गाजीपुर! पराली को जलाये नही उसका खाद बनाने मे करे प्रयोग राष्ट्रीय खाघ सुरक्षा मिशन (न्यूट्री सीरियल घटक) योजनान्तर्गत जनपद स्तरीय दो दिवसीय मिलेट्स महोत्सव/ मेला/जागरूकता कार्यक्रम एवं मिलेट्स रेसिपी प्रतियोगिता का आयोजन आज दिनांक 18.10.2024 को कृषि विज्ञान केन्द्र पी०जी० कालेज में सम्पन्न हुआं। कार्यक्रम में कृषि वैज्ञानिको डा० वी० के० सिहं०, डा० धर्मेन्द्र कुमार सिह डा० जे०पी० सिहं, डा० शशांक सिंह, डा० शशांक शेखर द्वारा जोर देकर उपस्थित किसानो को बताया गया कि वे पराली कदापि न जलाये। पराली मे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम मुख्य पोषक तत्वो के अलावा कई आवश्यक सूक्ष्म तत्व भी पाये जाते है। वर्तमान मे धान-गेहूँ फसल पद्धति जनपद में काफी प्रचलित है। इस पद्धति से लगातार मृदा का क्षरण हो रहा है, उर्वरता घट रही है जिसका प्रभाव सीधा फसल उत्पादन पर पडता है। ऐसी स्थिति में पराली का जलाना और भी घातक साबित हो रहा है। पराली जलाने से मृदा में उपस्थित पोषक तत्व नष्ट हो जाते है। मृदा जीवाश जो फसल उत्पादन के मूल होते है, जल कर नष्ट हो जाते है और मृदा बंजर हो जाती है। वही दूसरी तरफ पराली जलाने से वातावरण मे विभिन्न प्रकार कि जहरीली गैसे फैल जाती है जो वच्चो व बुजुर्गों के लिये काफी खतरनाक होती है। पराली का उचित प्रबन्ध अति आवश्यक है। पराली को खेत मे ही प्रबन्ध करके उच्च गुणवत्ता युक्त कार्बनिक खाद बनाया जा सकता है। पराली को विभिन्न कृषि यन्त्रो जैसे श्रब मास्टर, रोटरी स्लेशर, मल्वर, सुपर सीडर, की सहायता से छोटे-छोटे टुकडो में काटकर मिट्टी पलट हल से मिट्टी में ही मिला देते है तत्पश्चात सिंचाई करने से अति शीघ्र सडकर खाद बन जाती है। पराली को खेत से बाहर बेलर की सहायता से इकट्ठा करके ईधन/विजली बनाने के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। कृषि वैज्ञानिक डा० एस० के० सिंह एवं डा० शशांक शेखर द्वारा श्री अन्न के बारे मे बताया गया कि यह ग्लूटिन रहित अनाज है, जिसके सेवन से पाचन सम्बन्धी विकार दूर होते है। इनमे खनिज मात्रा रेशा, कैल्सियम, मैगनिशियम, जिंक व आयरन जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा मे पाये जाते है। इसकी खेती के लिये कम रसायन की आवश्यकता होती है, प्राकृतिक रूप से भी इसकी खेती की जाती है। यह विभिन्न जलवायु तथा विभिन्न मृदाओ में आसानी से उग जाता है। ज्वार, बाजरा, सावा, कोदो, मडुवा से विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन जैसे खीर, खिचडी, दलियों, केक, विस्किट, पकौडी, लड्डू, नमकीन को भोजन के रूप में समावेश करना चाहिये। वैज्ञानिको द्वारा यह भी बताया गया कि श्री अन्न का प्रयोग शुगर के मरीजो के लिये रामबाण होता है। उप कृषि निदेशक गाजीपुर द्वारा किसानो से पराली न जलाने की अपील की गयी। बताया गया कि पराली जलाने पर सरकार द्वारा दण्ड का भी प्राविधान किया गया है। दो हे० से कम प्रति घटना के लिये रू0 1500, दो हे0 से 5 हे० तक प्रति घटना के लिये रू0 5000 और 5 हे० से अधिक क्षेत्र के लिये प्रति घटना रू0 15000 का प्राविधान है। कार्यक्रम में कई विभागों एवं प्राईवेट संस्थानो द्वारा विभिन्न स्टाल भी लगाये गयें ।