द्वारा पुलिस के समक्ष जांच की कार्यवाही की गयी, जिसमें कर्मचारी की आत्महत्या को पारिवारिक कारणों से होना पाया गया न कि विश्वविद्यालय स्तर से किसी कार्यवाही के कारण। प्रकरण में मृतक के परिवार, भाई, बन्धुओं सहित लगभग 40-45 व्यक्तियों से पूछताछ भी की गयी है। विश्वविद्यालय द्वारा रिक्त कर्मचारियों के पदों पर समय-समय पर अधियाचन आफलाईन एवं आनलाईन माध्यम से प्रेषित किये जा चुके हैं। आयोग के स्तर से चयन की कार्यवाही का अनुशीलन विश्वविद्यालय एवं शासन दोनों स्तर से सतत रूप से किया जा रहा है।

12 प्रकरण आवासों के मरम्मत, मैकेनिकल भवन, इलेक्ट्रानिक्स भवन, आई०टी०आर०सी० भवन निर्माण सम्बन्धी

आवासों की मरम्मत के लिए नामित कार्यदायी संस्था द्वारा कार्य आवंटन के लगभग 01 वर्ष बाद कार्य आरम्भ किया गया, परन्तु उसके द्वारा कार्य को काफी धीमी गति से कराया जा रहा था। साथ ही कार्यदायी संस्था के कार्यों की गुणवत्ता के सम्बन्ध में आवासितों की शिकायत पर विश्वविद्यालय स्तर से गठित समिति द्वारा परीक्षण कराया गया, जिसके आधार पर कार्य को समय से न करने एवं गुणवत्ता पूर्ण न कराये जाने के कारण कार्य रोक दिया गया। सहायक अभियन्ता को कार्यदायी संस्था के कार्यों के सत्यापन के लिए निर्देश के बाद भी सहायक अभियन्ता द्वारा कार्य सत्यापन नहीं कराया गया, विश्वविद्यालय स्तर से आवासितों के हित में एक समिति के माध्यम से उक्त कार्यों के परीक्षण की कार्यवाही की जा चुकी है। मैकेनिकल भवन, इलेक्ट्रानिक्स भवन, के सम्पादित कार्यों का परीक्षण में तत्कालीन सहायक अभियन्ता के स्तर से विलम्ब होने के कारण कार्य विलम्बित हुआ है, वर्तमान में कार्य लगभग पूर्ण होने की स्थिति में है। आई०टी०आर०सी०/आई०टी०सी०ए० भवन निर्माण में कार्य ड्राईंग के अनुरूप में न होने के कारण कार्य बाधित हुआ था, जो कि स्पष्ट रूप से निर्माण कार्यालय की अनदेखी के कारण ऐसी स्थिति उत्तपन्न हुई। वर्तमान में कार्य निराकरण कराते हुए लगभग पूर्ण होने की स्थिति में है।

13 अनियमित कार्यों के भुगतान का प्रकरण

उक्त प्रकरण मेसर्स सामन्त सिंह, निर्माण एजेन्सी, गोरखपुर द्वारा वर्ष 2009-10 में मदन मोहन मालवीय इंजीनियरिंग कालेज, गोरखपुर में कराये गये विभिन्न कार्यों के भुगतान के सम्बन्ध में है। उक्त प्रकरण से सम्बन्धित सभी कार्यों का स्थलीय निरीक्षण एवं सत्यापन तथा एम०बी० स्वयं निर्माण एवं रख-रखाव अनुभाग द्वारा किया गया था। उक्त प्रकरण काफी समय तक लम्बित रहने के कारण विधान परिषद की माननीय वित्तीय एवं प्रशासकीय विलम्ब समिति में प्रस्तुत किया गया था। माननीय समिति द्वारा समस्त प्रकरणों के निस्तारण का निर्देश दिया गया था। तद्क्रम में विश्वविद्यालय के सांविधिक निकायों यथा भवन एवं कार्य समिति, वित्त समिति एवं प्रबन्ध बोर्ड से अनुमोदन प्राप्त करने के उपरान्त ही भुगतान की कार्यवाही की गयी है। उक्त भुगतान एजेन्सी द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं करने के कारण दण्ड स्वरूप सभी प्रकरणों में कटौती के उपरान्त ही भुगतान किया गया। शासन एवं माननीय विलम्ब एवं प्रशासकीय समिति को भी प्रकरण के निक्षेपण की सूचना से अवगत कराया जा चुका है।

 

 

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