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कर्मवीर सत्यदेव सिंह जी को बु‍द्धिजीवियों ने दी श्रद्धांजलि, बोलीं कुलपति वंदना सिंह- कर्मवीर सत्यदेव सिंह प्रेरणा के है श्रोत

गाजीपुर। सत्यदेव ग्रुप ऑफ़ कॉलेजेस के संस्थापक कर्मवीर सत्यदेव सिंह की सातवीं पुण्यतिथि  हर वर्ष की भांति इस साल भी उच्च स्तर पर शानदार तरीके से मनाया गया। आज 28 दिसंबर 2024 को राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन का कार्य कर्मवीर सत्यदेव सिंह की सातवीं पुण्यतिथि पर उनको पुष्पांजलि प्रदान करने के बाद किया गया । 28 दिसंबर को सातवीं पुण्यतिथि के कार्यक्रम की अध्यक्ष  वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर की कुलपति प्रोफेसर वंदना सिंह जी रही। मुख्य अतिथि के रूप में तिब्बत साहित्य मंच वाराणसी के कुलपति प्रोफेसर  वांगचुक दोरजी नेगी जी थे। मंचासीन अतिथिगण में सेवानिवृत्त न्यायाधीश श्री कमल नयन पांडे,  प्रोफेसर जी.गिरधर , आध्यात्मिक मार्गदर्शक श्री योगी आनंद जी ,डॉ अरविंद कुमार, प्रोफेसर प्रभाकर सिंह बी एच यू आईआईटी से, श्री गंगाधर सिंह जी, डॉ अशोक कुमार सिंह , रामानुज सिंह, डॉक्टर काशीनाथ सिंह, श्री विजेंद्र राय,  लंदन से आए हुए डॉ प्रदीप सिंह जी,श्रीमती मीरा राय जी, डॉ राहुल सिंह, डॉक्टर शैलेंद्र सिंह, डॉक्टर निरंजन ,डॉक्टर संतन कुमार, श्री सुरेंद्र सिंह जी उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत सत्यदेव ग्रुप आफ कॉलेजेस के संस्थापक कर्मवीर सत्यदेव सिंह जी के चित्र पर पुष्प अर्पित करने के बाद सत्यदेव इंटरनेशनल स्कूल के छात्र-छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना एवं स्वागत गीत से हुआ। राष्ट्रीय संगोष्ठी में आए सभी विद्वान गण का स्वागत अंग वस्त्रम एवं स्मृति चिन्ह प्रोफेसर सानंद सिंह प्रोफेसर आनंद सिंह तथा सत्यदेव ग्रुप आफ कॉलेजेस के अभिभावक प्रोफेसर हरिकेश सिंह द्वारा  प्रदान कर किया गया। संगोष्ठी कार्यक्रम में सर्वप्रथम प्रोफेसर हरिकेश सिंह जी ने गाजीपुर की धरती को पवित्र धरती बताते हुए कहा कि यहां जैन तीर्थंकर ऋषभ जी जैसे संत का पांव पड़ा है आज सातवीं पुण्यतिथि का कार्यक्रम आधुनिक भारत के नवनिर्माण का प्रतीक है ।उन्होंने बताया कि प्रज्ञा वीर महान विद्वान विवेकानंद जी समुद्र के किनारे शिला खंड पर बैठकर एक सुदृढ़ भारत, सशक्त भारत बनने की कामना करते थे उन्होंने  सत्यदेव ग्रुप ऑफ़ कॉलेजेस की मुख्य ट्रस्टी श्रीमती सावित्री सिंह जी को प्रणाम करते हुए कहा कि भारत के आदर्श नारियों में श्रीमती सावित्री सिंह जी का भी नाम आएगा जो त्याग और बलिदान की साक्षात प्रतिमूर्ति हैं। संगोष्ठी के विषय पर उन्होंने कहा कि लोकतंत्र शब्द के निर्माण में भारत के ऋषि मुनियों की चेतना तथा सतीत्व की शक्ति समाहित है । जब लोकतांत्रिक समाज की बात हो तो मां भारती का चित्र याद रखना चाहिए। लोकतंत्र की मर्यादा के लिए पवित्र चरित्र की आवश्यकता होती है अंत में उन्होंने सभी आगंतुकों ,अतिथियों को धन्यवाद व्यापित किया। बीज वक्तव्य में अपना मत प्रस्तुत  करते हुए डॉक्टर संतान कुमार ने बताया कि किसी भी देश की सभ्यता का विकास उस देश के लोगों के विचारों की क्षमता और भाषा कौशल से होता है इसी से स्वस्थ लोकतंत्र का विकास होता है वर्तमान शिक्षा व्यवस्था कंक्रीट के कक्षा से लेकर मोबाइल ऐप पर संकुचित होता जा रहा है जो चिंता का विषय है। उन्होंने स्वतंत्र मस्तिष्क से शिक्षा को ग्रहण करने का