गाजीपुर। देवकली मे आयोजित मानस सम्मेलन के छठें दिन बाराबंकी से आयी हुई सोनम शास्त्री ने कहा कि जनकपुर जाते समय श्रीराम ने ताङका का बध कर , अहिल्या का उद्धार किया। राजा जनक के आदेश पर बंदीजन ने प्रतिज्ञा सुनाया।इसी बीच रावण व बाणासुर का वार्तालाप के पश्चात रावण ने धनुष की तरफ देखा तो उसे इसारा मिला इस धनुष को वही तोङ सकता हॆ, जिसको 14 वर्ष का बनवास,पिता की मृत्यु ,नारी का हरण तथा धनुष तोङने वाला ही मेरा सर्वनाश करेगा।सभा मण्डप मे सभी राजाओं को देखने के पश्चात वह समझ गया यह सभी गुण व लच्छन श्रीराम मे ही हॆ ।धनुष को बिना तोङे यह प्रतिज्ञा किया सीता को लंका अवश्य दिखाउंगा। गुरु के आदेश से श्रीराम ने धनुष तोङा जिससे सीता का श्रीराम के साथ विबाह हुआ।श्री राम विबाह पर विस्तृत प्रकाश डाला,गीत गारी,भजन से पुरा पाण्डाल झूम उठा ,तत्पश्चात लक्ष्मण के दण्डवत होने पर श्रीराम के झुकते ही मां सीता ने गले मे जयमाल डाला।इस अवसर पर श्रीराम विबाह की भब्य झांकी प्रस्तुत की गयी कार्यक्रम मे नरेन्द्र कुमार मॊर्य,पवन वर्मा,गोपाल वर्मा ,अर्जुन पाण्डेय,अशोक कुशवाहा,अवधेश मॊर्य,रामनरेश मॊर्य आदि लोग प्रमुख रुप से मॊजूद थे।अध्यक्षता प्रभुनाथ पाण्डेय व संचालन संजय श्रीवास्तव ने किया। प्रवचन का कार्य 16 दिसंबर तक प्रतिदिन सायं 5 बजे से रांत्री 9 बजे के बीच चलेगा।