वाराणसी। आईएमएस बीएचयू के हृदय रोग विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. ओम शंकर ने विश्वविद्यालय में की गई नियुक्तियों पर सवाल खड़ा किया है। बृहस्पतिवार को विभाग में प्रेस कांफ्रेंस कर प्रो. ओम शंकर ने कुलपति पर नियमों के विपरीत नियुक्ति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि कुलपति ने अपने इमरजेंसी पॉवर का दुरुपयोग कर नियुक्तियां की हैं। साथ ही यूजीसी के मानकों और कानूनी प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया है। इधर, प्रेस कांफ्रेंस करने की सूचना पर प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सदस्य प्रो. ओम शंकर को ऐसा करने से रोकने पहुंचे, लेकिन उन्होंने नियमों का हवाला दिया। कुछ देर रहने के बाद सुरक्षा कर्मी समेत अन्य सदस्य वापस लौट गए। प्रो. ओम शंकर ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि कुलपति ने बीएचयू अधिनियम के क्लॉज 7 (सी) 5 के तहत आपातकालीन शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए नियमित और गैर-आपातकालीन नियुक्तियों को उचित ठहराया है। यह अधीन शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के माध्यम से 2001 और 2015 में जारी आदेशों का स्पष्ट उल्लंघन हैं। विजिटर यानी तत्कालीन राष्ट्रपति के आदेश पर ये आदेश जारी हुए थे, जिसका कुलपति ने सीधे तौर पर उल्लंघन किया है। इन आदेशों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि नियमित नियुक्तियों के लिए आपातकालीन शक्तियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है। कहा कि कुलपति ने भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण रोस्टर को प्रदर्शित करने की अनिवार्यता का पालन भी नहीं किया, जो यूजीसी दिशानिर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन है। इस वजह से अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय के योग्य उम्मीदवारों को भी लाभ नहीं मिला है। हृदय रोग विभाग में खाली चार पदों में नियुक्ति में भी भेदभावपूर्ण व्यवहार का आरोप प्रो.ओमशंकर ने लगाया है। प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि चार में से तीन कैंडिडेट को अयोग्य ठहरा दिया गया। जबकि आवेदकों में अधिकांश ने आईएमएस बीएचयू से ही एमडी,डीएम किया है। ऐसे में हृदय रोग विभाग में 75 प्रतिशत से अधिक शिक्षकों के पद जानबूझकर खाली रखे गए हैं, जिससे मरीजों को महत्वपूर्ण सेवाओं से वंचित किया गया है और योग्य उम्मीदवारों के अवसरों को रोका गया है।