संदेश दिया। तत्पश्चात डॉ निरंजन ने कहा कि डॉक्टर मैकाले का नाम जरूर आता है जब हम लोग शिक्षा व्यवस्था की बात करते हैं। मैकाले ने लिखा था की कुछ वर्ग ऐसे भारत में शिक्षित किया जाए जिसका रंग रूप खून तो भारतीय हो लेकिन सोचने की कला और विचार ब्रिटिश का हो अतः डॉक्टर निरंजन ने षड्यंत्र पूर्ण तरीके से शिक्षा व्यवस्था को बनाने तथा उसको विदेशियों द्वारा भारतीयों को परोसने पर दुख जताते हुए कहा कि हमें ऐसे षड्यंत्र से सजग रहना चाहिए और अपनी परंपरागत शिक्षा सनातनी शिक्षा में विश्वास रखना चाहिए और उसी को भविष्य में आगे बढ़ना चाहिए जिसे हमारे आने वाली पीढ़ी संस्कारवान हो और स्वस्थ लोकतंत्र की रचना कर सके। राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रोफेसर वांगचुंक दोरजी नेगी ने अपना आशीर्वचन रखते हुए बताया कि विद्यार्थियों को विद्यालय जाते समय अपने माता-पिता को याद करके जाना चाहिए तब उनका उत्थान होगा। शिक्षा एक ऐसी चीज है जो हमें भौतिक मानसिक आर्थिक विकारों से मुक्ति दिलाती है जैसे हम भूखे हैं तो भोजन करते हैं जो हमें भूख से मुक्ति दिलाता है इस तरह अपनी आवश्यकता की बहुत ऐसी वस्तुएं का उपभोग करते हैं जो हमें मानसिक रूप से या शारीरिक रूप से विकारों को मुक्त करता है ।अतः हम सबको एक दूसरे से प्रेम करना चाहिए यही मानवीय मूल्य की चेतना है जो शिक्षा का मूलभूत आधार है । वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी के अध्यक्ष प्रोफेसर वंदना सिंह जी ने बताया की शिक्षा सदियों से  एक ऐसी दक्षता है जो राजा चुनने में मदद करती थी। शिक्षा   स्वस्थ मस्तिष्क में आसानी से प्राप्त की जाती है ।अतः उन्होंने स्वस्थ मस्तिष्क से सच्ची शिक्षा को ग्रहण करने के लिए संदेश दिया जिसे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का स्वस्थ भारत का सपना साकार हो सके। इसी क्रम में श्री योगी आनंद जी ने बताया कि जहां अच्छा  स्वास्थ्य और अच्छा चरित्र होता है वहां निश्चित रूप से अच्छी शिक्षा ग्रहण की जाती है और एक सुंदर वातावरण का निर्माण होता है जिसे हम लोकतंत्र कहते हैं। कार्यक्रम के दौरान सत्यदेव ग्रुप आफ कॉलेजेस के प्रबंध निदेशक प्रोफेसर सानंद सिंह ने शाहिद पत्नी  समेत शहीद परिजनों  को सम्मानित किया ।बनवासी समाज के लोगों को कंबल वितरण किया गया। समाज सेवियों का सम्मान किया गया तथा भारत के चौथे स्तंभ पत्रकारिता से जुड़े सभी  पत्रकार साथियों को अंग वस्त्रम, कैलेंडर और बैग देकर सम्मानित किया गया । कार्यक्रम के अंत में सत्यदेव ग्रुप आफ कॉलेज के  मुख्य प्रबंध निदेशक प्रोफेसर आनंद कुमार सिंह ने सभी अतिथिगण माननीय मुख्य अतिथि , संगोष्ठी की अध्यक्ष , उपस्थित सभी विशिष्ट अतिथियों एवं  प्रांगण में उपस्थित सभी आगंतुक एवं छात्र-छात्राओं  तथा हिंदी गायक बंटी जी को सफल कार्यक्रम बनाने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किये। बहुत ही शानदार तरीके से कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर प्रमोद कुमार सिंह आनंग ने किया। सत्य  ग्रुप ऑफ़ कॉलेजेस परिवार से डॉ सुमन सिंह डॉक्टर प्रीति सिंह रेजिडेंट डायरेक्टर अमित  रघुवंशी काउंसलर दिग्विजय उपाध्याय डॉ रामचंद्र दुबे डॉ अजीत कुमार यादव डॉ रोहित कुमार सिंह, डॉ तेज प्रताप इंजीनियर सुनील कुमार यादव राजकुमार त्यागी ,चंद्रसेन तिवारी इत्यादि स्वागत एवं सम्मान कार्य में अतिथि की भावना से क्रियाशील थे।

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