वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन सभागार में 104वें दीक्षांत समारोह में 30 मेधावियों को गोल्ड मेडल और उपाधि से नवाजा गया। वहीं, यूजी के लिए प्रज्ञा प्रधान और पीजी के लिए ईशान घोष को चांसलर मेडल दिया गया। 544 मेडल और 14 हजार से ज्यादा छात्र और छात्राओं को उपाधियां अगले तीन दिनों में दी जाएंगी। मुख्य अतिथि जेड स्केलर के सीईओ और पूर्व छात्र जय चौधरी ने अपने वक्तव्य में कहा कि जब मैंने हाईस्कूल पूरा किया तो आईआईटी के बारे में जानता भी नहीं था। 1977 में गांव से आकर पहली बार काशी हिंदू विश्वविद्यालय जैसा कैंपस देखा। ग्रामर, इंग्लिश और कम्युनिकेशन सब कुछ गड़बड़ था। यहां पर गणित और रसायन विज्ञान पढ़ पढ़ कर अंग्रेजी सुधारी। जय चौधरी नेकहा कि अमेरिका जाकर आईबीएम में ज्वाइन किया। टाटा ने 200 डॉलर स्कॉलरशिप दी। मुझे अमेरिका में काम करने का अवसर बीएच यू की ही वजह से मिला। उन्होंने अपने दीक्षांत भाषण में कहा कि बीएचयू से पहले गांव में जब हाई स्कूल पास किया तो हेड मास्टर से पूछा मैं आगे की पढ़ाई को जारी रखने के लिए किताबों को खरीदने में सक्षम नहीं हूं। उन्होंने कहा कि मैं मदद करूंगा। शिक्षा के साथ बुनियादी मदद भी जरूरी है। डिग्री के बजाय सीखने पर फोकस होना चाहिए। सिनसिनेटी में सॉफ्टवेयर स्टार्टअप पर छोटी सी शुरुआत की।