वाराणसी। केरल विश्वविद्यालय से आएं जयचंद्रन जी से भोजपुरी अध्ययन केंद्र बीएचयू में ‘केरल में हिंदी की व्याप्ति’ पर हुआ संवाद। हिंदी के भारतीय वैश्विक विकास में केरल का विशिष्ट स्थान है। हिंदीतर प्रदेशों में, केरल विश्वविद्यालय में जो हिंदी की व्याप्ति है वो उत्कृष्ट है; केरल में कविता पर अधिक शोध होता है। वहाँ शोध की मौखिकी खुले रूप में होती है। हमें आवाजाही की प्रक्रिया में भाग लेना चाहिए। ऐसा भोजपुरी अध्ययन केंद्र के समन्वयक प्रो. प्रभाकर सिंह ने कहा। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. श्री प्रकाश शुक्ल जो लगभग 7 वर्षों तक भोजपुरी अध्ययन केंद्र के समन्वयक रह चुके हैं, उन्होंने कहा कि केरल में हिंदी समृद्ध है और केरल से हिंदी समृद्ध है। भारतीय भाषाओं में यदि दो भाषाओं के बीच सबसे खूबसूरत संवाद है तो वह मलयाली और हिंदी के बीच है। केरल के लोग चाहते हैं कि वे न केवल हिंदी के रचनात्मकता से जुड़े अपितु यहाँ के समाज और संस्कृति से भी जुड़े। वहाँ विमर्शी साहित्य पर अधिक शोध होता है। ‘अनुज लुगुन’ जैसे नव कवियों पर भी वहाँ एमफिल हो रहा है। केरल ने हिंदी को बहुत प्यार दिया है। जयचंद्रन जी ने बताया कि केरल में जितने भी हिंदी के बच्चे पढ़ते हैं; पटना सिटी के एक कॉलेज के शिक्षक ने ताज्जुब से पूजा केरल में हिंदी है, तब उन्होंने बताया कि केरल में हिंदी पढ़ाई भी जाती है और उसमें नौकरी अनुवादक, शिक्षक से लेकर प्रोफ़ेसर तक की उपलब्ध है। केरल में हिंदी विषय में अंशकालीन नौकरी भी मिलती है। केरल में 14 विश्विद्यालय है और पाँच यूनिवर्सिटी को छोड़कर सब यूनिवर्सिटियों में हिंदी का विभाग है। वहाँ हिंदी पढ़ने वाले इतने बच्चे हैं कि वेटिंग लिस्ट में रह जाता हैं। केरल में कक्षा पाँच तक हिंदी अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि तमिलनाडु में हिंदी भाषा के प्रति वैसा द्वेष नहीं है जैसा प्रदर्शित किया जाता है; ये तो राजनेता लोग वोट की राजनीति के तहत ऐसा प्रचारित करते रहते हैं। केरल में अभिमन्यु अनत को लेकर कई शोध हुए है। श्री प्रकाश शुक्ल के ‘क्षीर सागर में नींद’ काव्य संग्रह पर हाल ही में एक विद्यार्थी ने एमफिल किया। मलयालम तेज़ रफ़्तार में बोली जानी वाली भाषा है। तमिल में 18 ही वर्ण हैं। तमिल में क और ख, प और फ के लिए एक ही अक्षर है। केरल में मोटे तौर पर साउथ के एरिया से जो भी आया करते थे उन्हें मद्रासी ही कहते थे। उत्तर और दक्षिण के खान-पान की संस्कृति पर भी इन्होंने प्रकाश डाला। केरल की संस्कृति के ताने-बाने की प्रस्तुति आपको दूरदर्शन पर मिल जाएगी। हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. वशिष्ठ अनूप के अभिभावकत्व में और ‘रेत में आकृतियाँ’ जैसे प्रसिद्ध काव्य संग्रह के कवि श्री प्रकाश शुक्ला, प्रो. प्रभाकर सिंह, डॉ. विंध्याचल यादव की मौजूदगी में विभाग के सबसे सक्रिय शोधार्थी, ‘मानस’ पत्रिका के संपादक आर्यपुत्र दीपक की शोध मौखिकी भी सम्पन्न हुई।
(रोशनी उर्फ धीरा, शोधार्थी, हिंदी विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय)