लखनऊ। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर की ग्यारहवीं वर्षगांठ एवं स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में दिनांक 01 दिसंबर 2024 को विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं वक्ता के रूप में विश्वविद्यालय के 1988 बैच (इलेक्ट्रॉनिक्स) के पूर्व छात्र एवं पूर्वोत्तर रेलवे के प्रधान मुख्य सिग्नल एवं संचार अभियंता राजेश पांडेय उपस्थित रहे, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता मा. कुलपति प्रो जय प्रकाश सैनी ने की। कार्यक्रम के आरम्भ में मुख्य अतिथि सहित कुलपति ने दीप प्रज्वलन कर तथा वाग्देवी सरस्वती एवं पंडित मदन मोहन मालवीय के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यकम का शुभारंभ किया। विद्यार्थियों द्वारा कुलगीत प्रस्तुत किया गया। उपस्थित शिक्षकों एवं छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि ने कहा कि आज का युग टेक्नोलॉजी का है, और भविष्य में सभी समस्याओं का समाधान टेक्नोलॉजी के माध्यम से संभव होगा। इसलिए, टेक्नोलॉजी को अपनाने में और उसका विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग करने में हिचकिचाना नहीं चाहिए। उन्होंने इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों से अपील की कि वे विभिन्न समस्याओं का हल तकनीक के माध्यम से निकालने की दिशा में कार्य करें। उन्होंने विश्वविद्यालय के वर्तमान नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए कहा कि मेरा विश्ववास है कि विश्वविद्यालय सुरक्षित हाथों में है। उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए सौभाग्य का विषय है कि आज अपनी मातृसंस्था में मुझे अपनी बात रखने का अवसर मिल रहा है। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में माननीय कुलपति महोदय ने तत्कालीन इंजीनियरिंग कॉलेज से विश्वविद्यालय बनने तक की विकास यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय की परिकल्पना तत्कालीन रूड़की विश्वविद्यालय, अब आई आई टी रुड़की, के तरह के विश्वविद्यालय के रूप में की गई थी। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी, विज्ञान, अनुप्रयुक्त विज्ञान, एवं प्रबंध अध्ययन के उच्चतर अध्ययन एवं अनुसंधान को प्रोत्साहित करने, उद्योग संबंधी अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित करने, तथा राष्ट्र एवं समाज की सेवा के उद्देश्य की पूर्ति के लिए इस विश्वविद्यालय के स्थापना की गई थी। उन्होंने विद्यार्थियों एवं शिक्षकों से कहा कि आपका हर आचरण, हर क्रियाकलाप इन उद्देश्यों की पूर्ति की दिशा में होना चाहिए। तभी इस विश्वविद्यालय की स्थापना सार्थक होगी। उन्होंने महाविद्यालय से विश्वविद्यालय के रूप में परिवर्तित होने की पूरी प्रक्रिया की चर्चा करते हुए पूरी प्रक्रिया में लगे हुए शिक्षकों, अधिकारियों, एवं पूर्व छात्रों को धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने अनुशासन के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि अनुशासन ही व्यक्ति को महान बनाता है। आप किसी भी महापुरुष के जीवन को देखें तो पाएंगे कि उनके जीवन में, आचरण में, विचारों में एक तरह का अनुशासन रहा है। यही कारण है कि वे व्यक्ति महान हुए। उन्होंने कहा कि अनुशासित व्यक्ति अपने बराबर प्रतिभा वाले व्यक्ति से भी सदैव आगे रहता है। इसलिए हम सभी को अनुशासन में रहना चाहिए। कार्यक्रम में मा. कुलपति महोदय ने पुष्पगुच्छ, स्मृतिचिन्ह, एवं शॉल भेंट कर मुख्य अतिथि का अभिनंदन किया। छात्र क्रिया कलाप परिषद के अध्यक्ष प्रो बी के पांडेय ने स्वागत वक्तव्य दिया जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ राजन मिश्र ने किया। कार्यक्रम के दौरान मालवीय एलुमनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री जे बी राय, प्रो एस पी सिंह, प्रो शिव प्रकाश, प्रो वी के गिरि, प्रो डी के द्विवेदी सहित विभिन्न शिक्षक, विद्यार्थी, एवं कर्मचारी मौजूद रहे।