लखनऊ। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय एवं मालवीय एलुमनाई एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 26-27 अक्टूबर 2024 के मध्य आयोजित दो दिवसीय ‘मालवीय एलुमनाई मीट-2024′ का दिनांक 26 अक्टूबर 2024 को विश्वविद्यालय के बहुउद्देशीय सभागार में उद्घाटन हुआ। एलुमनाई मीट के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र एवं दिल्ली पुलिस अपराध शाखा के आयुक्त श्री देवेश चंद्र श्रीवास्तव, आई पी एस उपस्थित रहे जबकि उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता माननीय कुलपति प्रो जय प्रकाश सैनी ने की। उद्घाटन समारोह से पूर्व गोल्डन जुबिली बैच 1974, सिल्वर जुबिली बैच 1999 एवं डिकेड बैच 2014 सहित अन्य पूर्व छात्र, एलुमनी एसोसिएशन के पदाधिकारियों एवं कुलपति ने परिसर स्थित पंडित मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्चन किया। इसके बाद पूर्व छात्रों की शोभायात्रा मुख्य द्वार से ढोल की धुन पर नाचते गाते बहुउद्देशीय सभागार पहुंची जहाँ वर्तमान छात्रों ने तिलक लगाकर शोभायात्रा में सम्मिलित सभी आगंतुकों का स्वागत किया| मुख्य अतिथि देवेश चंद्र श्रीवास्तव, मा. कुलपति प्रो जे पी सैनी, एलुमनी एसोसिएशन के अध्यक्ष जे बी राय, सचिव प्रो वी के द्विवेदी, अधिष्ठाता पुरातन छात्र प्रो पी के सिंह, वी के श्रीवास्तव, प्रतिनिधि गोल्डन जुबिली बैच 1974, विनय प्रजापति, प्रतिनिधि सिल्वर जुबली बैच 1999, एवं पंकज दुबे, प्रतिनिधि डिकेड बैच 2014 सहित अन्य आगंतुकों ने वाग्देवी सरस्वती, एवं महामना पं. मदन मोहन मालवीय के चित्र पर माल्यार्पण कर तथा दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया| मालवीय एलुमनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष जे बी राय ने स्वागत वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा कि मैं आप सभी का स्वागत पूरे मन से करता हूं विशेषकर अपने अनुज और मुख्य अतिथि देवेश श्रीवास्तव का स्वागत करता हूं। उन्होंने अपने अति व्यस्त समय में से समय निकाल कर इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई है। उन्होंने मा. कुलपति सहित अन्य पूर्व छात्रों का स्वागत करते हुए कहा कि आप सभी का सहयोग निरंतर प्राप्त होता है जिससे ऐसे कार्यक्रम संभव हो पाते हैं। अपने संबोधन में प्रो पी के सिंह, अधिष्ठाता, पूर्व छात्र मामले ने इंजीनियरिंग कॉलेज से विश्वविद्यालय बनने तक की विकास यात्रा और विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की चर्चा की। मुख्य अतिथि देवेश चंद्र श्रीवास्तव ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आज मैं जो कुछ भी हूं वह इसी संस्थान, और इसके शिक्षकों की बदौलत हूं। यह संस्थान मेरी नींव में है। उन्होंने कहा कि यह परम सौभाग्य की बात है कि जिस संस्थान का विद्यार्थी रहा, उस संस्थान में मुख्य अतिथि बनने का अवसर मिला। यह सौभाग्य कम ही लोगों को मिलता है। बीते दिनों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मैने आई आई टी दिल्ली में भी पढ़ाई की, पुलिस अकादमी में रहा, प्रशासनिक अकादमी में भी रहा, पर इस संस्थान जैसा जुड़ाव और लगाव आज तक कहीं और नहीं महसूस किया। उन्होंने कहा कि मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि अब इंजीनियरिंग की पढ़ाई में छात्राओं की भागीदारी बढ़कर 32 फीसदी हो गई है जो हमारे समय में दो से तीन फीसदी होती थी। उन्होंने विश्वविद्यालय की प्लेसमेंट की स्थिति की प्रशंसा की और विश्वविद्यालय को NIRF में अच्छा स्थान पाने पर बधाई दी। उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा आज के दौर में टेक्नोलॉजी बहुत आवश्यक है पर टेक्नोलॉजी ही सब कुछ नहीं है। आप को और भी बहुत कुछ आना चाहिए तभी बात बनेगी। उन्होंने कहा कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है। जो भी काम मिले पूरे दिल से और मेहनत से करिये, सफलता जरूर मिलेगी। उन्होंने कहा कि आज का समय वर्चुअल माध्यमों का है। इन माध्यमों से सुविधा