मऊ। श्रीमद् भागवत की चतुर्थ दिन महेश चंद्र मिश्रा जी ने कथा को आगे बढ़ते हुए आज श्री कृष्ण के जन्म का वर्णन करते हुए कहा कि जिस प्रकार भगवान ने अवतार लेने से पहले उनकी माता-पिता कितनी यातनाएं देनी कंस सुधार वासुदेव के सभी सातों पुत्रों को मार दिया गया। उसके बाद भगवान का अवतार होता है और वासुदेव जी लेकर भगवान श्री कृष्ण को गोकुलधाम पहुंचते हैं। जहां पर उनका पालन पोषण बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। तिवारीपुर गांव में भगवान की लीलाओं का वर्णन करते हुए श्री महाराज जी ने कहा कि भगवान हमेशा ही अपने भक्तों की परीक्षा समय समय पर लेटे रहते हैं। लेकिन जो भी भक्त सच्चे प्रेम से मन से भक्ति भाव में भगवान के प्रति श्रद्धा लगता है तो उसका जीवन हमेशा के लिए सुख में हो जाता है। महाराज जी ने कहा कि यह एक कम है जो कि दुख की के बाद सुख और सुख के बाद दुख आता रहता है। लेकिन मनुष्य को अपने सुख के समय भी भगवान की पूजा अर्चना करनी चाहिए। लोग जब दुखी होते हैं तो भगवान को दोष देते हैं। लेकिन जब सुख में रहते हैं तब वह अपने मोह माया के बंधनों में पहले हुए रहते हैं। इस प्रकार से कथा में बड़े धूमधाम के साथ भगवान श्री कृष्ण का जन्म उत्सव मनाया गया। सभी गोपिया नाचने लगी और सभी लोग भाव विभोर हो गए। कथा में शुभम जी महाराज और कथा में मुख्य अजमान विजय बहादुर तिवारी, डॉक्टर अशोक तिवारी, तेज प्रताप तिवारी, वेद नारायण मिश्रा, उत्तम सिंह, आनंद मिश्रा, रविकांत, शशिकांत, जितेंद्र, राम नारायण, आयुष, दिव्यम, दिव्यांश सहित सैकड़ो लोग मौजूद रहे।