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पीजीआई के डॉ. रूचिका टंडन को डिजिटल अरेस्‍ट कर 2.81 करोड़ की ठगी के मामले में छह गिरफ्तार

लखनऊ। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) की डॉ. रुचिका टंडन को डिजिटल अरेस्ट कर 2.81 करोड़ ठगने के मामले में एसटीएफ ने शुक्रवार को छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है। ठगे गए 30 लाख रुपये को अलग-अलग बैंक खातों में फ्रीज कराया जा चुका है। ठगी के गिरोह को एक महिला ऑपरेट करती है। उसकी तलाश जारी है।डॉ. रुचिका टंडन के पास एक अगस्त को एक कॉल आई थी। खुद को सीबीआई अधिकारी बताया था। शिकायत मिलने की बात कह पांच दिनों तक उनको डिजिटल अरेस्ट रखा था। इस दौरान उनसे 2.81 करोड़ रुपये ट्रांसफर करवा लिए थे। 10 अगस्त को साइबर क्राइम थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। एसटीएफ ने मामले में फैज उर्फ आदिल, दीपक शर्मा, आयुष यादव, मोहम्मद उसामा, मनीष कुमार को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के पास से 8 मोबाइल फोन, 8 बैंक पासबुक और एचडीएफसी बैंक के बैंक किट (पासबुक, एटीएम कार्ड व चेक बुक ) बरामद की गई है।पूछताछ में सामने आया कि ये सभी सोशल मीडिया के जरिये एक ग्रुप से जुड़े हैं। इसी ग्रुप में ये उस महिला के संपर्क में आए, जिसने इनको बैंक खाते उपलब्ध कराने को कहा। उसी बैंक खातों में गिरोह ठगी की रकम ट्रांसफर करता। उसको क्रिप्टो में कन्वर्ट कर महिला को भेजा जाता था। इसका कमीशन उनको मिलता था। ये महिला दूसरे प्रदेश की है। पुलिस और एसटीएफ के पास महिला का नाम, पता आदि की जानकारी है, लेकिन अभी सार्वजनिक नहीं किया है। उसकी तलाश की जा रही है।इंस्पेक्टर बृजेश यादव ने बताया कि आरोपी बायनेंस एप की मदद से करेंसी को कन्वर्ट करते थे। तय कमीशन को काटकर बाकी रकम महिला द्वारा दिए गए बैंक खातों में ऑनलाइन भेज देते थे। कई आरोपी कुर्सी रोड पर स्थित एक निजी विवि के छात्र रहे हैं। वहीं पर मिलने के बाद गिरोह बनाकर ठगी का खेल शुरू किया।आरोपियों के खातों में जैसे ही रकम पहुंचती है, वैसे ही क्रिप्टो में कन्वर्ट कर ट्रांसफर कर देते हैं। समय रहते पुलिस ने 30 लाख रुपये फ्रीज करा दिए। बाकी ठगी की रकम को रिकवर करना बेहद मुश्किल है।सभी आरोपी महिला के इशारे पर काम करते थे। महिला से कौन-कौन लोग जुड़े हैं, इसका पता नहीं चल सका है। अंदेशा है कि पूरा नेटवर्क सोशल मीडिया के जरिये चल रहा है। हर किसी का कमीशन तय है। जिनकी गिरफ्तारी हुई है उनके खातों में लेनदेन हुआ है। बैंक डिटेल के आधार पर वह गिरफ्त में आ गए। ठगी के मुख्य किरदारों तक अब तक पुलिस नहीं पहुंच सकी है।आरोपी गरीब मजबूर लोगों को लालच देकर उनके दस्तावेजों पर बैंक खाते खुलवाते थे। ठगी की रकम उन खातों में ट्रांसफर करवाते थे। ऐसा इसलिए करते ताकि वे पकड़ में न आएं। लेकिन, पुलिस व एसटीएफ ने खातों की ट्रेल को ट्रेस करते करते उन तक पहुंच गई। आरोपी जिन मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल करते थे, वे प्रीएक्टिवेटेड सिम होते थे। मतलब वह भी फेक आईडी पर लिए गए होते थे।

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