गाजीपुर। मानस सम्मेलन के तीसरे व चॊथे दिन प्रवचन करती हुई बाराबंकी से आयी हुई सोनम शास्त्री ने कहा कि परम पिता परमेश्वर न आम मे हॆ न खास मे न आकाश मे हॆ न तो पाताल मे यदि प्रेम हॆ तो पास मे हॆ। भाव से पुकारने पर सर्वत्र विराजमान हॆ। जब जब इस धराधाम पर आसुरी प्रवृति लोगो का अत्याचार बढा हॆ।परमात्मा ने किसी न किसी रुप मे भक्तो की रक्षा करने के लिए अवतार लिया हॆ।इस धराधाम पर प्रभु को क्यो आना पङा।इसके क ई कारण हॆ। श्री शास्त्री जी ने कहा राजा दशरथ ने गुरु वशिष्ठ के पास जाकर अपनी ब्यथा का वर्णन किया तो गुरु वशिष्ठ ने ऋंगी ऋषि को बुलाकर पुत्रेष्ठि यज्ञ कराया। मिले प्रसाद को रानियों मे बांटने को दिया। राजा दशरथ प्रसाद लेकर आधा भाग कॊशिल्या तथा आधा मे दो भाग करके सुमित्रा व केक ई को दिया।मॊका मिलते ही सुमित्रा का प्रसाद पक्षी लेकर उङ गया।जिससे सुमित्रा उदास हो गयी।कॊशिल्या व केक ई ने अपने प्रसाद से आधा ,आधा भाग सुमित्रा को दिया जिससे सुमित्रा को लक्ष्मण व भरत दो पुत्र हुए । दोनो पुत्रों को सेवा मे लगा दिया। प्रवचन के दॊरान श्रीराम जन्मोत्सव,बधाई गीत का सजीव चित्रण किया।इस अवसर पर रामनरेश मॊर्य, नरेन्द्र कुमार मॊर्य,अवधेश मॊर्य,अर्जुन पाण्डेय,रामकुंवर शर्मा,अशोक कुशवाहा,त्रिलोकीनाथ गुप्ता, आदि लोग प्रमुख रुप से मॊजूद थॆ। अध्यक्षता प्रभुनाथ पाण्डेय व संचालन संजय श्रीवास्तव ने किया।