हुई है। पर इन माध्यमों पर सुरक्षित ढंग से कार्य करना भी जरूरी है। साइबर सुरक्षा के तीन मंत्र देते उन्होंने कहा कि पहली बात वर्चुअल माध्यम से जुड़े हुए किसी भी व्यक्ति पर भरोसा मत करें, वह नकली प्रोफाइल बनाकर या आपके जानने वाले व्यक्ति जैसी प्रोफाइल बनाकर आपको नुकसान पहुंचा सकता है। दूसरा, कोई भी सरकारी संस्थान जैसे कि सीबीआई, आई बी, ई डी, बैंक, आदि सोशल मीडिया या वर्चुअल माध्यम से आपकी निजी या गोपनीय जानकारी नहीं मांगती है। अगर कोई ऐसा कर रहा है तो सावधान हो जाएं। और सबसे महत्वपूर्ण बात सोशल मीडिया के माध्यम से दिए जा रहे किसी बहुत लुभावने ऑफर से बचें। अक्सर बहुत लुभावने ऑफर की आड़ में आपकी निजी जानकारी हासिल कर नुकसान पहुंचाया जाता है। इससे बचें। उन्होंने कहा कि सब कुछ सोशल मीडिया पर अपडेट करने से बचें। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन के आरम्भ में मा. कुलपति प्रो जे पी सैनी ने पूर्ववर्ती इंजीनियरिंग कॉलेज के विश्वविद्यालय के रूप में पुनर्स्थापित होने की स्मृतियों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय बनने के बाद से संसाधनों में बहुत वृद्धि हुई है। वर्तमान में विश्वविद्यालय अपनी आवश्यकता का लगभग 80 प्रतिशत अपने स्त्रोतों से अर्जित करता है। शेष आवश्यकता के लिए राज्य सरकार से अनुदान मिलता है। उन्होंने कहा कि अगले 5 सालों में विश्वविद्यालय को वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य है। अपने संबोधन में उन्होंने शोध और उद्यमिता को बढ़ावा देने की योजना, स्टार्टअप को बढ़ावा देने, और पेटेंट को बढ़ावा देने की योजनाओं की चर्चा की। उन्होंने कहा कि इस वर्ष एम एम एम यू टी ने राष्ट्रीय रैंकिंग में अच्छा स्थान प्राप्त किया है। अगले वर्ष इस रैंकिंग को सुधारना है और अगला लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में अच्छा स्थान पाना है। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों और शिक्षकों को सफलता की लत लगानी है और विद्यार्थियों को हर संभव सुविधा और अवसर उपलब्ध कराकर स्टूडेंट सेंट्रिक यूनिवर्सिटी बनाने का लक्ष्य है। उद्घाटन सत्र के दौरान पांच पूर्व छात्रों क्रमशः 1983 बैच के डी के सिंह को कला, साहित्य एवं संस्कृति में उल्लेखनीय योगदान के लिए, 1977 बैच के एस के वर्मा को प्रशासनिक कार्यों में उल्लेखनीय योगदान के लिए, 1974 बैच के एन सी शर्मा को उद्यमिता विकास की दिशा में उल्लेखनीय योगदान के लिए, 1974 बैच के ए के सिंह को अभियंत्रण क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए, तथा 1985 बैच के प्रेम प्रकाश को खेलों में उत्कृष्ट योगदान के लिए मालवीय डिस्टिंग्विश्ड एलुमनाई सम्मान स्वरूप शॉल एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। इस मौके पर पिछले कुछ वर्षों में सेवानिवृत हुए शिक्षकों को भी सम्मानित किया गया जिनमें प्रो अलक राय, प्रो आर पी मणि, प्रो एल बी सिंह, प्रो एन पी शुक्ला, प्रो जी एस त्रिपाठी, प्रो अर्जुन दुबे, और प्रो के पी सिंह शामिल रहे।सत्र के दौरान गोल्डन जुबली बैच 1974, सिल्वर जुबली बैच 1999 एवं डिकेड बैच 2014 के पूर्व छात्रों को भी सम्मानित किया गया। उद्घाटन सत्र के अंत में एलुमनी एसोसिएशन के सचिव प्रो वी के द्विवेदी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो बी के पांडेय, और डॉ अंजलि सिंह ने किया। दोपहर में देश विदेश से आये लगभग 200 पूर्व छात्रों और उनके परिवारों ने परिसर को घूम घूम कर देखा और पुराने दिनों को याद किया| कई एलुमनाई विवि में हुए सकारात्मक बदलावों से प्रसन्न दिखे| दोपहर बाद मालवीय एलुमनाई एसोसिएशन की वार्षिक आम सभा की बैठक हुई| बैठक में एलुमनाई कन्वेंशन सेंटर बनाने के प्रस्ताव पर चर्चा हुई और उसके निर्माण हेतु धन एकत्रित किए जाने पर सहमति व्यक्त की गई। यह निर्णय भी लिया गया कि एलुमनाई एसोसिएशन की नई कार्यकारिणी का चुनाव अगले वर्ष कराया जाएगा। शाम को विद्यार्थियों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।