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श्री रामलला प्राण प्रतिष्ठा के पहले वर्षगांठ उत्‍सव का सीएम योगी ने किया शुभारंभ, कहा- एक रहेंगे तो सनातन होगा मजबूत

लखनऊ। रामनगरी अयोध्या में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ को लेकर अयोध्या सज-धज कर तैयार है। तीन दिवसीय प्रतिष्ठा द्वादशी के उत्सव का उल्लास शनिवार से छलकने लगा। दोपहर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्राण प्रतिष्ठा द्वादशी समारोह के मंच पर पहुंचे। राम भक्तों ने जय श्री राम के उद्घोष से सीएम का स्वागत किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीप प्रज्ज्वलन कर प्रतिष्ठा द्वादशी समारोह का शुभारंभ किया। छह साल के धावक मोहब्बत, पंजाब से दौड़ लगाकर अयोध्या पहुंचे। यहां प्राण प्रतिष्ठा द्वादशी के मंच पर सीएम योगी ने सम्मानित किया। सीएम ने उन्हें मोबाइल गिफ्ट में दिया। इस मौके पर सीएम योगी ने कहा कि 5 अगस्त 2020 पीएम मोदी ने इसी स्थान पर मंदिर के निर्माण की लिए पूजन किया था। सीएम ने कहा 2024 में प्राण प्रतिष्ठा के बाद हर दिन लगभग 1.5 से दो लाख श्रद्धालु यहां दर्शन करते हैं। पहले यहां महज तीन-चार घंटे ही बिजली मिलती थी। राम जी की पैड़ी में सरयू का जल सड़ता रहता था। सफाई की कोई व्यवस्था नहीं थी। अयोध्या के पास कोई हवाई अड्डा नहीं था। सीएम ने कहा कि आज अयोध्या के पास अपना हवाई अड्डा है। आज सरयू जी का जल सड़ता नहीं। यहां की सड़कें त्रेतायुग का स्मरण कराती हैं। आज अयोध्या, अयोध्या होने का अहसास कराती है। आज अयोध्या सोलर से चलती है। सीएम ने कहा कि अयोध्या एक दिन में ऐसी नहीं बनी है। इसके लिए लाखों लोगों को त्याग देना पड़ा। तपस्या करनी पड़ी। लाखों लोग 500 वर्षों से अपने आराध्य को स्थापित करने के लिए संघर्ष करते रहे। सीएम ने कहा कि शासन से लेकर हर किसी तक जिसने जिस भाषा में समझा, उसे उस भाषा में समझाया गया। आज हम भाव विभोर हो जाते हैं। हमारी तीन पीढ़ियां राम मंदिर आंदोलन से जुड़ी रहीं। यह हमारे लिए अत्यंत गौरव का विषय है। कहा कि हमारे गुरुदेव जब अस्पताल में अंतिम समय पर थे, तब भी उन्होंने आखिरी बार अशोक सिंघल से बात की थी। उन्होंने पूछा था कि राम जी का मंदिर बन जाएगा न ? सीएम ने कहा कि एक बात ध्यान रखना होगा, कि आज से पहले वह कौन सी परिस्थितियां थीं, जब समाज बंटा था। यदि हम जाति के आधार पर बंटे रहेंगे, तो उत्पीड़न झेलना पड़ेगा। एक रहेंगे तो सनातन मजबूत होगा, देश मजबूत होगा। यदि भाषाई, क्षेत्रीय और जाति के आधार बंटेंगे तो सबसे पहले इसका खामियाजा हमारे धार्मिक स्थलों को भुगतना पड़ेगा।

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