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“पार्टनरशिप फॉर एक्सीलरेटेड इनोवेशन एंड रिसर्च’ के लिए मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर का हुआ चयन

लखनऊ। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर का चयन भारत सरकार के अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (ANRF) की प्रतिष्ठित योजना “पार्टनरशिप फॉर एक्सीलरेटेड इनोवेशन एंड रिसर्च’ (PAIR) के लिए हुआ है। इस योजना के अंतर्गत चयनित क्षेत्र में अनुसन्धान और नवाचार के लिए विश्वविद्यालय को अगले पांच वर्षों में निश्चित धनराशि प्रदान की जाएगी। यह धनराशि भारत सरकार द्वारा विश्वविद्यालय को आई आई टी आई एस एम धनबाद के माध्यम से दी जाएगी जो विश्वविद्यालय की अनुसंधान में मदद भी करेगा।उल्लेखनीय है कि प्रदेश के मात्र चार राज्य विश्वविद्यालयों का चयन इस योजना के अंतर्गत हुआ। प्रदेश से चयनित होने वाले विश्वविद्यालयों में महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय, बरेली; बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी; छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर ; एवं मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर शामिल हैं जिन्हें क्रमशः आई आई टी रोपड़, आई आई टी इंदौर, आई आई टी कानपुर, एवं आई आई टी आई एस एम धनबाद के माध्यम से वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी और इनके द्वारा रिसर्च हब के रूप में इन विश्वविद्यालयों की सहायता भी की जाएगी। बताते चलें कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत भारत सरकार ने अनुसंधान को संस्थागत स्तर पर प्रोत्साहित करने हेतु अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (ANRF) की स्थापना की है। ए एन आर एफ का उद्देश्य देश के विश्वविद्यालयों, विशेषतः संभावनाशील राज्य विश्वविद्यालयों एवं अन्य अकादमिक संस्थानों, जहां सीमित शोध हो रहे हैं,  में अनुसंधान की संस्कृति को सुदृढ़ करना है। इस दिशा में एक प्रमुख पहल के रूप में “पार्टनरशिप फॉर एक्सीलरेटेड इनोवेशन एंड रिसर्च’ (PAIR) कार्यक्रम आरंभ किया गया है।PAIR कार्यक्रम का उद्देश्य व्यक्तिगत अनुसंधान अनुदानों से आगे बढ़ते हुए, एक समग्र संस्थागत विकास दृष्टिकोण अपनाना है, जिससे सम्पूर्ण संस्थान की अनुसंधान उत्कृष्टता और संस्कृति को व्यवस्थित रूप से बढ़ावा दिया जा सके। यह कार्यक्रम विशेष रूप से उन संस्थानों को लक्षित करता है जहाँ अनुसंधान प्रारंभिक अवस्था में है, किंतु उनमें पर्याप्त क्षमता विद्यमान है। पेयर कार्यक्रम का संचालन “हब और स्पोक” मॉडल पर आधारित है, जिसमें उन्नत अनुसंधान संस्थानों को ‘हब’ और उभरते संस्थानों को ‘स्पोक’ के रूप में जोड़ा जाएगा।  यह सहयोगात्मक संरचना संस्थानों के बीच अनुसंधान संबंधी असमानताओं को कम करने के साथ-साथ वैज्ञानिक नवाचार और उत्कृष्टता को भी बढ़ावा देती है। कार्यक्रम के प्रारंभिक चरण में उन्हीं विश्वविद्यालयों को प्राथमिकता दी जा रही है जिन्होंने राष्ट्रीय रैंकिंग में अच्छी संभावनाएं प्रदर्शित की हैं। पेयर कार्यक्रम का प्रमुख  उद्देश्य सीमित अनुसंधान क्षमता वाले संस्थानों में नवाचार को प्रोत्साहन, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक अनुसंधान को समर्थन, सहयोगात्मक नेटवर्क को सुदृढ़ करना, तथा अनुसंधान अवसंरचना एवं गुणवत्ता को सशक्त बनाना है।योजना के अंतर्गत उच्च कोटि के 18 शोध संस्थानों का चयन हब संस्थान के रूप में (दो श्रेणियों A में 7  एवं B में 11) हुआ है। प्रत्येक हब संस्थान से कुछ स्पोक संस्थान जुड़े होंगे। स्पोक संस्थान के रूप में 106 संस्थानों (श्रेणी A में 45 जबकि B में 61) का चयन हुआ है। चयनित स्पोक संस्थान को हब संस्थान के माध्यम से वित्तीय सहायता एवं शोध में सहायता प्रदान की जाएगी। योजना के अंतर्गत प्रत्येक हब संस्थान को अगले पांच वर्षों के भीतर 100 करोड़ की राशि प्रदान की जाएगी। इस राशि का 70 फीसदी स्पोक संस्थाओं को वितरित किया जाएगा जबकि शेष 30% राशि हब संस्थान के पास रहेगी। उल्लेखनीय है कि योजना में चयनित होने के लिए निम्न योग्यता मानदंड थे:-

श्रेणी 1- NIRF में शीर्ष 200 रैंक प्राप्त करने वाले केंद्रीय अथवा राज्य विश्वविद्यालय

श्रेणी 2 विभिन्न IIT एवं NIT

श्रेणी 3 कोई भी संस्थान जो अन्य श्रेणी में अर्ह नहीं हो।

विश्वविद्यालय का चयन श्रेणी 1 में हुआ है। एम एम एम यू टी के स्तर पर परियोजना के प्रधान अन्वेषक प्रो वी एल गोले होंगे। परियोजना में विभिन्न विभागों के 16 शिक्षक अन्वेषक के रूप में जुड़ेंगे। प्रो गोले ने बताया कि पहले वर्ष में एम एम एम यू टी को परियोजना के अंतर्गत क्षमता वृद्धि के लिए 2 करोड़ रुपए मिलेंगे। जबकि शेष राशि अगले चरणों में दी जाएगी। विश्वविद्यालय के परियोजना में चयन पर माननीय कुलपति प्रो जे पी सैनी सहित विभिन्न शिक्षकों ने प्रसन्नता व्यक्त की है।

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